कौन थे आरके कृष्णकुमार, जिनकी मौत पर रतन टाटा हुए भावुक; बोले- 'शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता दुख'
टाटा संस के वर्तमान चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने भी टाटा समूह में कृष्णकुमार के विशाल योगदान को याद करते हुए शोक व्यक्त किया.
रतन टाटा (Ratan Tata) के करीबी और टाटा समूह (Tata Group) में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे आरके कृष्णकुमार (RK Krishna Kumar) का रविवार शाम निधन हो गया. केरल में जन्मे कृष्णकुमार ने टाटा समूह में कई पदों पर काम किया था, जिसमें इसकी आतिथ्य शाखा ‘इंडियन होटल्स’ के प्रमुख का पद भी शामिल था. वह 84 वर्ष के थे. अधिकारियों के मुताबिक, ‘पद्मश्री’ से सम्मानित कृष्णकुमार को रविवार को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई स्थित उनके घर पर दिल का दौरा पड़ा.
अपने सहयोगी आरके को याद करते हुए रतन टाटा ने कहा, ‘‘मेरे दोस्त और सहयोगी श्री आर के कृष्णकुमार के निधन पर मुझे जो दुख हुआ है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. समूह के भीतर और व्यक्तिगत रूप से हमने जो सौहार्दपूर्ण रिश्ते साझा किए, वो हमेशा मुझे याद रहेंगे. वह, टाटा समूह के सच्चे सिपाही थे. टाटा समूह और टाटा ट्रस्ट के वफादार हमेशा सभी को बहुत याद आएंगे.’’
25 की उम्र में जुड़े टाटा से
आरके कृष्णकुमार का जन्म केरल के थलास्सेरी में हुआ था. उन्होंने चेन्नई में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज हायर सेकेंडरी स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई की. उनके पिता चेन्नई में पुलिस कमिश्नर थे. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन लोयोला कॉलेज, चेन्नई से की. इसके बाद उन्होंने अपनी मास्टर्स डिग्री भी मद्रास यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंसी कॉलेज से ही की. वह टाटा संस के डायरेक्टर रहे. सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी रहे. टाटा प्रशासनिक सेवा के सदस्य रहे.
25 साल की उम्र में साल 1963 में उन्होंने टाटा एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज जॉइन की थी. उनकी नियुक्ति टाटा इंडस्ट्रीज में हुई थी, जहां उन्होंने दो साल काम किया. वर्ष 1965 में उनका टाटा ग्लोबल बेवरेजेस में ट्रांसफर हो गया. उन्होंने कंपनी को टाटा टी के रूप में रि-ब्रैंड करने का काम किया. साल 1988 में वह Tata Tea के जॉइंट एमडी और 3 साल बाद एमडी बने. उन्होंने 1997 तक यह जिम्मेदारी संभाली.
इंडियन होटल कंपनी का किया नेतृत्व
कुमार ने 1997 से 2002 तक इंडियन होटल कंपनी का नेतृत्व किया. वह 1997 में इंडियन होटल कंपनी में एमडी के तौर पर जुड़े थे और उन्होंने अजीत केरकर को रिप्लेस किया था. 1997 में ही वह टाटा टी के वाइस चेयरमैन भी बने. इसके बाद वह 2002 में टाटा संस लिमिटेड के निदेशक मंडल में शामिल हुए और जुलाई 2013 में अपने रिटायरमेंट तक उसमें रहे. 2002 में टाटा संस के निदेशक मंडल से जुड़ने के एक वर्ष बाद ही उन्होंने वापस इंडियन होटल कंपनी को वाइस चेयरमैन और एमडी के रूप में जॉइन कर लिया. वह साल 2013 तक इंडियन होटल्स के वाइस चेयरमैन के पद पर रहे. टाटा ग्रुप में अपनी 50 साल की सेवाएं देने के बाद 75 साल की उम्र में वे साल 2013 में रिटायर हुए थे.
कहा जाता है कि आरके कृष्णकुमार के करियर में महत्वपूर्ण मोड़ 1982 में आया, जब वह टाटा कंज्यूमर में वरिष्ठ प्रबंधन टीम का हिस्सा बने. इसके बाद से उनके और रतन टाटा के बीच सीधी बातचीत शुरू हुई. यह भी कहा जाता है कि 1997 में असम संकट के दौरान, जब टाटा कंज्यूमर के कुछ कर्मचारियों को उग्रवादी ग्रुप उल्फा ने बंधक बना लिया था, उस दौरान कृष्णकुमार रतन टाटा के इंटरनल सर्कल का हिस्सा बने.
ग्लोबल ब्रांड Tetley के अधिग्रहण के पीछे थी जिसकी लगन
साल 2000 के फरवरी महीने में टाटा समूह (Tata Group) ने ग्लोबल ब्रांड टेटली को खरीदकर इतिहास रच दिया था. यह डील 27.1 करोड़ ब्रिटिश पाउंड की रही थी. इस रणनीतिक प्रयास की अगुवाई कंपनी के चेयरमैन दरबारी सेठ और आरके कृष्ण कुमार ने की थी. आरके कृष्ण कुमार को केके के नाम से जाना जाता था. 1990 के दशक में केके, टाटा टी के प्रबंध निदेशक थे. केके ही थे, जिन्होंने विशाल वैश्विक चाय बाजार में संभावनाओं को देखते हुए एक ऐसी भारतीय कंपनी का सपना देखा, जो पूरी दुनिया पर अपनी छाप छोड़े. उन्हीं की लगन और दूरदर्शिता का परिणाम था कि टेटली आखिरकार टाटा की झोली में आ ही गई.
साइरस मिस्त्री की बर्खास्तगी से भी ताल्लुक
कृष्णकुमार कार्यकारी भूमिकाओं से अपनी सेवानिवृत्ति के बाद टाटा ट्रस्ट के साथ सक्रिय थे और कथित तौर पर उस टीम का हिस्सा थे, जिसने साइरस मिस्त्री को हटाने के प्रकरण में रतन टाटा के साथ काम किया था. टाटा संस के वर्तमान चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने भी टाटा समूह में कृष्णकुमार के विशाल योगदान को याद करते हुए शोक व्यक्त किया. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ट्वीट किया कि थलास्सेरी में जन्मे कृष्णकुमार ने राज्य के साथ समूह के संबंधों को मजबूत करने में मदद की. मुख्यमंत्री ने उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की.