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हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में अपनी पूरी 29.54% हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, कैबिनेट ने दी मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में अपनी बची हुई हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी है.

कैबिनेट ने मंगलवार को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Hindustan Zinc Limited - HZL) में केंद्र की शेष 29.54% हिस्सेदारी को मौजूदा बाजार मूल्य पर लगभग 38,000 करोड़ रुपये की बिक्री को मंजूरी दे दी है. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में इसका दावा किया गया है.

BPCL के निजीकरण के साथ अब HZL हिस्सेदारी की बिक्री सरकार को मूल्य के मामले में एक बड़ी राजस्व क्षमता प्रदान करती है.

सुप्रीम कोर्ट के 18 नवंबर, 2021 के आदेश के अनुसार, केंद्र SEBI के नियमों के अनुसार HZL में अपनी बची हुई हिस्सेदारी को खुले बाजार में बेच सकता है.

हाल ही में, केंद्र और वेदांत (HZL के वर्तमान प्रमोटर) ने बची हुई हिस्सेदारी बिक्री में वेदांत द्वारा मांगे गए दूसरे कॉल विकल्प के संबंध में एक मध्यस्थता को पारस्परिक रूप से समाप्त करने का निर्णय लिया था.

2002 में, वेदांत (जिसे पहले Sesa Sterlite के नाम से जाना जाता था) ने भारत की सबसे बड़ी जस्ता/सीसा खनिक HZL में 26% हिस्सेदारी खरीदी थी. इसने 2003 में पहले कॉल विकल्प का प्रयोग किया और HZL में 18.9% अतिरिक्त हिस्सेदारी हासिल की. वेदांता ने बाद में एक खुली पेशकश के माध्यम से कंपनी में एक और 20% हिस्सेदारी हासिल कर ली, जिससे उसकी हिस्सेदारी बढ़कर 64.92% हो गई.

HZL में सरकार की शेष 29.5% हिस्सेदारी हासिल करने के लिए, उसने 2009 में दूसरे कॉल विकल्प का प्रयोग किया था, लेकिन सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया था. इसके बाद, वेदांत ने उसी वर्ष सरकार के खिलाफ मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की.

कंपनी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने पहले कहा था कि जब सरकार HZL में अपनी बची हुई हिस्सेदारी बेचती है, तो वेदांत 5% हिस्सेदारी के लिए बोली लगा सकता है.