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सरकार ने राष्ट्रीय बायोफ्यूल पॉलिसी–2018 में संशोधन को दी मंजूरी, जानें क्या बदलाव हुए

मौजूदा राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति 2018 के दौरान अस्तित्व में आई थी। इस प्रस्तावित संशोधन से मेक इन इंडिया अभियान का मार्ग प्रशस्त होगा तथा जैव-ईंधन के अधिक से अधिक प्रोडक्शन के जरिये पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के आयात में कटौती संभव होगी।

सरकार ने राष्ट्रीय बायोफ्यूल पॉलिसी–2018 में संशोधन को दी मंजूरी, जानें क्या बदलाव हुए

Thursday May 19, 2022 , 2 min Read

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018 (National Policy on Biofuels-2018) में संशोधन किये जाने को मंजूरी दे दी है।

राष्ट्रीय जैव-ईधन नीति, जिसे नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New & Renewable Energy) के जरिये 2009 में लागू किया गया था, के स्थान पर “राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018” को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Ministry of Petroleum and Natural Gas) ने 04 जून, 2018 को अधिसूचित किया था।

जैव-ईंधन में होने वाली प्रगति को ध्यान में रखते हुये राष्ट्रीय जैव-ईंधन समन्वय समिति (National Biofuel Coordination Committee - NBCC) की विभिन्न बैठकों में बायो-फ्यूल प्रोडक्शन बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इसी तरह 01 अप्रैल, 2023 से देशभर में 20 प्रतिशत तक की एथेनॉल (Ethanol) की मात्रा वाले एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लिये पहलकदमी करने के बारे में स्थायी समिति की सिफारिशों पर भी निर्णय लिया गया, जिसके अलोक में राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति में संशोधन किये जा रहे हैं।

राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति के लिये स्वीकृत मुख्य संशोधन इस प्रकार हैं:

  • जैव-ईंधन के उत्पादन के लिये अधिक फीडस्टॉक्स को मंजूरी,

  • पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्य को ESY 2030 से पहले 2025-26 में ही प्राप्त करने के लिए पहलकदमी करना,

  • मेक इन इंडिया (Make in India) कार्यक्रम के तहत विशेष आर्थिक जोन (SEZ)/निर्यातोन्मुख इकाइयों (EoUs) द्वारा देश में जैव-ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहन,

  • NBCC में नये सदस्यों को जोड़ना,

  • विशेष मामलों में जैव-ईंधन के निर्यात की अनुमति देना, और

  • राष्ट्रीय जैव-ईंधन समन्वय समिति की बैठकों के दौरान लिये गये निर्णयों के अनुपालन में नीति में कतिपय वाक्यों को काटना/संशोधित करना।

इस प्रस्ताव ने स्वदेशी टेक्नोलॉजी के विकास के लिये आकर्षण और समर्थन बढ़ेगा, जिससे मेक इन इंडिया अभियान का मार्ग प्रशस्त होगा; तदनुसार और अधिक रोजगार पैदा होंगे। 

मौजूदा राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति 2018 के दौरान अस्तित्व में आई थी। इस प्रस्तावित संशोधन से मेक इन इंडिया अभियान का मार्ग प्रशस्त होगा तथा जैव-ईंधन के अधिक से अधिक प्रोडक्शन के जरिये पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के आयात (import) में कटौती संभव होगी। जैव-ईंधन के लिये कई सारे फीडस्टॉक्स को मंजूरी दी जा रही है। इस कदम से आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) को प्रोत्साहन मिलेगा तथा 2047 तक भारत के “ऊर्जा के मामले में स्वतंत्र” होने के प्रधानमंत्री की परिकल्पना को गति मिलेगी।