सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKAY) की अवधि 6 महिने और बढ़ाई
सरकार के इस कदम से समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के लोग लाभान्वित होंगे। PM-GKAY के तहत लगभग 3.4 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय और 1,000 एलएमटी से भी अधिक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया है।
समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के प्रति चिंता एवं संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKAY) की अवधि छह माह और यानी सितंबर 2022 (चरण VI) तक बढ़ा दी है।
PM-GKAY का चरण-V मार्च 2022 में समाप्त होने वाला था। उल्लेखनीय है कि PM-GKAY को अप्रैल 2020 से ही दुनिया के सबसे बड़े खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के रूप में लागू किया जाता रहा है।
सरकार ने अब तक लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं एवं अगले 6 महीनों में सितंबर 2022 तक 80,000 करोड़ रुपये और खर्च किए जाएंगे जिससे PM-GKAY के तहत कुल खर्च लगभग 3.40 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को छू जाएगा।
इस योजना के तहत पूरे भारत में लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया जाएगा और पहले की तरह ही इस योजना के लिए आवश्यक धनराशि का इंतजाम पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा ही किया जाएगा।
भले ही कोविड-19 महामारी का प्रकोप काफी हद तक कम हो गया हो और देश में आर्थिक गतिविधियां निरंतर तेज गति पकड़ रही हों, लेकिन पीएम-जीकेएवाई की अवधि बढ़ाने से यह सुनिश्चित होगा कि आर्थिक रिकवरी के मौजूदा समय में कोई भी गरीब परिवार भूखा सोने पर विवश न हो।
विस्तारित PM-GKAY के अंतर्गत, प्रत्येक लाभार्थी को NFSA के तहत मिल रहे खाद्यान्न के अपने सामान्य कोटे के अलावा प्रति-व्यक्ति प्रति-माह, अतिरिक्त 5 किलो निःशुल्क राशन मिलेगा। इसका मतलब है कि प्रत्येक गरीब परिवार को सामान्य मात्रा से लगभग दोगुना राशन मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने PM-GKAY के तहत चरण V तक लगभग 759 LMT खाद्यान्न निःशुल्क आवंटित किया था। इस विस्तार (चरण VI) के तहत, 244 LMT निःशुल्क खाद्यान्न के साथ, PM-GKAY के तहत निःशुल्क खाद्यान्न का कुल आवंटन अब 1,003 LMT हो गया है।
देश भर में लगभग 5 लाख राशन की दुकानों पर लागू ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ (ONORC) योजना के माध्यम से किसी भी प्रवासी श्रमिक या लाभार्थी द्वारा निःशुल्क राशन का लाभ उठाया जा सकता है। अब तक, इस योजना के तहत हुए 61 करोड़ से अधिक लेन-देन के जरिये लाभार्थियों को उनके घरों से दूर लाभ मिला है।
सदी की सबसे भीषण महामारी के बावजूद, सरकार द्वारा किसानों को अब तक के सबसे अधिक भुगतान के साथ, अनाजों की अब तक की सबसे अधिक सरकारी खरीद के कारण यह संभव हुआ है। कृषि क्षेत्र में इस रिकॉर्ड उत्पादन के लिए भारतीय किसान, यानि 'अन्नदाता'- बधाई के पात्र हैं।