इस कंपनी खरीदने की रेस में अडानी-अंबानी, शेयरों में लगातार लगा सर्किट, अब रोक दी गई ट्रेडिंग
फ्यूचर रिटेल के शेयरों में लगातार अपर या लोअर सर्किट लग रहा था. अब कंपनी की ट्रेडिंग रोक दी गई है. गौतम अडानी और मुकेश अंबानी दोनों ही इसे खरीदने के लिए कतार में हैं.
कर्ज में डूबी किशोर बियानी (Kishore Biyani) की कंपनी फ्यूचर ग्रुप (Future group) के शेयरों में पिछले दो हफ्तों में तगड़ी तेजी देखने को मिली है. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि इस कंपनी को खरीदने के लिए गौतम अडानी (Gautam Adani) और मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) दोनों ही कतार में हैं. ऐसे में निवेशकों को इस बात की खुशी हो रही है कि यह कंपनी जिसके भी हाथ में जाएगी, इसका कायाकल्प होना तो तय है. यही वजह है कि फ्यूचर ग्रुप के शेयरों में ट्रेडिंग बंद होने से पहले कई दिन तक अपर सर्किट लगा. इस वक्त कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है और तमाम लोग इसे खरीदने की रेस में हैं. दिवाला प्रक्रिया के दौरान कंपनी के शेयरों में ट्रेडिंग को रोक दिया जाता है.
कब-कब लगा अपर सर्किट?
मौजूदा समय में फ्यूचर रिटेल का शेयर 3.65 रुपये के स्तर पर है. 9 सितंबर से इस शेयर में तगड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. 9 सितंबर के बाद 14 सितंबर तक शेयर में अपर सर्किट लगा, लेकिन उसके बाद इसमें 2 नवंबर तक लगातार लोअर सर्किट लगा. उसके बाद फिर 11 नवंबर तक लगातार अपर सर्किट लगा.
कौन-कौन हैं दावेदार?
फ्यूचर रिटेल को खरीदने के लिए पहली दावेदार है April Moon Retail Private Ltd, जो अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स और फ्लेमिंगो ग्रुप का ज्वाइंट वेंचर है. इसके अलावा दूसरी दावेदार है मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल. इनके अलावा 13 और कंपनियों ने भी फ्यूचर रिटेल को खरीदने के लिए रुचि (Expressions Of Interest) दिखाई है.
फ्यूचर रिटेल को खरीदने के लिए रुचि पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख इसी महीने निकल चुकी है. बता दें कि आज जो फ्यूचर रिटेल बिक रही है, वह कभी भारत की दूसरी सबसे बड़ी रिटेलर थी. यह कंपनी अपना बिजनस 3.4 अरब डॉलर में अपने असेट रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचना चाह रही थी. हालांकि, अमेजन के साथ लीग फाइट के चलते यह डील फाइनल नहीं हो सकी और कंपनी के खिलाफ दिवालिया की प्रक्रिया शुरू हो गई.
अगस्त 2020 में फ्यूचर समूह ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) के साथ 24713 करोड़ रुपये के विलय समझौते की घोषणा की थी. समझौते के तहत खुदरा, थोक, लॉजिस्टिक एवं भंडारण खंडों में सक्रिय फ्यूचर समूह की 19 कंपनियों का रिलायंस रिटेल अधिग्रहण करने वाली थी. आरआरवीएल, आरआईएल समूह के तहत सभी खुदरा कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है. हालांकि, अब यह डील कैंसिल हो चुकी है, क्योंकि फ्यूचर समूह के सिक्योर्ड लेंडर्स ने इसे नामंजूर कर दिया है.
अमेजन क्यों करता रहा सौदे का विरोध?
इस विलय समझौते की घोषणा के बाद से ही अमेजन इसका विरोध कर रही थी. विभिन्न अदालती मुकदमों में अमेजन ने यह कहते हुए इस सौदे का विरोध किया कि उसके साथ हुए फ्यूचर समूह के निवेश समझौते का यह करार उल्लंघन करता है. दरअसल, ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजन ने साल 2019 में एफआरएल की प्रवर्तक कंपनी फ्यूचर कूपन्स प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक निवेश करार किया था. इसके आधार पर उसने भविष्य में फ्यूचर रिटेल को खरीदने की योजना तैयार की थी. लेकिन इस बीच फ्यूचर रिटेल ने रिलायंस के साथ सौदा कर लिया.
क्यों कर्ज चुकाने में विफल रहा फ्यूचर समूह?
फ्यूचर रिटेल पर 29 लेंडर्स के एक कंसोर्टियम का 17,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. वहीं फ्यूचर ग्रुप पर कुल कर्ज 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. रिलायंस के साथ सौदे से मिलने वाले पैसे से एफआरएल अपना कर्ज चुकाने चाहता था. हालांकि, अब रिलायंस के साथ सौदा खत्म होने के बाद एफआरएल ने बैंक ऑफ इंडिया के कर्ज के भुगतान में चूक कर दी. इसके बाद इस साल अप्रैल में बैंक एफआरएल के खिलाफ एनसीएलटी में गया था.
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