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सिर्फ FTX के सैम बैंकमैन-फ्राइड ही नहीं, ये है इतिहास में अब तक के पांच सबसे बड़े सीईओ फ्रॉड

आज यहां हम आपको इतिहास के पांच सबसे बड़े सीईओ फ्रॉड के बारे में बताने जा रहे हैं...

सिर्फ FTX के सैम बैंकमैन-फ्राइड ही नहीं, ये है इतिहास में अब तक के पांच सबसे बड़े सीईओ फ्रॉड

Sunday December 25, 2022 , 6 min Read

डिजिटल-एसेट एक्सचेंज FTX के पूर्व सीईओ और फाउंडर सैम बैंकमैन-फ्राइड को मैनहटन की अदालत ने 25 करोड़ डॉलर के बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने और अपने घर पर नजरबंद रहने की अनुमति दे दी है. उन्हें बीते 13 दिसंबर को बहामास में गिरफ्तार किया गया था.

फ्राइड पर अपने FTX ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के जरिये उपभोक्ताओं के धन की ‘लूट’ के आरोपों का मुकदमा चल रहा है. सहायक अमेरिकी अटॉर्नी निकोलस रूस ने संघीय अदालत में कहा कि 30 वर्षीय बैंकमैन-फ्राइड ने एक बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम दिया.

FTX के पूर्व सीईओ और फाउंडर सैम बैंकमैन-फ्राइड

FTX के पूर्व सीईओ और फाउंडर सैम बैंकमैन-फ्राइड

रूस ने 25 करोड़ के बॉन्ड के साथ सख्त जमानत शर्तों का प्रस्ताव किया. साथ ही उन्होंने फ्राइड को उनके माता-पिता के घर पालो आल्टो में नजरबंद करने का आग्रह किया.

रूस ने कहा कि बैंकमैन फ्राइड को जमानत मिलने की महत्वपूर्ण वजह यह रही है कि वह अभी बहामास में जेल हैं और अमेरिका में प्रत्यर्पण के लिए सहमत हो गए हैं.

क्रिप्टो जगत का ‘जेफ बेजोस’ कहे जाने वाले और SBF नाम से मशहूर FTX के फाउंडर सैम बैंकमैन-फ्राइड को एक बार "अगला वॉरेन बफे" करार दिया गया था और वह दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरंसी एसेट चला रहे थे.

एक वक्त पर उनकी नेटवर्थ 26.5 अरब डॉलर तक पहुंच गई थी. लेकिन FTX के पतन की ख़बरें सामने आने के कुछ ही दिनों बाद, जीरो हो गई थी. इसे इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक बताया जा रहा है.

इसके साथ, SBF उन सीईओ, हेड और फाउंडर्स की लंबी लिस्ट में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने लोगों का पैसा लूटा. आज यहां हम आपको इतिहास के पांच सबसे बड़े सीईओ फ्रॉड के बारे में बताने जा रहे हैं...

बर्नी मैडॉफ

बर्नी मैडॉफ (Bernie Madoff) एक अमेरिकी फाइनेंसर थे जिन्होंने इतिहास की सबसे बड़ी पोंजी (Ponzi) स्कीम चलाई थी. उन्होंने 17 साल में हजारों निवेशकों से 65 अरब डॉलर से अधिक की धोखाधड़ी की. इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के अग्रणी माने जाने वाले मैडॉफ ने 1990, 1991 और 1993 में Nasdaq के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.

बर्नी मैडॉफ

बर्नी मैडॉफ

उनकी कंपनी Bernard L Madoff Investment Securities LLC ने "हाई रिटर्न" की गारंटी दी, लेकिन निवेशकों को कभी भी रिटर्न का कोई भौतिक प्रमाण नहीं दिया गया.

2008 में, मैडॉफ पर धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, झूठी गवाही और चोरी के 11 मामलों का आरोप लगाया गया था. उन्हें 150 साल की जेल की सजा दी गई थी. उन्हें 170 अरब डॉलर का नुकसान भी उठाना पड़ा था.

क्रॉनिक किडनी डिजीज से 14 अप्रैल, 2021 को मैडॉफ का निधन हो गया.

एलिजाबेथ होम्स

एलिजाबेथ होम्स (Elizabeth Holmes) ने थेरानोस (Theranos) की स्थापना की, एक स्टार्टअप जिसने कई डायग्नोस्टिक्स टेस्ट चलाने में सक्षम होने का दावा किया और रक्त की एक बूंद से सटीक परिणाम प्राप्त किए. इसके लिए कंपनी ने एक कॉम्पैक्ट मशीन का आविष्कार करने का वादा किया.

एलिजाबेथ होम्स

Theranos की फाउंडर एलिजाबेथ होम्स

"नैक्स्ट-लेवल" टेक्नोलॉजी और मशीन वास्तव में कभी नहीं बनाई गई थी. होम्स ने नियामकों और निरीक्षकों को झूठी रिपोर्टें दिखाना जारी रखा. कंपनी ने कई Walgreens स्टोर्स पर अपने डिवाइस भी इंस्टॉल किए.

होम्स इतिहास में सबसे कम उम्र की महिला अरबपति बनीं.

2015 में, वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट ने लोगों को थेरानोस द्वारा इस्तेमाल की जा रही तकनीक और चिकित्सा पद्धतियों पर सवाल उठाया. यह सच सामने आया कि होम्स ने स्पष्ट रूप से झूठ बोला था.

कंपनी पर 700 मिलियन डॉलर से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था. नवंबर में, निवेशकों को धोखा देने के लिए होम्स को 11 साल की जेल की सजा दी गई थी.

ट्रेवर मिल्टन

ट्रेवर मिल्टन (Trevor Milton) ने 2014 में निकोला मोटर (Nikola Motor) की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य बैटरी और हाइड्रोजन पर चलने वाले सेमी ट्रक बनाना था. मिल्टन ने दावा किया कि उनकी कंपनी 2014 में शून्य-उत्सर्जन (zero-emission) ट्रक बना सकती है. दुनिया की अधिकांश प्रमुख ऑटो कंपनियों को अपेक्षाकृत नई और अनसुनी कंपनी ने झटका दिया.

ट्रेवर मिल्टन

Nikola Motor के फाउंडर ट्रेवर मिल्टन

केवल दो वर्षों में, 2016 में, कंपनी ने अपने निकोला वन ट्रक को लॉन्च किया, जिसे हाइड्रोजन ईंधन-सेल संचालित जनरेटर द्वारा ईंधन दिया गया था. मिल्टन ने एक भव्य समारोह में ट्रक को लॉन्च किया. हालाँकि, जल्द ही रिपोर्टें सामने आईं कि ट्रक नहीं चल सकता था और यह धातु की चादरों से बना एक मॉडल था.

जल्द ही, कंपनी ने हाईवे पर दौड़ते ट्रक का वीडियो जारी किया. बाद में, एक मुखबिर ने मीडिया को बताया कि वीडियो शूट करने के लिए ट्रक को एक पहाड़ी की चोटी से छोड़ा गया था. यह वास्तव में चालू नहीं था.

मिल्टन ने बड़े-बड़े वादे करना जारी रखा लेकिन एक भी प्रोडक्ट नहीं दे सके. 2020 में उन्होंने सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया था. अक्टूबर में, उन्हें कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ाने के लिए धोखाधड़ी और हेरफेर के तीन आरोपों में दोषी पाया गया था. 2020 में अपने चरम पर, कंपनी का मार्केट कैप 21 बिलियन डॉलर से अधिक था.

मार्कस ब्रौन

मार्कस ब्रौन (Markus Braun) जर्मनी की सबसे बड़ी फाइनेंस कंपनियों में से एक वायरकार्ड (Wirecard) के सीईओ थे. कंपनी ने 2010 के दशक में दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट फर्मों में से एक बनकर प्रसिद्धि हासिल की.

मार्कस ब्रौन

Wirecard के सीईओ मार्कस ब्रौन

2020 में, फर्म के ऑडिटर्स ने बताया कि कंपनी के लेजर से 2 बिलियन डॉलर गायब थे. रिपोर्टों ने जर्मन नियामक की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, जिसने कथित तौर पर एक दशक से अधिक समय तक कंपनी के व्यवहार के बारे में सवालों की अनदेखी की. कंपनी ने दिवालिया घोषित कर दिया.

ब्रौन ने 2020 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उन पर वायरकार्ड के दो अन्य पूर्व अधिकारियों के साथ फंर्जी अकाउंटिंग के जरिए 3.7 बिलियन डॉलर के लेनदारों को धोखा देने का आरोप लगाया गया. यह भी दावा किया गया था कि कंपनी ने बढ़ी हुई इनकम की सूचना दी थी.

इस मामले ने जर्मन के साथ-साथ यूरोपीय नियामकों को भी झकझोर कर रख दिया. ब्रौन वर्तमान में ट्रायल के दौर से गुजर रहे हैं. यह अनुमान है कि यह लगभग 4 बिलियन डॉलर का फ्रॉड है.

एनरॉन कॉर्पोरेशन

1996 से 2001 तक लगातार पांच वर्षों तक "अमेरिका की सबसे इनोवेटिव कंपनी" का पुरस्कार अपने नाम करने वाली कंपनी एनरॉन कॉर्पोरेशन (Enron Corporation) वॉल स्ट्रीट की प्रिय थी. अपनी वैल्यूएशन के चरम पर, यह संयुक्त राज्य अमेरिका की सातवीं सबसे बड़ी कंपनी थी.

सालों तक यह निवेशकों को बेवकूफ बनाती रही. 2001 में, यह पता चलने के बाद कि कंपनी मुनाफे को बढ़ाने के लिए शेल कंपनियों में अपने सभी घाटे को छुपा रही थी, कंपनी कंगाल हो गई. केवल चार महीनों में, कंपनी के शेयर की कीमत 90 डॉलर प्रति शेयर से गिरकर 26 सेंट हो गई.

इस घोटाले के परिणामस्वरूप 74 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. ऑडिटिंग फर्म Arthur Anderson को भी इसके साथ घसीटा गया क्योंकि एनरॉन का मामला सामने आने के बाद इसने अपने अधिकांश ग्राहकों को खो दिया. सीईओ जेफरी स्किलिंग (Jeffrey Skilling) सहित कंपनी के कई अधिकारियों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था.