गौतम अडानी के 120 अरब डॉलर डूबे! जानिए फिर भी अब तक क्यों क्रैश नहीं हुआ स्टॉक मार्केट
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने से लेकर अब तक गौतम अडानी को करीब 120 अरब डॉलर तक का नुकसान झेलना पड़ा है. सवाल ये है कि अब तक स्टॉक मार्केट क्रैश क्यों नहीं हुआ. साथ ही ये भी एक बड़ा सवाल है कि सेंसेक्स से ज्यादा गिरावट निफ्टी में क्यों दिख रही है.
पिछले कुछ दिनों से गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. यह सब हो रहा है हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट (Hindenburg Research Report) से, जिसमें गौतम अडानी पर शेयर मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड जैसे इल्जाम लगे हैं. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने से लेकर अब तक गौतम अडानी को करीब 120 अरब डॉलर तक का नुकसान झेलना पड़ा है. एक ओर अडानी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियों में भारी गिरावट है, वहीं दूसरी ओर सेंसेक्स-निफ्टी (Sensex-Nifty) पर या यूं कहें कि शेयर बाजार पर इसका कोई बड़ा असर देखने को नहीं मिल रहा है? क्यों शेयर बाजार क्रैश (Share Market Crash) नहीं हो गया? आइए जानते हैं ऐसा क्यों हो रहा है.
पहले जानिए गौतम अडानी की नेटवर्थ का हाल
अमीरों की लिस्ट में वह ब्लूमबर्ग बिलियनेर इंडेक्स में 21 वें नंबर पर पहुंच चुके हैं, उनकी दौलत 59 अरब डॉलर हो गई है. फोर्ब्स की अमीरों की लिस्ट में 6 फरवरी सुबह 10 बजे तक गौतम अडानी 22वें नंबर पर पहुंच गए और उनकी दौलत महज 58.5 अरब डॉलर बची. हालांकि, कुछ दोपहर तक गौतम अडानी वापस 18वें नंबर तक पहुंच गए.
कितना गिरे सेंसेक्स-निफ्टी?
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट 24 जनवरी को आई थी. उससे पहले तक यानी 23 जनवरी को सेंसेक्स 60,941 अंकों पर बंद हुआ था. वहीं इसके बाद शेयर बाजार में लगातार 3 दिनों तक भारी गिरावट देखी गई. उसके बाद सेंसेक्स ने रिकवरी शुरू कर दी. पिछले हफ्ते शुक्रवार, 3 फरवरी को सेंसेक्स 60,842 अंकों पर बंद हुआ था. यानी सेंसेक्स में इतने दिनों में सिर्फ 100 अंकों की गिरावट रही.
वहीं अगर निफ्टी की बात करें तो 23 जनवरी को वह 18,118 अंकों के स्तर पर बंद हुआ था. 3 फरवरी को निफ्टी 17,854 अंकों पर बंद हुआ था. इस तरह देखा जाए तो इतने दिनों में निफ्टी करीब 264 अंक गिरा. सेंसेक्स की तुलना में ये आंकड़ा बहुत बड़ा है. अगर निफ्टी 264 अंक गिरा है तो सेंसेक्स इसी अनुपात में 800-900 अंक तक गिर जाता. भले ही निफ्टी में गिरावट ज्यादा लग रही है, लेकिन अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट की तुलना में ये भी कम ही है.
पहले समझिए सेंसेक्स से ज्यादा निफ्टी में क्यों आई गिरावट
इसकी वजह ये है कि सेंसेक्स में जो 30 कंपनियां लिस्ट हैं, उनमें अडानी ग्रुप की कोई भी कंपनी नहीं है. यानी अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमत जीरो भी हो जाए तो सेंसेक्स पर उसका कोई असर नहीं होगा. हालांकि, पिछले दिनों में सेंसेक्स में जो गिरावट देखी गई है, उसके लिए गौतम अडानी की कंपनियां सिर्फ एक हद तक ही जिम्मेदार हैं. गौतम अडानी के शेयरों में गिरावट की वजह से भारतीय स्टेट बैंक के शेयरों में कुछ गिरावट दिखी. लोग डर रहे थे कि भारतीय स्टेट बैंक का लोन ना डूब जाए, वरना इससे कंपनी को नुकसान हो जाएगा. वहीं देश के सबसे अमीर इंसान के खिलाफ कोई फ्रॉड का आरोप लगा दे तो एक बार के लिए कोई भी डर सकता है.
ऐसे में बाजार में पैसा लगाने वालों में घबराहट दिखी और वह शेयर बाजार से पैसे वापस खींचकर सब कुछ सही होने का इंतजार करने लगे. कुछ दिनों में जब लगा कि इससे बाकी कंपनियों पर या शेयर बाजार पर कोई बड़ा असर नहीं होगा, तो दोबारा निवेश बढ़ा. यही वजह है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद पहले तो सेंसेक्स तेजी से गिरा, लेकिन फिर उतनी ही तेजी से रिकवर भी हो गया. बता दें कि पिछले साल नवंबर के दौरान अडानी एंटरप्राइजेज सेंसेक्स की टॉप-10 कंपनियों में शामिल हो चुका था. इन इंडेक्स की लिस्ट में कंपनियां समय-समय पर बदलती रहती हैं.
अब अगर बात की जाए निफ्टी की तो अडानी ग्रुप की अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स निफ्टी50 का हिस्सा हैं. ऐसे में इनमें भारी गिरावट की वजह से निफ्टी में सेंसेक्स की तुलना में तगड़ी गिरावट देखने को मिली. बाद के दिनों में निफ्टी50 की इन दोनों कंपनियों में काफी हद तक रिकवरी दिखी या गिरावट थमने लगी, जिससे निफ्टी50 भी थोड़ा संभल गया.
बाकी शेयरों का कोई असर नहीं
अगर अडानी ग्रुप की बाकी 5 कंपनियों की बात करें तो उनमें भारी गिरावट रही है. लगभग हर रोज उनमें लोअर सर्किट लग रहा है, लेकिन उनका असर मार्केट पर इसलिए नहीं दिख रहा, क्योंकि वह सेंसेक्स या निफ्टी किसी भी इंडेक्स की लिस्ट में नहीं हैं.
क्रैश क्यों नहीं हुआ मार्केट?
सेंसेक्स और निफ्टी के क्रैश ना होने की वजह तो आप समझ ही गए होंगे कि अडानी ग्रुप की कंपनियों का इन पर असर इतना कम क्यों है. वहीं लोग ये भी समझ रहे हैं गौतम अडानी के शेयरों का बाकी कंपनियों के शेयरों से कोई लेना-देना नहीं है. एलआईसी और एसबीआई समेत कुछ बैंकिंग शेयरों को लेकर लोगों को टेंशन थी, लेकिन उन्होंने भी सफाई दे दी है कि गौतम अडानी की कंपनियों में उनका एक्सपोजर बहुत ही कम है. साथ ही गौतम अडानी को भारी नुकसान होने की सूरत में भी इन बैंकों और एलआईसी का पैसा डूबने को जोखिम बहुत ही कम है. इसकी वजह से लोग गौतम अडानी की कंपनियों में गिरावट को देखते हुए भले ही उससे दूरी बना रहे हैं, लेकिन बाकी शेयरों में ट्रेडिंग बदस्तूर जारी है.
अडानी एंटरप्राइजेज का मार्केट कैप अभी करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये है, जो रिपोर्ट आने से पहले 3.5 लाख करोड़ रुपये के करीब था. वहीं अडानी पोर्ट का मार्केट कैप करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये है, जो कुछ दिन पहले तक 1.6 लाख करोड़ रुपये के करीब था. इन कंपनियों की मार्केट कैप बहुत ज्यादा नहीं है, इसलिए भी शेयर बाजार पर इनका बहुत बड़ा असर नहीं हो रहा है.
रिलायंस के साथ होता ऐसा तो क्रैश हो जाता मार्केट
जैसे आरोप गौतम अडानी पर लगे हैं, अगर कुछ ऐसा ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ हुआ होता तो अब तक मार्केट कई बार क्रैश कर चुका होता. इसकी वजह ये है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप करीब 16 लाख करोड़ रुपये है. वहीं यह सेंसेक्स और निफ्टी50 दोनों पर ही लिस्टेड है. इसकी वजह से इसमें गिरावट का असर दोनों ही इंडेक्स पर देखने को मिलता. खैर, ऐसा कुछ ना ही हो तो अच्छा है, क्योंकि इस तरह के क्रैश में हमेशा रिटेल निवेशक मारे जाते हैं.