OYO के सीईओ रितेश अग्रवाल की सैलरी में 250% इजाफा, अब कमाते हैं इतना... कब आएगा IPO?

जहां एक ओर कंपनी ने सीईओ की सैलरी बढ़ाई है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों की सैलरी में भारी कटौती की गई है.

OYO के सीईओ रितेश अग्रवाल की सैलरी में 250% इजाफा, अब कमाते हैं इतना... कब आएगा IPO?

Tuesday September 20, 2022,

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Oyo Rooms के चीफ, फाउंडर और सीईओ रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) की सैलरी में 250 फीसदी का इजाफा हुआ है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, रितेश अग्रवाल को 5.6 करोड़ रुपये ओयो कंपनी की तरफ से मुआवजे के रूप में मिला है. मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) में दर्ज फाइलिंग में यह जानकारी सामने आई है. पिछले वित्त वर्ष में अग्रवाल को 5.6 करोड़ रुपये मिले हैं जो कि उससे एक साल पहले की तुलना में 250 फीसदी अधिक है. सॉफ्ट बैंक समर्थित कंपनी देश-दुनिया में होटल और हॉस्पिटेलिटी की सेवा देने के लिए जानी जाती है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2021 में रितेश को बतौर सैलरी 1.6 करोड़ रुपए मिले थे. वहीं, साल 2020 में उन्हें 21.50 लाख रुपए की सैलरी मिली थी.

कर्मचारियों की सैलरी में हुई कटौती

जहां एक ओर कंपनी ने सीईओ की सैलरी बढ़ाई है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों की सैलरी में भारी कटौती की गई है. वित्तीय वर्ष 2022 में कंपनी ने कर्मचारियों की सैलरी में मात्र 7 फीसदी की बढ़ोतरी की और इसे बढ़ाकर 1862 करोड़ रुपए कर दिया. कंपनी ने सैलरी, बोनस आदि के मद होने वाले खर्च में 27 फीसदी की कटौती कर इसे 1117 करोड़ रुपए कर दिया.

ऑनलाइन होटल एग्रीगेटर ओयो ने एंप्लॉय स्टॉक ऑप्शन पर 680 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. मार्केट रेगुलेटर सेबी को दी गई जानकारी में कंपनी ने बताया कि साल 2021 तक कंपनी ने इस पर 153 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जबकि 2022 में इसमें 344 फीसदी की बढ़ोतरी की गई.

OYO का IPO

ओयो अगले साल अपना आईपीओ लाने की तैयारी कर रहा है. कंपनी ने सेबी में फाइनेंस से जुड़े कागजात जमा कराए हैं. इससे पहले सेबी में DRHP (draft red herring prospectus) जमा कराया गया था. आईपीओ लाने से पहले DRHP सेबी में जमा कराना जरूरी होता है. ओयो अगले साल की शुरुआत में अपना आईपीओ लाने की पूरी तैयारी कर रहा है.

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OYO Rooms के चीफ, फाउंडर और सीईओ रितेश अग्रवाल

कैसे सबसे कम उम्र में अरबपति बने रितेश?

देश के सबसे सफल उद्यमियों में से एक और सबसे कम उम्र में अरबपति बनने वाले रितेश की शुरुआत बेहद सामान्य ही थी. रितेश का परिवार उड़ीशा में एक छोटी सी दुकान चलाता था. साल 2011 में रितेश महज 13 साल के थे, जब उन्होंने सिम कार्ड बेचने शुरू कर दिये. रितेश ने इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला जरूर लिया, लेकिन उन्हें लगा कि वो कॉलेज की पढ़ाई में बेहतर नहीं कर पाएंगे और उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया.

रितेश ने YourStory के साथ पहले की बातचीत में बताया कि कैसे उनके रिशतेदारों के घर पर एक ही टीवी था और जिसमें धारावाहिक (सीरियल) चला करते थे, जबकि वो उसमें कार्टून देखना चाहते थे, बस ओयो रूम्स को शुरू करने का पहला आइडिया उनके दिमाग में यहीं से आया.

रितेश ने मज़ाकिया अंदाज में आगे कहा, “मेरे परिजनों को लगता था मैं जीवन में कुछ नहीं कर पाऊँगा. अगर मुझे किसी आईटी कंपनी में नौकरी मिल जाती तो मैं बहुत अच्छा करता.”

रितेश ने जब इस सेक्टर में आगे बढ़ने का फैसला किया, तब छोटे होटल्स की हालत उतनी अच्छी नहीं थी. न तो उन होटल्स के पास अधिक ग्राहक थे और न ही होटल्स में साफ-सफाई को गंभीरता से लिया जाता था.

रितेश ने इस दौरान अलग-अलग होटल मालिकों से बात की. उन्हें कुछ बदलाव करने को कहा. और होटल की कुछ तस्वीरों को इंटरनेट पर भी पोस्ट किया. इसी का नतीजा था कि होटल को जल्द ही अधिक ग्राहक मिलने शुरू हो गए.

होटल्स को ग्राहकों के लिए उपलब्ध कराने की शुरुआत रितेश ने साल 2013 में कर दी थी, लेकिन ऐसा नहीं है कि रितेश हमेशा सफल ही हुए. इस सफर में उन्हें 6 बार असफलता का सामना करना पड़ा. रितेश कहते भी हैं कि "अगर आप असफल नहीं हुए हैं, इसका मतलब है कि आपने अभी पूरी तरह से प्रयास नहीं किया है."

जब रितेश 18 साल के हुए तब उन्होंने 'ओरैवल स्टेज' नाम से पोर्टल शुरू किया, जो लोगों को किफ़ायती दामों पर होटल बुक करने की सुविधा उपलब्ध कराता था, जिसे बाद में ओयो रूम्स के नाम से आगे ले जाया गया. शुरुआती चरण में ओयो महज एक वेबसाइट थी, लेकिन साल 2016 में ओयो ने बड़ी तेजी से होटल्स को अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया. आज ओयो रूम्स की होटल चेन दुनियाभर में फैली है.