लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी देने के आदेश पर SC की रोक, निजी कंपनियों पर नहीं होगी कानूनी कार्रवाई
पीएम मोदी ने भी कंपनियों से उनके कर्मचारियों को नौकरी से न निकालने और उनकी सैलरी ना काटने की अपील की थी।
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच कंपनियों और उद्योगों को उनके कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने वाले आदेश पर सर्वोच्च अदालत ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कर्मचारियों को पूरी सैलरी न देने वाली कंपनियों पर अगले सप्ताह तक कोई कार्यवाही ना की जाए।
इसके पहले गृह मंत्रालय ने आदेश दिया था लॉकडाउन के दौरान निजी कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को पूरी सैलरी देंगी और ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है, वहीं इसी के साथ पीएम मोदी ने भी कंपनियों से उनके कर्मचारियों को नौकरी से न निकालने और उनकी सैलरी न काटने की अपील की थी।
इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन की ओर से दाखिल की गई थी, इस अर्जी में गृह मंत्रालय के आदेश को एकतरफा बताया गया था और कहा गया था कि आदेश में कंपनियों की वित्तीय स्थिति को नज़रअंदाज किया गया है।
इसी के साथ अर्जी में यह भी कहा गया है कि सरकार इन कंपनियों पर पूरा बोझ डाल रही है, जबकि उसकी तरफ से कामगारों के हित के लिए इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया है। अर्जी में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कंपनियों को अधिकार है कि वे बिना काम के कोई भुगतान ना करें।
दलील में इन वर्करों की मदद के लिए सरकार द्वारा ईएसआईसी कि रकम का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने देश में उद्योगों को बल देने और उनकी स्थिति सुधारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है।