प्लास्टिक बैन सफल बनाने के लिए लोगों को मुफ्त में स्टील के बर्तन उपलब्ध कराएगा ग्रीन अर्थ NGO
संगठनों और लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए एनजीओ ने 'नो प्रॉफिट-नो लॉस' के आधार पर झारखंड और ओडिशा के सिंगल यूज प्लास्टिल का विकल्प बनाने वाले लोगों से हाथ मिलाया है और संगठनों और स्थानीय लोगों के लिए वहां से सीधे चीजें मंगा सकते हैं.
पर्यावरण के लिए बेहद सिंगल यूज हानिकारक प्लास्टिक पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को सफल बनाने के लिए ग्रीन अर्थ एनजीओ ने एक विशेष पहल की है. एनजीओ के पर्यावरणविदों का एक समूह लोगों के लिए 'नो प्रॉफिट-नो लॉस' के आधार पर सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल का विकल्प लेकर आया है जो कि गैर-कारोबारी इस्तेमाल के लिए स्टील के बर्तन उपलब्ध कराएगा.
हरियाणा के कुरुक्षेत्र स्थित ग्रीन अर्थ एनजीओ स्थानीय लोगों को यह सुविधा मुहैया करा रहा है. रविवार को कुरुक्षेत्र में इस पहल की जानकारी देने के लिए एक सेमीनार आयोजित किया गया जिसमें 60 से अधिक सामाजिक और धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए.
ग्रीन अर्थ एनजीओ के कार्यकारी सदस्य नरेश भारद्वाज ने योर स्टोरी से बात करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र एक धार्मिक जगह है. यहां पर कई धार्मिक संगठन हैं जो कि लंगर लगाते हैं और रोजाना प्रसाद वितरण करते हैं लेकिन उनमें से अधिकतर सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि हम सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल के खिलाफ एक अभियान चला रहे हैं और लोगों को उसके बुरे प्रभाव के बारे में बता रहे हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक के बंद होने के बाद हम नए पहल की शुरुआत कर अपने अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं.
भारद्वाज ने आगे कहा कि एनजीओ ने प्लेट्स, चम्मच और ग्लास सहित स्टील के 100 सेट्स बर्तन के साथ 'बर्तन भंडार' की शुरुआत की है. हम लोगों से अपील करेंगे कि बर्तन वापस करते समय वे कम से कम एक सेट बर्तन अतिरिक्त दें ताकि उनकी संख्या बढ़ सके और अधिक लोग पहल का लाभ उठा सकें. उन्होंने बताया कि हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और दो संगठनों ने हमें 50-50 बर्तन सेट्स देने की घोषणा की है.
वहीं, ग्रीन अर्थ ने लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प में पेपर, लकड़ी, गन्ने और पत्तों से से बने कटलरी के इस्तेमाल की सलाह दी.
संगठनों और लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए एनजीओ ने 'नो प्रॉफिट-नो लॉस' के आधार पर झारखंड और ओडिशा के सिंगल यूज प्लास्टिल का विकल्प बनाने वाले लोगों से हाथ मिलाया है और संगठनों और स्थानीय लोगों के लिए वहां से सीधे चीजें मंगा सकते हैं.
भारद्वाज ने कहा कि उनका एनजीओ ग्रीन अर्थ साल 2006 से काम कर रहा है और पूरे हरियाणा में फैला है. एनजीओ की कोर टीम में कुल 12 सदस्य हैं और सभी नौकरी करते हैं. ये सभी सदस्य पैसे जुटाकर एनजीओ को चलाते हैं.
ग्रीन अर्थ पर्यावरण, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सफाई जैसे मुद्दों पर काम करता है और देशभर में एनजीओ के 600 वालंटियर हैं जो कि अपने स्तर पर काम को आगे बढ़ाते रहते हैं.