गूगल का AI लिख रहा कहानियां, क्या खतरे में पड़ेगी राइटर्स की नौकरी !
गूगल ने बुधवार को एक इवेंट में बताया कि उसके वर्डक्राफ्ट प्रोजेक्ट का LaDMA चैटबॉट लेखकों के इनपुट के बाद अच्छी क्वॉलिटी की शॉर्ट कहानियां लिख पा रहा है. हालांकि बड़ी कहानियां लिखने में इसकी क्वॉलिटी अच्छी नहीं है.
वो दिन दूर नहीं जब हमें AI की लिखी हुई शॉर्ट फिक्शन कहानियां पढ़ने को मिलेंगी. दरअसल गूगल ने वर्डक्राफ्ट नाम का एक ऐसा कन्वर्जेशनल AI बनाया है जो लेखकों से मिले इनपुट के आधार पर शॉर्ट स्टोरीज लिखने का काम कर रहा है. कंपनी ने बुधवार को न्यूयॉर्क में गूगल AI इवेंट में इसकी घोषणा की.
उसने बताया कि 13 लेखकों ने गूगल के वर्डक्राफ्ट प्रोजेक्ट के चैटबॉट लैंग्वेज मॉडल फॉर डायलॉग अप्लिकेशंस(LaMDA) की मदद से 8 सप्ताह तक कहानियां लिखीं और उसके बाद उसका फीडबैक साझा किया है. ये कहानियां अब पब्लिक डोमेन में पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं.
गूगल रिसर्च के सीनियर रिसर्च डायरेक्टर डगलस एक ने इवेंट शुरू होने से पहले एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, हमने प्रोफेशनल ऑथर्स के साथ वर्डक्राफ्ट के LaMDA टूल के साथ पायलट तौर पर कुछ कहानियां लिखने के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू किया था. मुझे लगता है यह चैटबॉट हमें अपनी भावनाओं को एक अलग तरह की रचनात्मकता के साथ व्यक्त करने का जरिया बनेगा.
हालांकि हमें इस एक्सपेरिमेंट ये भी मालूम पड़ा कि ये काम आसान नहीं है. देखने में या सुनने में ऐसा लग सकता है कि LaMDA खुद से कहानियां लिख देगा लेकिन ऐसा नहीं है. ओरिजनल इनपुट तो ऑथर्स का ही होगा.
आपको बता दें कि गूगल ने LaMDA को पिछले साल यह कहते हुए पेश किया था कि यह एक डायलॉग इंजन होगा जो यूजर्स को कन्वर्जेशन में इंगेज करेगा. अभी तक के मौजूदा टेक्स्ट टूल जैसे वर्डट्यून या ग्रैमरली से इतर वर्डक्राफ्ट न सिर्फ स्पेलिंग या फाइनल ड्राफ्ट में सुधार का सुझाव देंगे बल्कि फिक्शन लिखने में मदद करेंगे.
एक ने कहा कि अकेले LaMDA फिक्शन लिखने के लिए काफी नहीं है. अगर क्वॉलिटी चाहिए तो उसे राइटर्स का इनपुट चाहिए ही होगा. इसके अलावा एक और चीज तय है कि LaMDA को पूरी बड़ी कहानियां लिखने के लिए इस्तेमाल करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इसके अच्छे नतीजे नहीं सामने आए. कुलमिलाकर ये कहा जा सकता है कि LaMDA सिर्फ एक को-राइटिंग टूल है ये राइटर्स की जगह नहीं ले सकता.
हालांकि उन्होंने आगे कहा कि उनके अब तक के अनुभव के मुताबिक AI उस मसाल की तरह है जो खाने का स्वाद बढ़ा सकता है खुद एक व्यंजन नहीं हो सकता है. मतलब कि वो राइटर्स के लेख को और सुंदर कर सकता है. मगर पूरी कहानी खुद नहीं लिख सकता. हालांकि AI कला, साहित्य के मामले में कैसे और अच्छा कर सकता है इस पर गूगल लगातार काम करता रहेगा.
वॉशिंगटन पोस्ट में जुलाई में छपे एक लेख में बताया गया था कि गूगल के अनुसार LaMDA न कोई भाषा समझ सकता है ना कोई मतलब या संदर्भ. लेकिन इंटरनेट पर मौजूद तमाम तरह के आंकड़ों को स्कैन करने के बाद वो काफी हद तक एक इंसानी लेख जैसा लिख सकता है और कुछ शब्दों के बाद आगे की लाइन पूरी करने के लिए शब्द जरूर सुझा सकता है.
हालांकि, उसी महीने की शुरुआत में गूगल के एक इंजीनियर लेमोइन ने ये दावा किया था कि LaMDA एक ऐसा AI है जो इंसानों की तरह चीजों को महसूस कर सकता है. लेमोइन ने LaMDA को लेकर कई मीडिया इंटरव्यू भी दिए जिसके बाद गूगल ने उन्हें गोपनीयता नीति के उल्लंघन के आरोप में नौकरी से निकाल दिया था.
Edited by Upasana