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फ्यूचर ऑफ वर्क 2020: आमोद मालवीय ने बताई वो 5 रणनीति, जिससे उड़ान ने छोटी टीम के जरिए भरी तेज रफ्तार

फ्यूचर ऑफ वर्क 2020: आमोद मालवीय ने बताई वो 5 रणनीति, जिससे उड़ान ने छोटी टीम के जरिए भरी तेज रफ्तार

Friday February 28, 2020 , 7 min Read

क्या आप जानते हैं कि B2B ईकॉमर्स मार्केटप्लेस उड़ान में कोई टाइटल नहीं हैं? कभी फ्लिपकार्ट से जुड़े रहे अमोद मालवीय, वैभव गुप्ता, और सुजीत कुमार की तिकड़ी ने 2016 में बेंगलुरु में इस कंपनी को शुरू किया। ये तीनों खुद को कंपनी के को-फाउंडर के रूप में पेश करते हैं, न कि CTO, CEO या इसी तरह के किसी दूसरे टाइटल के साथ, जैसा बाकी कंपनियों में देखने को मिलता है।


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Future of work 2020 के दौरान उड़ान के कॉ-फाउंडर अमोद मालवीय



इन्होंने टाइटल की जगह समस्याओं को हल करने और नतीजों पर फोकस करने की रणनीति अपनाई, जो मैनेजमेंट हायरार्की (पदों के क्रम) को भी तोड़ती है। उड़ान ने अपना पहला प्रॉडक्ट मैनेजर 2018 में हायर किया था, उसके पहले तक कंपनी में सभी इंजीनियर थे, जो एक या दूसरी कोर समस्याओं को दूर करने में लगे थे।


कंपनी ने इसके अलावा कई और रणनीतियां भी अपनाई, जो आमतौर पर किसी दूसरी भारतीय स्टार्टअप्स में देखने को नहीं मिलता है। यही कारण है कि उड़ान आज 2.8 अरब डॉलर की कंपनी में बदल गई है।


बी2बी मार्केटप्लेस छोटे शहरों के मैन्युफैक्चरर्स, व्यापारियों, सप्लायर्स और थोक विक्रेताओं तक ऑनलाइन कॉमर्स के लाभ को पहुंचाने में लगे हैं। इसके लिए इनका ध्यान भारतीय मार्केट में मौजूद मूल समस्याओं को हल करने पर है। इस प्रक्रिया के तहत ये टियर 2 और दूसरे छोटे शहरों के लोगों को सशक्त भी बना रहे हैं।


देश के सबसे बड़े प्रोडक्ट-टेक-डिजाइन कॉन्फ्रेंस -योरस्टोरी 'फ्यूचर ऑफ वर्क' के तीसरे संस्करण में, को-फाउंडर अमोद मालवीय ने बताया कि कैसे यह स्टाअर्अप इन लक्ष्यों को पूरा कर रहा है और कैसे अहम संरचनात्मक बदलावों से उड़ान को दक्षता हासिल करने और कॉम्पिटीशन में बढ़त हासिल करने में मदद मिली है।


समस्याओं से सीधा वास्ता

आमोद मालवीय ने कहा, 'हर इंजीनियर को समस्याओं से सीधे परिचित होने की आवश्यकता होती है।' आमोद को आज उड़ान को सफलतापूर्वक खड़ा करने के लिए जाना जाता है। इससे पहले उन्होंने फ्लिपकार्ट की टेक्वनोलॉजी को विकसित करने में भी अहम भूमिका निभाई थी। टेक्नोलॉजी आमोद के दिल के काफी करीब है। उनका मानना है कि एक इंजीनियर किसी समस्या का सबसे अच्छा हल तभी निकाल सकता है, जब वह उस समस्या से सीधे जुड़ा हो।


बड़े ऑर्गनाइजेशन में बहुत से प्रमुख शामिल होते हैं, जैसे- प्रोडक्ट मैनेजर, बिजने, मैनेजर, इंजीनियर आदि। यहां जानकारी एक निश्चित प्रक्रिया के तहत आती है। ऐसे में जो जानकारी इंजीनियर तक पहुंचती है, वह आमतौर पर संशोधित या फिल्टर होती है। इस प्रक्रिया में कुछ जरूरी जानकारियां छंट जाती है, जिससे एक अच्छा प्रोडक्ट बनने की क्षमता सीमित हो जाती है।


इस समस्या को दूर करने के लिए उड़ान ने एक निर्णायक फैसला लिया और यह रणनीति अपनाई कि उनके यहां कोई प्रोडक्ट मैनेजर नहीं होगा।


इसकी जगह कंपनी ने सिर्फ इंजीनियर के तौर पर लोगों को हायर किया जो किसी समस्या के शुरुआत से अंत तक निपटते हैं और भारतीय मार्केट के मुद्दों को हल करने के लिए प्रोडक्ट तैयार करते हैं।


उन्होंने बताया,

“हर इंजीनियर को सीधे समस्या से अवगत कराया जाएगा। वे मार्केट में जाकर समस्याओं का अध्ययन करेंगे, यूजर्स से सीधे बात करेंगे, यूजर्स के की दिक्कतों को खुद महसूस करेंगे, यूजर्स की ओर से की जाने वाली आलोचनाओं को खुद सुनेंगे और बदलाव से होने वाली संतुष्टि का अनुभव करेंगे।"


लक्ष्य हासिल करने पर पूरा ध्यान

आमतौर पर प्रोडक्ट मैनेजर का ध्यान अंतिम नतीजों पर होता है। हालांकि उड़ान ने अपनी संरचनात्मक रणनीति के तौर पर यह सुनिश्चित किया कि इंजीनियरों में भी यह अंतिम नतीजों पर फोकस करने का रवैया आए। दूसरी कंपनियों में जहां इसे कोड ओनरशिप या सिस्टम ओनरशिप के जरिए हासिल किया जाता है, वहीं इस कंपनी में इसकी जगह प्रॉब्लम स्टेटमेंट ओनरशिप लॉन्च किया गया।


आमोद ने बताया,

'इससे अचानक से फैसला लेने की सीमा एक व्यक्ति के पास आ गई।' उन्होंने कहा, 'यही कारण है कि हमारे पास मूल रूप से एक व्यक्ति की टीम है।'


फोकस में इस बदलाव के चलते, कंपनी के दूसरे पहलुओं में भी कुछ स्वभाविक रूप से बदलाव हुए। उदाहरण के लिए, हर सप्ताह सोमवार को होने वाली बैठकों के दौरान अचानक से 'नतीजों' को लेकर बात होने लगी, जबकि इससे पहले प्रक्रियाओं या विकास के चरण पर बात होती थी। समीक्षा बैठकों में भी ऐसा देखने को मिला, जहां चर्चा "आप क्या सिस्टम बना रहे हैं, से हटकर इस पर शिफ्ट हो गई कि आप क्या लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।"


इस प्रयोग का इकलौता 'साइफ इफेक्ट' यह रहा कि लोग पूरी तरह से सिर्फ अंतिम नतीजों पर भी फोकस हो गए। आमोद ने इस समस्या का हल परफॉर्मेंस रिव्यू को हटाकर निकाला।


उन्होंने कहा,

''फीडबैक निरंतर है, लेकिन उड़ान में परफॉर्मेंस रिव्यू एक बाइनरी है।''


छोटी टीम रखना

उड़ान ने जो तीसरी और शायद सबसे अधिक दिलचस्प रणनीति जो अपनाई वह छोटी टीम रखने की थी। हर टीम में एक से दो लोग थे, जो किसी विशेष समस्या पर काम करते थे और उस पर उनका पूरा हक रहता था।


आमोद ने बताया,

'मैंने जो विवादित फैसले लिए, उनमें से एक मैनेजर को नहीं रखने का था।'


आमोद की राय नें मैनेजर या मिडिल मैनेर से प्रक्रियाएं या डिवेलपमेंट धीमी हो जाती हैं। उडान की फाउंडिग टीम ने बहुत ही सावधानी पूर्वक सेल्फ-मैनेजिंग कल्चर को अपनाने का फैसला किया। उनको संरचनात्मक बदलावों को लागू करने और लोगों को हायर और उनपर निवेश करना का फैसला किया, जिसे वे खुद प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल सकें।


उन्होंने कहा,

'एक व्यक्ति की काम करने की क्षमता उससे कहीं अधिक होती है, जितना आमतौर पर वह अपना अनुमान करता है।'


उत्पादकता के लिए समाधान ढूंढ़ना

उड़ान के को-फाउंडर ने बताया,

"जब आप छोटी टीम लेकर चल रहे होते हैं तो यह सुनिश्चित करना बेहद अहम हो जाता है कि हर व्यक्ति सशक्त महसूस करे। साथ ही वो ये भी महसूस करें कि वे जिस संस्थान और सिस्टम में काम कर रहे हैं, वो उन्हें उत्पादकता की अनुमति देता है।"


इसके जरिए आमोद कंपनी के स्ट्रक्चर और रणनीति के संबंध में लिए गए फैसलों की एक कमी को बता रहे थे।


उड़ान ने उत्पादकता बढ़ाने और कोर मुद्दों को हल करने के लिए कई साहसिक कदम (टेक्वनोलॉजी और कल्चर से जुड़े फैसले) उठाए। इनमें से अधिकतर फैसलों ने कंपनी को जहां शानदार परिणाम दिए, वहीं कुछ उसकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। उदाहरण के लिए, सिर्फ बैठकों के लिए सिर्फ सोमवार का दिन तय करने का आइडिया सिर्फ कुछ ही समय के लिए काम आया।


अमोद ने कहा,

"कुछ चीजें जो व्यक्तिगत अनुशासन पर निर्भर रहती हैं वह किसी ऑर्गनाइजेशन में नहीं चल सकती हैं।"


इंजीनियर को रिमोट लोकेशन से काम की इजाजत

सोमवार को बैठक के फार्मूले की तरह ही उड़ान में एक और वर्किंग कल्चर था कि वह अपने इंजीनियरों को घर, वेयरहाउस या उनकी पसंद की किसी भी जगह से काम करने की इजाजत देती थी। इस लचीलेपन के बावजूद आमोद ने पाया कि 2019 की शुरुआत तक उनके अंदर एक थकान जैसा दिखने लगा था।


जब फाउंडर्स ने इस बारे में और पता किया तो उन्होंने महसूस किया कि इंजीनियरों से कंपनी के सभी पहलुओं की देखभाल करने की अपेक्षा करना गलत था, जैसे ऑपरेशंस।


आमोद के पास इसका एक आसान हल था।


उन्होंने बताया,

“हमने इंजीनियरों को अपनी खुद की संचालन टीम बनाने की इजाजत दी। इसका फायदा यह हुआ कि इंजीनियर तय कर रहे थे कि उनके ऑपरेशन टीम को क्या करना चाहिए, टीम हमेशा उत्पाद में अंतर को कम कर रही थी।”