Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

बस स्टैंड पर एक छोटे ढाबे से शुरुआत करने वाले लुधियाना के इस उद्ममी ने आज खड़ा कर दिया 33,000 वर्ग गज का रिज़ॉर्ट

एक छोटे ढाबे से 33,000 वर्ग गज का रिज़ॉर्ट खोलने तक, लुधियाना के इस उद्यमी ने कैसे चखा सफलता का स्वाद

बस स्टैंड पर एक छोटे ढाबे से शुरुआत करने वाले लुधियाना के इस उद्ममी ने आज खड़ा कर दिया 33,000 वर्ग गज का रिज़ॉर्ट

Monday September 13, 2021 , 6 min Read

38 वर्षीय अंकुश कक्कड़ ने महज 13 साल की छोटी उम्र में ही अपने पिता के लुधियाना स्थित ऊनी शॉल व्यवसाय को चलाने में उनकी मदद करनी शुरू कर दी थी। अंकुश के परिवार की आय स्थिर नहीं थी, जिसके चलते उनके पिता के लिए किसी आदमी को नौकरी पर रखना उस वक्त संभव नहीं था। इसीलिए अंकुश ने उस छोटी उम्र में ही अपने पिता के मदद करने की जिम्मेदारी ली।


पुराने दिनों को याद करते हुए अंकुश कहते हैं कि परिवार को काफी संघर्ष करना पड़ा और उन्हें अपनी पढ़ाई और बिजनेस दोनों को एक साथ मैनेज करना पड़ा। स्कूल खत्म होते ही, वह अपने पिता की दुकान पर जाते और ग्राहकों को उत्पादों की आपूर्ति में मदद करते और लगातार दो वर्षों तक इसी तरह वह काम करते रहे।


उन्होंने उसी दौरान महसूस किया कि व्यापार को आर्थिक रूप से स्थिर बनाने के लिए कुछ करने की जरूरत है। इसलिए, 2000 में तीन साल बाद, पिता-पुत्र की जोड़ी ने लुधियाना बस स्टैंड के पास एक ढाबा स्थापित करने का फैसला किया। अंकुश तब बारहवीं कक्षा में थे और उन्होंने तब तक व्यवसाय चलाने का कौशल हासिल कर लिया था।


वह उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं, “हमें एक छोटी सी जमीन मिली थी, जहां हमने ढाबा शुरू किया और हम बस और ट्रक ड्राइवरों को खाना खिलाते थे। इससे हमें इतना फायदा हुआ कि दो से तीन साल के भीतर, हमने 20 कमरों का एक छोटा होटल बनाने के लिए एक और जमीन खरीदा।”

क

ट्रीओइस रिज़ॉर्ट, बद्दी, हिमाचल प्रदेश

इस तरह उनकी स्थिति अच्छी होती गई और 2006 में अंकुश और उनके पिता ने लुधियाना में एक और होटल खरीदा। बिजनेस को बड़ा करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने एक और छलांग लगाई और 2020 में हिमाचल प्रदेश के बद्दी में ट्रीओइस (treeoise) नाम से एक 33,000 वर्ग गज का रिजॉर्ट खोला।

ट्रीओइस को बनाना

बस स्टैंड पर ढाबा चलाने से लेकर प्रीमियम रिसॉर्ट खड़ा करने तक अंकुश ने लंबा सफर तय किया है। लगभग कुछ साल पहले, उन्होंने ज्योतिष का औपचारिक अध्ययन किया और अब वह शहर के एक प्रसिद्ध ज्योतिषी भी हैं।


उनका कहना है कि उन्होंने अपनी साल भर की बचत और लुधियाना स्थित अपने होटल व्यवसाय से होने वाली कमाई से रिजॉर्ट में लगभग 3 करोड़ रुपये का निवेश किया।


20 कमरों वाले इस रिज़ॉर्ट को लीज पर ली हुई संपत्ति पर बनाया गया है। इसमें चार बैंकेट हॉल, चार कॉटेज, एक रेस्तरां, एक रेस्टो-बार, कैफे, जिम, प्ले ज़ोन और एक आउटडोर बैठने की जगह भी है।


उन्होंने 2019 में ही ट्रीओइस शुरू करने के बारे में पहली बार सोचा और फिर 28 फरवरी, 2020 को इसका उद्घाटन हुआ। अंकुश का कहना है कि जब उन्होंने ट्रीओइस को शुरू किया, तब उनका लुधियाना में 42-बेड का एक और होटल चल रहा था।


ट्रीओइस बद्दी में हेल्थकेयर इंडस्ट्रियल एरिया के आसपास पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहां अंकुश का कहना है कि वह लेमन ट्री और सरोवर पोर्टिको सहित जैसे बड़े ब्रांड के साथ प्रतिस्पर्धा के बीच काम करते है।

महामारी के असर से निकलना

अंकुश ने फरवरी 2020 में जब ट्रीओइस रिसॉर्ट का उद्घाटन किया, तो उन्हें अंदाजा नहीं था कि कि कोरोना महामारी व्यवसाय को डूबने की ओर अग्रसर होगी।


वह योरस्टोरी को बताते हैं,

“मुझे याद है 22 मार्च, 2020 को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 'जनता कर्फ्यू' लगाया था। हमें तभी आभास हो गया था लंबे समय के लिए लॉकडाउन लगाया जाने वाला है। हमने रिसॉर्ट में रहने वाले कर्मचारियों को जरूरी सामान से बचाया; हालांकि, क्रमिक लॉकडाउन के चलते हमें गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।”


होटल इंडस्ट्री कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में पूरे भारत के होटलों में ऑक्यूपेंसी रेट 34.5 फीसदी था, जबकि साल की शुरुआत 57 फीसदी ऑक्यूपेंसी के साथ हुई थी।


यह 2019 की पहली तिमाही की तुलना में काफी कम था जब लगभग 70 प्रतिशत कमरों पर कब्जा था। लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों के कारण दूसरी तिमाही में यह दर गिरकर 15 फीसदी पर आ गई। हालांकि उस वर्ष के अंत में, ऑक्यूपेंसी धीरे-धीरे फिर से बढ़ने लगी थी। अंकुश का कहना है लॉकडाउन के दौरान रिजॉर्ट के अपने 35 कर्मचारियों की मदद के लिए लुधियाना से 120 किलोमीटर दूर स्थित बद्दी की यात्रा करना चुनौतीपूर्ण कार्य था।


वे कहते हैं,

“हमने सभी कर्मचारियों को आवासा मुहैया कराया। इसलिए कोई भी घर नहीं गया, लेकिन उन तक पहुंचना एक काम था। किसी तरह, सरकारी अनुमति लेने के बाद, मैं इसे संभाल पाया। हालांकि व्यापार बिल्कुल ठप था।”


दो से तीन महीने के लॉकडाउन के बाद जब अंकुश ने क्वारंटीन जोन के रूप में जगह की पेशकश की तो ट्रीओइस रिसॉर्ट का संचालन शुरू हो सका। “हमने पास के मल्होत्रा अस्पताल के साथ करार किया, जो उन रोगियों को रेफर करते थे, जिन्हें हमारी क्वारंटीन सुविधा की जरूरत थी।”

क

रिज़ॉर्ट का कैफे और रेस्तरां

जैसे ही लॉकडाउन हटाया गया, ट्रीओइस का संचालन सुचारू रूप से चलने लगा। अंकुश का दावा है कि मार्च 2021 तक, ट्रीओइस रिसॉर्ट की बिक्री 1.2 करोड़ रुपये थी और उन्होंने 13.44 लाख रुपये का शुद्द लाभ दर्ज किया।


कई पंजाबी गानों के वीडियो शूट करने के लिए इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री ने भी इस रिजॉर्ट को किराए पर लिया था।

आगे की राह

भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए, अंकुश कहते हैं कि वह रिसॉर्ट को और विकसित करना चाहते है और जल्द ही परिसर में एक स्पा और अगले साल की शुरुआत में एक स्विमिंग पूल खोलने की योजना बना रहे हैं।

क

रिज़ॉर्ट का बैंकेट हॉल

वह अपने पिता के पुराने शॉल व्यवसाय को और आगे बढ़ाने के लिए अगले साल तक एक शॉल फैक्ट्री खोलने की योजना बना रहे हैं, जो अभी भी उनके पिता द्वारा चलाया जाता है और लुधियाना की व्यस्त गलियों में स्थित छोटी दुकान से संचालित होता है।


अपनी अब तक की उद्यमशीलता की यात्रा के बारे में पूछे जाने पर, अंकुश ने अपनी मूल भाषा, पंजाबी में एक मुहावरा सुनाया, जो उनकी अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी को बताती है।


"जमदे कोई पेड़ नहीं हुंडा, बंदा बीज तो ही है (कोई भी बड़े पेड़ के रूप में पैदा नहीं होता है, उसे बीज के जरिए ही पलना-बढ़ना होता है)।" 


Edited by Ranjana Tripathi