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अडानी विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझाव को मानने से किया इनकार, कहा 'पारदर्शिता चाहते हैं'

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, "हम निवेशकों के हितों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहते हैं."

अडानी विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझाव को मानने से किया इनकार, कहा 'पारदर्शिता चाहते हैं'

Friday February 17, 2023 , 3 min Read

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस (The Chief Justice of India) की अगुवाई वाली पीठ ने शुक्रवार को अडानी समूह-हिंडनबर्ग विवाद (Adani Group-Hindenburg row) के मद्देनजर शेयर बाजार के लिए नियामक उपायों को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों के पैनल पर केंद्र सरकार के सुझाव को एक सीलबंद लिफाफे में स्वीकार करने से इनकार कर दिया. पीठ ने कहा कि वे पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहते हैं. केंद्र के सीलबंद लिफाफे को स्वीकार करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि वह सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझावों को स्वीकार नहीं करेगी.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा (P S Narasimha) और जे बी पारदीवाला (J B Pardiwala) की पीठ ने कहा, "हम निवेशकों के हितों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहते हैं."

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि सिटिंग जज मामलों की सुनवाई कर सकते हैं. अदालत ने कहा, "वे समिति का हिस्सा नहीं होंगे."

सुप्रीम कोर्ट ने स्टॉक एक्सचेंजों के लिए नियामक उपायों को मजबूत करने के लिए डोमेन विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.

10 फरवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अडानी समूह के स्टॉक रूट की पृष्ठभूमि में भारतीय निवेशकों के हितों को बाजार की अस्थिरता के खिलाफ संरक्षित करने की आवश्यकता है और केंद्र से एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में नियामक तंत्र को मजबूत करने के लिए डोमेन विशेषज्ञों के एक पैनल का गठन करने पर विचार करने के लिए कहा था.

हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी वाले लेनदेन और शेयर-कीमत में हेरफेर सहित कई आरोपों के बाद अडानी समूह के शेयरों ने शेयर बाजारों पर दबाव डाला है.

जब से हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आई है, तब से गौतम अडानी की कंपनियों के तमाम शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. इसी की वजह से अडानी समूह को अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ को भी वापस लेना पड़ा था. गौतम अडानी की नेटवर्थ करीब 60 फीसदी कम हो चुकी है.

अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया और उन्हें दुर्भावनापूर्ण, निराधार और भारत पर एक सुनियोजित हमला बताया.

गौतम अडानी पर कर्ज की खबरें जब-जब फैलती हैं तो वह कहते हैं कि कंपनी की बैलेंस शीट मजबूत है. हाल ही में निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए अडानी ग्रुप ने फिर से यही बात दोहराई है. सवाल ये है कि क्या वाकई बैलेंस शीट मजबूत है या नहीं.