अनाथ बच्चों के लिए मसीहा बनीं ये वकील, फोर्ब्स मैगजीन ने '30 अंडर 30' में किया शामिल
पौलोमी पावनी शुक्ला अनाथ बच्चों के भले को लेकर आज एक बड़े और जरूरी मकसद के साथ आगे बढ़ रही हैं। उनके बेहतरीन कामों और प्रयासों के लिए कई उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है।
"पौलोमी को देश में अनाथ बच्चों की शिक्षा को लेकर किए गए उनके प्रयासों के चलते कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। अपने इन्हीं सामाजिक कार्यों के चलते पौलोमी को प्रतिष्ठित फोर्ब्स इंडिया पत्रिका ने साल 2021 में अपनी खास ‘30 अंडर 30’ सूची में जगह दी है।"
पौलोमी पावनी शुक्ला पेशे से एक वकील और लेखक होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। पौलोमी काफी समय से अनाथ बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं। उनका प्रमुख उद्देश्य हमेशा से यह रहा है कि सभी अनाथ बच्चों को जरूरी शिक्षा प्राप्त हो सके।
पौलोमी को उनके इस बेहतरीन काम के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। पौलोमी अनाथ बच्चों के भले को लेकर आज एक बड़े और जरूरी मकसद के साथ आगे बढ़ रही हैं।
बचपन में ही हुई शुरुआत
मीडिया से बात करते हुए पौलोमी ने बताया है कि समाज सुधार को लेकर उनकी यात्रा साल 2001 में शुरू हुई थी जब वह महज 9 साल की थीं। पौलोमी बताती हैं कि उनकी माँ हरिद्वार में जिलाधिकारी पद पर तैनात थीं और तब ही भुज में भीषण भूकंप आया था, जिसके बाद बड़े स्तर पर तबाही का मंजर देखने को मिला था।
इस प्राकृतिक तबाही में बड़ी तादाद में बच्चे अनाथ हो गए थे, तब हरिद्वार की सामाजिक संस्थाओं ने उन बच्चों की मदद का काम शुरू किया था, जिसके चलते बड़ी संख्या में अनाथ बच्चे भुज से हरिद्वार आए थे। पौलोमी के अनुसार उनकी माँ तब उन्हे इन बच्चों से मिलाने एक ऐसे ही अनाथालय लेकर गई थीं। हम उम्र होने के चलते पौलोमी उन बच्चों के साथ घुल मिल गईं और इस तरह वे उनके साथ ही मिलते-जुलते बड़ी हुईं।
असल में अनाथ बच्चों प्रति पौलोमी के भीतर यह स्नेह यहीं से उभरा और उन्होने तभी ऐसे बच्चों की मदद करने का प्रण अपने मन में ले लिया था।
अनुभव पर लिखी किताब
एक घटना का जिक्र करते हुए पौलोमी ने बताया कि जब वह कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं तब एक अनाथ लड़की ने उनके सामने यह इच्छा जाहिर की कि वह भी कॉलेज में पढ़ना चाहती है, उस लड़की ने पौलोमी को बताया कि उसने बोर्ड परीक्षा में भी बेहतर प्रदर्शन किया है।
इस दिशा में आगे जानकारी जुटाने पर पौलोमी को यह पता चला कि ऐसे बच्चों के लिए देश में कोई स्कॉलर्शिप प्रोग्राम या अन्य लाभकारी स्कीम नहीं है।
पौलोमी ने अनाथ बच्चों की मुश्किलों को समझने के लिए 11 राज्यों के अनाथालयों का दौरा किया और वहाँ के बच्चों से मुलाक़ात की। अपने इन अनुभवों को एक साथ जुटाते हुए अपने भाई के साथ मिलकर साल 2015 में उन्होने एक किताब भी लिखी।
’30 अंडर 30’ में मिली जगह
पौलोमी को देश में अनाथ बच्चों की शिक्षा को लेकर किए गए उनके प्रयासों के चलते कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। अपने इन्हीं सामाजिक कार्यों के चलते पौलोमी को प्रतिष्ठित फोर्ब्स इंडिया पत्रिका ने साल 2021 में ही अपनी खास ‘30 अंडर 30’ सूची में जगह दी है।
पौलोमी ने उत्तर प्रदेश में अनाथ बच्चों की सहायता के लिए कई अनाथालयों और राज्य सरकार के बीच एक टाई-अप भी कराया है।
शिक्षा पर ज़ोर
पौलोमी अनाथ बच्चों की शिक्षा को लेकर काफी सक्रिय हैं। वो ऐसे बच्चों के ट्यूशन और कोचिंग की फीस का इंतजाम करने में भी उनकी मदद करती हैं। पौलोमी अपने इस काम को पूरा करने के लिए क्षेत्रीय व्यवसायों से भी मदद लेती हैं ताकि इन अनाथ बच्चों को जरूरी किताबें व पढ़ाई का अन्य सामान उपलब्ध कराया जा सके।
पौलोमी के इस नेक काम में उनका परिवार उन्हे हर तरह से समर्थन देता है। पौलोमी चाहती हैं कि अगर लोग उन्हे जान रहे हैं तो लोग इन अनाथ बच्चों की कहानी भी जानें और उनके समर्थन में खड़े हों, क्योंकि ऐसे बच्चों के पास उनकी कोई आवाज नहीं है। पौलोमी लोगों से सामने आकर ऐसे बच्चों की आवाज़ बनने की अपील करती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi