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सरकार बना रही है हायरिंग प्लान, अब सरकारी बैंकों में मिलेंगी खूब नौकरियां

सरकार बना रही है हायरिंग प्लान, अब सरकारी बैंकों में मिलेंगी खूब नौकरियां

Tuesday September 20, 2022 , 3 min Read

वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने बुधवार को सरकारी बैंकों के प्रमुखों की बैठक बुलाई है. इसमें इन बैंकों में कर्मचारियों की संख्या की समीक्षा की जाएगी और उनसे मंथली हायरिंग प्लान मांगा जाएगा. पिछले 10 साल में देश में बैंक शाखाओं की संख्या में 28 फीसदी तेजी आई है लेकिन कर्मचारियों की संख्या उस तेजी से नहीं बढ़ी है. बैंकरों का कहना है कि खासकर ब्रांच लेवल पर स्टाफ की भारी कमी है.

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 2010-11 में सरकारी बैंकों में कर्मचारियों की संख्या 7.76 लाख थी जो 2020-21 में 7.71 लाख रह गई. बैंकिंग सेक्टर में अधिकारियों की संख्या में 26 फीसदी इजाफा हुआ है जबकि क्लर्क और जूनियर स्टाफ की संख्या में भारी कमी आई है. टेक्नोलॉजी के विस्तार से इन कर्मचारियों की संख्या में कमी आई है. साथ ही इन श्रेणियों में भर्तियां भी कम हुई हैं.

govt seeks monthly hiring plan

पिछले दस साल में सरकारी बैंकों की ब्रांचेज की संख्या 28 फीसदी बढ़ी है जबकि स्टाफ की संख्या में कमी आई है. ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल टूल्स और एटीएम का इस्तेमाल बढ़ने से खासकर क्लेरिकल और सबऑर्डिनेट स्टाफ की संख्या में कमी आई है. मार्च 2021 के अंत में पूरे देश में सरकारी बैंकों की 86,311 शाखाएं थीं. साथ ही देश में करीब 1.4 लाख एटीएम थे. एक दशक पहले देश में सरकारी बैंकों की शाखाएं 67,466 थी जबकि एटीएम की संख्या 58,193 थी.

प्राइवेट बैंकों के ज्यादातर ब्रांच शहरी क्षेत्रों में हैं और उनके ग्राहक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पसंद करते हैं. दूसरी ओर सरकारी बैंकों की अधिकतम शाखाएं ग्रामीण इलाकों में हैं. यहां तक की शहरी इलाकों में भी इन बैंकों के ज्यादातर ग्राहक बैंकिंग से जुड़े किसी भी काम के लिए ब्रांच जाना पसंद करते हैं. लेकिन सरकारी बैंकों में स्टाफ की भारी कमी है. खासकर क्लेरिकल लेवल पर स्टाफ की भारी कमी है.

वित्त मंत्रालय ऐसे समय यह कदम उठा रहा है जबकि सरकार का जोर रोजगार बढ़ाने पर है. जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2023 तक 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का टारगेट रखा है. उन्होंने हर विभाग से इस बारे में एक्शन प्लान तैयार करने को कहा है. इस बीच फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा भी बैंकरों से मिलकर उनसे एक्शन प्लान मांगेगे. हाल में फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने कहा था कि स्थानीय भाषा की जानकारी रखने वाले लोगों को बैंकों में फ्रंट डेस्क संभालने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए. इस बारे में बैंकों ने अभी तक प्लान नहीं बनाया है.

सेक्रेटरी, ऋणदाताओं को सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) से सामान खरीदने के लिए भी कहने जा रहे हैं, जो सरकारी खरीद के लिए Amazon जैसा प्लेटफॉर्म है, जिसका दायरा सार्वजनिक क्षेत्र और सहकारी समितियों तक बढ़ा दिया गया है. अनुसूचित जातियों को ऋण प्रवाह की समीक्षा के लिए अलग से, सीतारमण 28 सितंबर को बैंक प्रमुखों से मुलाकात करेंगी.


Edited by रविकांत पारीक