गुड अर्थ और निकोबार के बाद, लक्जरी ब्रांड पारो पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं क्रिएटिव आंत्रप्रेन्योर सिमरन लाल
सिमरन लाल उद्यमियों के परिवार से आती हैं, लेकिन उन्होंने कभी खुद को बतौर उद्यमी के रूप में नहीं सोचा था। न्यूयॉर्क के फैशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से प्रोडक्ट डेवलपमेंट और मर्चेंडाइजिंग में कोर्स पूरा करने के बाद, उन्होंने अपने परिवार के व्यवसाय, गुड अर्थ को ज्वाइन करने से पहले एबीसी कारपेट एंड होम में कुछ दिन बिताए।
सिमरन कहती हैं,
"मैं कहूंगी कि मैं उद्यमिता में ठोकर खाकर आई और 2002 के बाद से, इस प्रक्रिया और इस यात्रा में सीखने और बढ़ने की कोशिश की है। आज, मैं खुद को एक क्रिएटिव आंत्रप्रेन्योर के रूप में देखती हूं।"
सिमरन ने निकोबार को तीन साल पहले लॉन्च किया था, और फैशन, होम और ट्रैवल ऐसेसरीज में एक कंटेंपररी प्रोडक्ट लाइन बनाने के लिए स्थानीय कारीगरों और डिजाइन समुदाय के साथ सक्रिय रूप से लगी हुई हैं।
स्वयं पर जोर
उन्होंने हाल ही में निकोबार के सब-ब्रांड पारो को लॉन्च किया, जो वेल-बाइंग और पर्सनल केयर पर फोकस्ड है। यह नई दिल्ली के चाणक्य मॉल में एक सिंगल स्टैंडअलोन स्पेस है, और यह ब्रांड खुद (Self) पर जोर देने के कॉन्सेप्ट के साथ मैदान में है।
सिमरन बताती हैं,
“जहां तक मुझे याद है, मैं प्रकृति की बहुत आभारी रही हूं और इससे गहराई से जुड़ी हुई हूं। इसलिए मेरा मानना है कि यही वो तरीका है, जिसने सौंदर्य, जीवन शक्ति और जीवंतता के बारे में मेरे दृष्टिकोण को आकार दिया है।”
वह कहती हैं कि भारतीय ज्ञान के सबसे मूल्यवान उपहारों में से एक जीवन जीने का एक एकीकृत तरीका है। "इससे मेरा मतलब जीवन के लिए एक गहरे और मौलिक समग्र दृष्टिकोण होने से है, जिसे पहले स्वस्ति के रूप में मान्यता दी गई थी। यह एक ऐसी अवस्था है जहाँ हमारा शरीर और मन एक दूसरे के साथ और प्रकृति या नेचर के साथ तालमेल बैठाते हैं। यही खोज एक ब्रांड के रूप में पारो की उत्पत्ति है।"
उद्यमी का मानना है कि बतौर ब्रांड पारो पवित्रता, बनावट और सुंदरता की बारीकियों के माध्यम से सुख और श्रंगार की लग्जरी रखता है। ब्रांड की ऑफरिंग में अपीयरल, ज्वैलरी, डीप स्लीप (GOTs- बाथ और बेड लिनन की प्रमाणित कार्बनिक कपास रेंज), होम एक्सेंट्स और पारो बोटानिका शामिल हैं।
ब्रांड को बनाने वाले एलीमेंट्स
पारो तीन प्रमुख चीजों पर केंद्रित है: कारीगर निर्मित होना, पर्यावरण के प्रति जागरूक और ज्ञान साझा करना। मिसाल के तौर पर पारो बोटानिका को भारी परिरक्षकों (प्रिजर्वेटिव्स) के उपयोग से बचने के लिए बहुत छोटे बैचों में बनाया जाता है। यह पैकेजिंग के रूप में मुसलिन बैग्स, ब्रास बॉक्सेस और एल्यूमीनियम कंटेनर का उपयोग करता है। पारो हर महीने आयोजित कार्यशालाओं के माध्यम से भारत की विरासत से पारंपरिक बुद्धिमत्ता और ज्ञान को साझा करना चाहता है।
वे कहती हैं, “जिन चीजो ने हमें इन ब्रांडों को लॉन्च करने के लिए प्रेरित किया है, उनमें से एक है जिसे हमने व्यक्तिगत रूप से महसूस किया है, वो है उन चीजों की जरूरत जो हमने गायब पाई हैं। इसलिए गुड अर्थ सुव्यवस्थित रूप से घर के लिए सुंदर चीजों की खोज से सामने आया ब्रांड है। सुंदर शिल्प कौशल, शानदार गुणवत्ता, भारत में निर्मित और भारत में उपलब्ध की हमारी खोज गुड अर्थ शुरू करने का प्रमुख कारण थी।”
निकोबार के साथ, "हमने जो उपलब्ध था और जो हम खोजना पसंद करते थे, उसके बीच एक बड़ा अंतर पाया। पारो भी एक व्यक्तिगत खोज और गैप का परिणाम है।"
सिमरन का कहना है कि इन ब्रांडों में से प्रत्येक की अपनी-अपनी बिजनेस स्ट्रेटजी है क्योंकि प्रत्येक अलग हैं और एक अलग आवश्यकता को संबोधित करते हैं।
वे कहती हैं,
“गुड अर्थ के साथ, विकास बहुत व्यवस्थित रूप से हुआ। बाद में, ईकॉमर्स ने अंतर्राष्ट्रीय विकास का नेतृत्व किया। निकोबार डिजाइन को फैलाने के बारे में था; हमने काला घोड़ा में एक स्टोर और उसी दिन ऑनलाइन के साथ शुरू किया, इसलिए यह समान रूप से फिजिकल और डिजिटल था। पारो एक अद्वितीय, अनुभवात्मक ब्रांड है। यहां रणनीति हमारी पारंपरिक बुद्धिमत्ता और ज्ञान को साझा करने की है।"
सिमरन धन्य महसूस करती हैं कि उन्होंने अपने जेंडर के कारण किसी विशेष उद्यमी चुनौतियों का सामना नहीं किया है। हालांकि, वह कहती हैं कि उपभोक्ता आधार बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसके अलावा "अच्छे स्थानों की कमी और सही लोगों को ढूंढना" भी चुनौती है।
वे कहती हैं,
“ग्राहकों को ब्रांडों में खुशी और आनंद व्यक्त करने पर मुझे संतुष्टि मिलती है; जो वापस आते हैं और कहते हैं कि यह ब्रांड है जहां से किसी चीज को खरीदने का मन होता है, या यह कि आपके स्टोर में आने से मुझे खुशी महसूस होती है, या यह कि आपके ब्रांड ने जो कुछ भी किया, उसकी वजह से मैंने बहुत कुछ सीखा है ... ये वही हैं जिन्हें हम अपनी सबसे बड़ी सफलताओं के रूप में काउंट करते हैं।”