छत्तीसगढ़ में खुला भारत का पहला गारबेज कैफे, एक किलो प्लास्टिक कचरे के बदले मिलेगा भरपेट खाना
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया प्लास्टिक कचरे के महासागर में डूब रही है। प्लास्टिक प्रदूषण से निपटना दुनिया भर में कई संगठनों और सरकारों के लिए प्राथमिकता बन गई है। वे इसके उपयोग को कम करने के लिए रचनात्मक तरीके से काम कर रहे हैं। लेकिन उस कचरे का क्या जो पहले से ही मौजूद है? यह बेहिसाब कचरा लैंडफिल और फिर हमारे जल निकायों में जाता है।
हालांकि इस समस्या के निपटने की दिशा में छत्तीसगढ़ के 'गारबेज कैफे' (garbage café) ने बड़ा कदम उठाया है। दरअसल प्लास्टिक से वातावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ की अंबिकापुर नगर निगम (AMC) ने प्लास्टिक कचरे के बदले रैगपिकर्स और बेघरों को फ्री में भोजन कराने के लिए गारबेज कैफे (garbage cafe) खोले हैं।
वाइस के अनुसार, यह कैफे भारत में अपनी तरह का पहला कैफे है। इसे अंबिकापुर के नगर निगम द्वारा चलाया जाता है और जो व्यक्ति एक किलो कचरा लेकर आएगा उसे फ्री में भरपेट भोजन कराया जाएगा। अगर कोई 500 ग्राम कचरा लेकर आता है तो उसे फ्री में नाश्ता मिलेगा। बाद में, नागर निगम का लक्ष्य इन गरीब लोगों को आश्रय देना भी है। नगर पालिका का बजट पेश किए जाने के दौरान महापौर अजय तिर्की ने इस कैफे की घोषणा थी जिसके बाद यह अस्तित्व में आया। कैफे के लिए अलग से 5.5 लाख रुपये की राशि रखी गई है।
न्यूज18 के मुताबिक, यदि अधिकारियों के पास पैसे खत्म हो जाते हैं, तो वे निगम सांसदों और विधायकों से उनके MPLADS (सांसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना) और MLACD (विधायक निर्वाचन क्षेत्र डेवलपमेंट) योजना के तहत फंड आवंटित करने के लिए कहेंगे।
निगम की योजना है कि शहर की सड़कों के निर्माण के लिए इस प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया जाएगा। वहीं इस कैफे को अंबिकापुर शहर के मुख्य बस अड्डे से संचालित किया जाएगा। हालांकि शहर के लिए यह पहली बार नहीं होगा जब प्लास्टिक के पुन: उपयोग से सड़क बनेंगी। इससे पहले भी शहर में प्लास्टिक की 8 लाख थैलियों और डामर से सड़क बनाई गई है।
जहां भारत में ये अपने आप एक अनोखा कॉन्सेप्ट है तो वहीं दुनिया भर में इसी तरह के कई कैफे संचालित होते रहे हैं। अमेरिका, लंदन और कंबोडिया के कुछ हिस्सों में इसी तरह के गारबेज कैफे देख सकता है। इनमें से कुछ कैफे पूरी तरह से प्लास्टिक कचरे का उपयोग करके भी बनाए गए हैं।