[फंडिंग अलर्ट] स्पेसटेक स्टार्टअप अग्निकुल ने प्री-सीरीज ए फंडिंग में जुटाए 23.4 करोड़ रुपये
चेन्नई स्थित स्पेसक्राफ्ट स्टार्टअप अग्निकुल (Agnikul) ने प्री-सीरीज ए फंडिंग राउंड में पी वेंचर्स (pi Ventures) के नेतृत्व में 23.4 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस राउंड में हरि कुमार (लायनरॉक कैपिटल), अर्थ वेन्चर्स, लेट्सवेन्चर, ग्लोबवेस्टर, CIIE.CO और मौजूदा निवेशक स्पेशल इनवेस्ट ने भी भाग लिया।
आपको बता दें कि अग्निकुल ने 3डी प्रिंटेड सिंगल-पीस रॉकेट इंजन का निर्माण किया है, और इस फंडिंग को ग्राउंड टेस्टिंग, फैब्रिकेशन, और टीम विस्तार के लिए उपयोग करने की योजना है।
अग्निकुल के सह-संस्थापक और सीईओ श्रीनिक रविचंद्रन ने कहा,
“हमने अग्निकुल को इस सपने के साथ शुरू किया था ताकि हम स्पेस को हर किसी की पहुंच के भीतर ला सकें। हम ऐसा करने के लिए एक फुर्तीला, विश्वसनीय और मॉड्यूलर रॉकेट बना रहे हैं जो डिमांड होने पर अंतरिक्ष में छोटे सैटेलाइट को रख सकते हैं। निवेश का यह दौर हमारी यात्रा के लिए एक सार्थक वेग बढ़ाने वाला है, और इससे हमें कक्षा के बहुत करीब आने में सीधे मदद मिलेगी।"
आईआईटी-मद्रास के नेशनल सेंटर फॉर कम्बशन रिसर्च से ऑपरेट करते हुए, अग्निकुल वर्तमान में 100 किलो तक की पेलोड क्षमता वाला एक उपग्रह प्रक्षेपण यान का निर्माण कर रहा है। यह यान ज्यादा खर्च को प्रभावित किए बिना 30-100 किलोग्राम के पेलोड रेंज को सपोर्ट कर सकता है।
पी वेंचर्स के फाउंडिंग पार्टनर मनीष सिंघल ने कहा,
“मैंने हमेशा माना है कि भारत में न केवल डिजिटल डोमेन में, बल्कि उससे परे भी विश्व को पीछे छोड़ने वाले आईपी और उत्पाद बनाने की क्षमता और प्रतिभा है। यदि सही तरह से किया जाता है, तो मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि भारत एक वैश्विक मंच पर नवाचार में अग्रणी हो सकता है। हमें इस यात्रा पर श्रीनाथ और मोइन के साथ साझेदारी करने पर गर्व है, और विश्वास है कि अग्निकुल भारत से आने वाले विश्व स्तरीय नवाचार का एक बड़ा उदाहरण हो सकता है।"
रॉकेट इंजन का निर्माण करने वाली दुनिया की एकमात्र कंपनी अग्निकुल है, जिसे 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके एक ही पीस में प्रिंट किया जा सकता है। चूंकि इंजन पूरी तरह से 3डी प्रिंटेड है, इसलिए पारंपरिक रॉकेट इंजनों से जुड़ी विनिर्माण जटिलता को डिजाइन में ले जाया जाता है, जिससे यह एक आसान और सस्ती निर्माण प्रक्रिया हो जाती है जो मांग पर कुछ हफ्तों के भीतर लॉन्च व्हीकल को डिलीवर करने में सक्षम होगी।
कहा जा रहा है कि कई निजी कंपनियों के चलते स्पेस इंडस्ट्री विश्व स्तर पर 350 बिलियन डॉलर को छूने जा रही है। रॉकेट वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और निवेशकों की अग्निकुल की विविध टीम अंतरिक्ष को सुगम और सस्ता बनाने की अश्व-दृष्टि पर काम कर रही है।