Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

भाई-बहन की जोड़ी ने नौकरी छोड़ कॉर्पोरेट की दुनिया में वो कर दिया जो कभी नहीं हुआ

GetOut की स्थापना मई 2022 में तीन भाई-बहन — संजय सिंघा, प्रतीक जतन और नेहा सिंह ने मिलकर की थी. को-फाउंडर और सीईओ संजय सिंघा ने हाल ही में YourStory से बात की. उन्होंने बताया कि कैसे तीनों भाई-बहन ने अपना सफल कॉर्पोरेट करियर छोड़कर कुछ नया करने की ठानी और GetOut की नींव रखी.

भाई-बहन की जोड़ी ने नौकरी छोड़ कॉर्पोरेट की दुनिया में वो कर दिया जो कभी नहीं हुआ

Wednesday December 28, 2022 , 7 min Read

साल 2021 में दुनियाभर के को-वर्किंग स्पेस मार्केट का साइज 6.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. साल 2022-2030 तक इसके 14.9% CAGR (compound annual growth rate) के साथ 24.00 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. ये आंकड़े nextmsc की एक रिपोर्ट में सामने आए हैं.

इसी अवसर का फायदा उठाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए दिल्ली-एनसीआर स्थित Gettzy Services Private Limited ने बीते नवंबर महीने में अपने फ्लैगशिप मोबाइल ऐप GetOut ऐप के लॉन्च की घोषणा की थी.

GetOut की स्थापना मई 2022 में तीन भाई-बहन — संजय सिंघा, प्रतीक जतन और नेहा सिंह ने मिलकर की थी. को-फाउंडर और सीईओ संजय सिंघा ने हाल ही में YourStory से बात की. उन्होंने बताया कि कैसे तीनों भाई-बहन ने अपना सफल कॉर्पोरेट करियर छोड़कर कुछ नया करने की ठानी और GetOut की नींव रखी.

क्या करता है GetOut?

GetOut के जरिए फाउंडर्स का लक्ष्य होटल, रेस्तरां और कैफे( HoReCa) को बिना किसी और निवेश के रेवेन्यू हासिल करने में मदद करते हुए एक समस्या को हल करना है और पेशेवर पैसे, समय और स्टूडियो बनाने की परेशानी को बचाते हैं. GetOut सिर्फ एक पैशन प्रोजेक्ट से कहीं ज्यादा है. यह एक ग्राउंडब्रेकिंग प्लेटफॉर्म है.

यह अपनी तरह का एक अनूठा प्लेटफॉर्म है, जिसे आधुनिक समय के बढ़िया भोजन, काम करने और सामाजिक अनुभवों को फिर से परिभाषित करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया है. इसमें इसके यूजर काम करने/डाइन/चिट चैट करने या बस खुद के साथ समय बिताने के लिए रोमांचक रेस्तरां, कैफे, भोजनालयों और आउटलेट्स की खोज करने में सक्षम होंगे.

getout-app-redefines-creativity-remote-work-restaurant-cafe-coworking-spaces

सांकेतिक चित्र (freepik)

बिजनेस और रेवेन्यू मॉडल

सीईओ संजय [सिंघा] कहते हैं, "हमारा बिजनेस मॉडल किसी भी दूसरे फूड लिस्टिंग या डिलीवरी ऐप की तरह है. यह उतना ही सरल है! रेस्तरां ऐप पर खुद को लिस्ट करने के लिए भुगतान करते हैं और फिर ऐप उन ग्राहकों से भी कमिशन लेता है जो भोजन और बिलों का भुगतान करते हैं."

वर्तमान में, ऐप उपयोगकर्ताओं की विभिन्न आवश्यकताओं और बजट को पूरा करने के लिए 2 प्रकार की सदस्यता देता है. यह 25 रुपये प्रति माह पर मासिक सदस्यता देता है जो इसके उपयोगकर्ताओं को मुफ्त भोजन और आकर्षक डील्स के साथ-साथ ऐप के जरिए रेस्तरां और कैफे में सीट बुक करने देता है.

दूसरा यह है कि सब्सक्राइबर जितनी चाहें उतनी सीटें बुक कर सकते हैं और उसके अनुसार भुगतान कर सकते हैं. वे यहां टीम मीटिंग भी कर सकते हैं, जो वे किसी कॉफी शॉप में नहीं कर सकते.

इसे आसान भाषा में समझे तो GetOut अपना रेवेन्यू रेस्टोरेंट लिस्टिंग, सब्सक्रिप्शन और खाने-पीने के बिल पर कमीशन के जरिए कमाता है.

संजय सिंघा बताते हैं, "आप कभी भी अपनी टेबल पहले बुक नहीं कर सकते" या जाने से पहले जान लें कि टेबल उपलब्ध है." जब वे ऐप में लॉग इन करते हैं तो ऐप उपभोक्ताओं के शहरों के बारे में पूछता है. GetOut ऐप का लक्ष्य उस तरीके को बदलना है जिससे रिमोट एम्पलॉई अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद से वर्किंग डेज में प्रोडक्टिविटी के लिए सही जगह पर बैठकर काम कर सकें.

स्टार्टअप में निवेश के बारे में पुछने पर संजय बताते हैं कि वे [संजय] और प्रतीक — दोनों ही निवेशक हैं और उन्होंने खुद करीब 30 लाख रुपये का निवेश किया है. उन्होंने अभी तक किसी भी बाहरी इन्वेस्टर से फंडिंग नहीं जुटाई है.

यह भी पढ़ें
GetOut ऐप की बदौलत अब रेस्तरां, कैफे बनेंगे को-वर्किंग स्पेस

कैसे काम करता है GetOut?

संजय बताते हैं, "हमने परंपरागत रूप से रेस्तरां को ऐसी जगह के रूप में सोचा है जहां लोग खाने जाते हैं. वहां वे दोस्तों और दूसरे लोगों से मिलते हैं. ये काम करने के लिहाज से भी बढ़िया जगह साबित हो सकते हैं. होटल, रेस्तरां और कैफे (HoReCa) सेक्टर के पास सभी आवश्यक संसाधन हैं, लेकिन अभी तक पूरी तरह से उनका फायदा नहीं उठाया गया है."

GetOut रेस्तरां और फ्रीलांसरों, ऑन्त्रप्रेन्योर्स या रिमोट वर्किंग प्रोफेशनल्स के बीच इस अंतर को भीड़भाड़ वाले कॉफी हाउस और महंगे को-वर्किंग स्पेस के प्लान से अलग बनाता है. इसका प्लान केवल 7 रुपये प्रति दिन से शुरू होता है. रेस्तरां पहले से मौजूद सभी सुविधाओं के साथ ऑफिस स्पेस के रूप में दोगुना हो सकता है- कॉफी, ड्रिंक्स, वर्किंग वाईफाई, फूड और साइड में कमाई जबकि वर्किंग प्रोफेशनल बार-बार महंगे कॉफी ऑर्डर या कोवर्किंग स्पेस के खर्चो को बचा सकते हैं.

getout-app-redefines-creativity-remote-work-restaurant-cafe-coworking-spaces

सांकेतिक चित्र (freepik)

क्या रहीं चुनौतियां?

लोगों को यह समझाना आसान नहीं था कि एक पारंपरिक रेस्तरां वास्तव में क्या है और कैसे यह काम करने की बेहतर जगह हो सकता है. GetOut को-वर्किंग और कॉफ़ी शॉप्स की कायापलट करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. क्योंकि इस कॉन्सेप्ट की की लोगों को ज़रूरत है लेकिन इससे परिचित होने में समय लगेगा. बहुत सी चीजें हैं जो बैकएंड पर चलती हैं जैसे हर एक कैफे और रेस्तरां को लिस्ट करना ताकि देश का हर एक व्यक्ति इसे आसानी से एक्सेस कर सके.

भविष्य की योजनाएं?

इनकम और भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर संजय बताते हैं, "चूंकि हमने अभी शुरुआत की है, इसलिए अभी कोई संख्या बताना जल्दबाजी होगी, हालांकि हमारी योजना एक साल में 100 करोड़ तक पहुंचने की है."

स्टार्टअप जल्द ही मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में अपने कारोबार का विस्तार करने की योजना बना रहा है.

अगले एक साल में, GetOut ऐप का लक्ष्य 9000 से अधिक रेस्तरां वाले देश के 8 मेट्रो शहरों में से 7 में यूजर्स का विस्तार करना और उन्हें ऑनबोर्ड करना है.

GetOut की USP के बारे में बताते हुए संजय कहते हैं, "हम वो करने जा रहे हैं, जो अभी तक कोई भी नहीं कर रहा है. किसी ने भी को-वर्किंग स्पेस और रेस्तरां या कॉफी शॉप को एक साथ लाने के बारे में नहीं सोचा. या तो वे को-वर्किंग स्पेस है, जहां खाने-पीने की सुविधाएं है, लेकिन वे महंगे हैं, या फिर वे सिर्फ रेस्तरां, कॉफी शॉप है. वहीं GetOut दोनों को एक-साथ लाता है."

एक रिसर्च का हवाला देते हुए, संजय बताते हैं, "रिसर्च के मुताबिक, 2035 तक एक अरब रिमोट वर्किंग एम्पलॉई होंगे. ऐसे में वर्किंग प्रोफेशनल्स उस कस्टमर बेस का केवल एक छोटा सा हिस्सा हैं जिसे हम टारगेट कर रहे हैं, जैसे टीजी कॉलेज के स्टूडेंट्स, ब्लू-कॉलर वर्कर्स, एडवोकेट लॉयर्स, सेल्स और मार्केटिंग प्रोफेशनल्स, फ्रीलांसर और स्टार्टअप ऑन्त्रप्रेन्योर्स हैं. भारत में, 15 मिलियन फ्रीलांसर हैं, और बाजार तेजी से बढ़ रहा है. जेन जी, जिनका जन्म 1995 और उसके बाद हुआ, वे इंडीपेंडेंट वर्कफोर्स का 50% हिस्सा हैं. इसलिए हमें ऑफिस खुलने में कोई समस्या नहीं दिख रही है. घर के बाहर एक क्रिएटिव स्पेस की मांग लगातार बढ़ती रहेगी."

getout-app-redefines-creativity-remote-work-restaurant-cafe-coworking-spaces

सांकेतिक चित्र (freepik)

संजय बताते हैं, "रेस्तरां के साथ उपभोक्ता के जुड़ाव को मुद्रास्फीति प्रभावित कर रही है. ऐसे में मूल्य-केंद्रित पुरस्कार उनकी चिंताओं को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं. लॉकडाउन के बाद, 78% उपभोक्ता घर पर अधिक खा रहे हैं, साथ ही, 38% ने बताया कि वे कम कीमत वाले रेस्तरां के लिए अधिक विकल्प चुन रहे हैं. हालांकि हम इस विशिष्टता- और अनुभव-संचालित कार्यक्रम की ओर बढ़ रहे हैं, जहां न केवल बाहर खाना खा रहे हैं बल्कि अपनी सभी जरूरतों के लिए बाहर जा रहे हैं, विशेष रूप से कुछ लोग जो सिर्फ अपने हेडफ़ोन लगाने और ध्यान केंद्रित करने के लिए जगह की तलाश कर रहे हैं, और GetOut के पास उनके लिए भी जगह है."

अंत में संजय कहते हैं, "हम एक कम्यूनिटी बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं जहां हमारे यूजर शाम की क्रिकेट लीग में शामिल हो सकते हैं, सुबह का नाश्ता साथ कर सकते हैं, लंच-एंड-लर्न, पैनल डिस्कशन और बहुत कुछ कर सकते हैं. हमने हाल ही में गुड़गांव के स्थानों पर एक ऑफ़लाइन अभियान "#getouttohelp कैंपेन" की मेजबानी की, जहां हमने लोगों से आग्रह किया कि वे घर से बाहर निकलें और विशेष रूप से इस समय सर्दियों में लोगों की मदद करें."

यह भी पढ़ें
कैसे रिमोट वर्किंग की कायापलट करने को तैयार है GetOut ऐप