साइकिल पर मसाले बेचने से लेकर 154 करोड़ रुपये के रेवेन्यू वाली कंपनी बनने तक: 'बादशाह मसाला' की कहानी
“स्वाद सुगंध का राजा, बादशाह मसाला !!”
ऊपर दी गई ये टैगलाइन कुछ जानी पहचानी लग रही है न? हम सभी इस जिंगल विज्ञापन को सुनते हुए और टीवी विज्ञापन में दिखाई गई डिशेस पर लार टपकाते हुए बड़े हुए हैं। हाल ही में, कई इंस्टाग्राम इनफ्लूएंसर्स ने इस जिंगल विज्ञापन को अपनी तरह से इस्तेमाल किया है और 90 के दशक में रेडियो और टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले इस विज्ञापन की यादों को फिर से ताजा कर दिया।
यह ब्रांड 1958 में अपनी स्थापना के बाद से अपने ग्राहकों का दिल जीत रहा है, लेकिन फिर भी बहुत से लोग भारत की सबसे पुरानी मसाला कंपनियों में से एक के पीछे के व्यक्ति को नहीं जानते हैं। योरस्टोरी ने मेड इन इंडिया ब्रांड की विरासत को समझने के लिए दूसरी पीढ़ी के उद्यमी और बादशाह मसाला के प्रबंध निदेशक हेमंत झावेरी के साथ बातचीत की और यह समझने की कोशिश की कि वित्त वर्ष 20-21 में 154 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली ये कंपनी समय के साथ प्रासंगिक कैसे बनी रही।
छोटा व्यवसाय, बड़े अवसर
बादशाह मसाला की कहानी 1958 की है जब जवाहरलाल जमनादास झावेरी ने मुंबई में सिर्फ गरम मसाला और चाय मसाला के साथ कारोबार शुरू किया था।
हेमंत योरस्टोरी को बताते हैं, “मेरे पिता सिगरेट बेचने के लिए इस्तेमाल होने वाले टिन के डिब्बे इकट्ठा करते थे। फिर उन्हें साफ करते, उन पर लगे लेबल छुटाते, और उनमें मसाला पैक कर बेचते थे। अपनी साइकिल पर सवार होकर, वह उन्हें आस-पास के इलाकों में बेच देते थे।” मसाला जल्दी लोकप्रिय हो गया, वे कहते हैं, "एक क्वालिटी प्रोडक्ट को सफलता मिलने में देर नहीं लगती।"
जवाहरलाल जमनादास ने इसके बाद मुंबई के एक उपनगर घाटकोपर में एक छोटी इकाई की स्थापना की, जिसे गुजरात के उम्बर्गों में 6,000 वर्ग फुट के बड़े कारखाने में अपग्रेड होने में देर नहीं लगी। फिर, कंपनी ने पाव भाजी मसाला, चाट मसाला और चना मसाला पेश करने के लिए अपनी ऑफरिंग का विस्तार किया।
जवाहरलाल जमनादास ने 1996 तक सफलतापूर्वक व्यवसाय चलाया, लेकिन उनके आकस्मिक निधन के बाद, उनके बेटे हेमंत ने बागडोर संभाली।
हेमंत कहते हैं, “मैंने कॉलेज के ठीक बाद 1994 में व्यवसाय में प्रवेश किया था और अपने पिता से व्यावसायिक कौशल हासिल किया था। मैं 23 साल का था जब उनका निधन हो गया, लेकिन मैं उनकी विरासत को आगे ले जाने के लिए दृढ़ था।”
हेमंत के व्यवसाय में शामिल होने के बाद, उनका सबसे महत्वपूर्ण कदम कंपनी की पहुंच बढ़ाना था। उन्होंने पूरे देश में अपनी पहुंच का विस्तार किया और आज बादशाह मसाला 20 से अधिक देशों में निर्यात किया जाता है। यह ब्रांड 450 वितरकों के वितरक नेटवर्क के साथ सुपरमार्केट, स्थानीय किराना स्टोरों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी खास पहुंच रखता है।
बाजार
बादशाह मसाला छह श्रेणियों में काम करता है और इसके लगभग 60 एसकेयू हैं जहां यह हर महीने 400-500 टन मसालों का उत्पादन करता है। हेमंत का कहना है कि वसंत मसाला, पुष्प मसाला, महाशियान दी हट्टी लिमिटेड (एमडीएच), एवरेस्ट फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, मदर स्पाइस लिमिटेड, आदि के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए, ब्रांड मसाला उद्योग में 35 प्रतिशत का योगदान देता है।
हालांकि, उन्होंने महामारी के दौरान बिक्री में भारी गिरावट देखी।
उन्होंने बताया, “लॉकडाउन के दौरान, कई लोग घर पर खाना बनाने में शामिल हुए। इस दौरान रेस्तरां बंद हो गए, क्लाउड किचन उफान पर आ गए। यह एक ऐसा समय था जब बादशाह मसाला ने महसूस किया कि यह उनके व्यापार करने के पारंपरिक तरीके को छोड़ने और ऑनलाइन बिक्री के साथ शुरू करने का समय है।”
आईबीईएफ के अनुसार, भारत मसालों का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है; देश अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) द्वारा सूचीबद्ध 109 किस्मों में से लगभग 75 किस्मों का उत्पादन करता है और मसालों में वैश्विक व्यापार का आधा हिस्सा भारत से आता है।
आगे का रास्ता
हेमंत का कहना है कि हालांकि उन्हें व्यवसाय को बढ़ाने और इसका विस्तार करने में किसी भी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा, हालांकि, महामारी की अवधि कठिन थी। भविष्य में, वह अपने मसाला साम्राज्य में विविधता लाने और विस्तार करने की योजना बना रहे हैं, और बादशाह मसाला को आरटीई (रेडी टू ईट) और अचार सेगमेंट में लाने की योजना बना रहे है।
उन्होंने कहा, “इसके अलावा, हम बादशाह मसाला में प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने और एक सुरक्षित और अधिक सुसंगत उत्पाद के लिए मैनुअल काम के बड़े हिस्से को कम करने के लिए ऑटोमैशन शुरू करने की योजना बना रहे हैं। दुनिया भर में भारतीय व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने की खोज पूरी गति से जारी रहेगी।”
होम शेफ और क्लाउड किचन जैसे नए तरीकों से मांग में लगभग समान बदलाव के साथ, हेमंत का लक्ष्य ऑफलाइन और ऑनलाइन टारगेट ऑडियंस को संतुलित करना है।
Edited by Ranjana Tripathi