1988 में सिर्फ 10 हजार रुपये से हुई शुरुआत, आज न्यू नॉर्मल में ईकॉमर्स का इस्तेमाल कर करोड़ों का बिजनेस कर रहा ग्वालियर का डेनिसन
अश्विनी सेठ ने 2014 में जब अपने फैमिली बिजनेस डेनिसन गारमेंट्स को ज्वॉइन किया, उन्हें तभी यह यकीन था कि वह दुकान पर पूरा दिन बैठकर ग्राहकों के आने का इंतजार नहीं कर सकते हैं।
कोरोना महामारी ने रिटेल बिजनेस को ऑनलाइन आने पर मजबूर किया। हालांकि Dennison Garments ने इस महामारी के आने के सालों पहले से खुद की ऑनलाइन उपस्थिति बनानी शुरू कर दी थी।
ग्वालियर शहर से शुरू हुए बिजनेस ने खुद को डिजिटल बनाने में जो निवेश किया, उसका फायदा उसे 2020 में मिला। गारमेंट कंपनी की ऑनलाइन ब्रांच, डेनिसन इंडिया 2014 से 2020 के लगातार ग्रोथ हासिल कर रही थी। लेकिन इसमें भारी उछाल वित्त वर्ष 2021 में देखने को मिली, जब इसकी ऑनलाइन बिक्री में भारी उछाल आया और उसका आमदनी वित्त वर्ष में दोगुना से अधिक बढ़कर 4.65 करोड़ पहुंच गया, जो इसके पिछले वित्त वर्ष में 2.06 करोड़ था।
डेनिसन का डिजिटल सफर 2014 में शुरू हुई, जब अश्विनी सेठ ने अपने पारिवारिक व्यवसाय को जॉइन किया। एमबीए ग्रेजुएट अश्विनी को यकीन था कि ग्राहकों के आने का इंतजार करने के लिए अपने पिता की दुकान पर बैठना उनकी मिजाज से मेल नहीं खाता। वह 2011 से ई-कॉमर्स ट्रेंड को फॉलो कर रहे थे और जानते थे कि इस क्षेत्र में बढ़ने की आपार संभावना है।
अश्विनी के पिता राजेंद्र सेठ ने 1988 में डेनिसन गारमेंट्स की स्थापना की, जो पुरुषों के लिए शर्ट और ट्राउडर बेचता हैं। तीन दशकों के सफर के दौरान, व्यवसाय में कई बदलाव देखे गए। हालांकि फिर भी यह महामारी जैसी चुनौती के लिए तैयार नहीं था। कंपनियों को रातोंरात अपने ऑपरेशंस में बदलाव कर न्यू नॉर्मल में फिट होने तरीके पर विचार करना पड़ा। हालांकि डेनिसन ने पहले ई-कॉमर्स सेगमेंट में एंट्री कर ली थी, ऐसे में इसके लिए इस बदलाव को संभालना थोड़ा आसान था।
डेनिसन की स्थापना की कहानी
1980 के दशक में, राजेंद्र एक गारमेंट्स बिजनेस चलाते थे, जो भारतीय सेना के लिए वर्दी बनाता था। अश्विनी का कहना है कि उनके पिता मुंबई (तब बॉम्बे) और गुजरात से कपड़े खरीदते थे और स्थानीय स्तर पर इसे बनवाते थे।
वर्दी का कारोबार चलाने के दौरान, राजेंद्र ने भारतीय पुरुषों के कपड़ों के बाजार में एक गैप पाया। अश्विनी का कहना है कि उनके पिता के सामाजिक दायरे में कई लोगों ने बताया कि पुरुषों के लिए रेडी-टू-वियर शर्ट बेचने वाले अधिक ब्रांड नहीं थे। जो बाजार में उपलब्ध थे वे महंगे थे और एक कमीज की सिलाई करवाना समय लेने के साथ महंगा भी था।
इस दौरान भारत में भी उपभोक्ता व्यवहार में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा था।
अश्विनी ने YourStory को बताया, "किफायती दामों पर शर्ट बनाने का सपना लोगों तक पहुंचने में मदद करेगा।"
राजेंद्र ने 10,000 रुपये के निवेश के साथ डेनिसन को लॉन्च करने के लिए अपना स्कूटर बेच दिया। शुरुआत में ग्वालियर में एक छोटी सी इकाई में चार सिलाई मशीनें थीं। पहली कुछ कमीज़ों को 1988 में लॉन्च किया गया था और इसकी कीमत 98 रुपये थी। इस रेंज को डबल EX शर्ट कहा जाता था।
रेडी-टू-वियर कमीजों ने जोर पकड़ लिया और एक साल के भीतर राजेंद्र ने एक और स्टोर खोल दिया।
खुद बनाई अपनी राह
हालांकि डेनिसन की शुरुआत अच्छी रही, लेकिन इसका सफर आसान नहीं रही। 1997 में, राजेंद्र ने व्यवसाय से बाहर निकल कर अपने परिवार (उनके पांच भाइयों) को संचालन सौंप दिया। अश्विनी का कहना है कि उनके चाचा में डेनिसन को लेकर उनके पिता जैसा विजन नहीं था। राजेंद्र ने 2008 में फिर से बागडोर संभालने का फैसला किया।
आज राजेंद्र और हर्ष सेठ (अश्विनी के भाई) रिटेल कारोबार चलाते हैं जो ग्वालियर में दो आउटलेट तक बढ़ गया है। अश्विनी द्वारा चलाए जा रहे ई-कॉमर्स बिजनेस को अकाउंटिग मुद्दों के कारण 2017 में रिटेल बिजनेस से अलग कर दिया गया था।
अश्विन ने रिटेल बिजनेस से होने वाली आमदनी का खुलासा करने से इनकार कर दिया।
जब अश्विनी ने ईकॉमर्स वर्टिकल में कदम रखा, तो उनके सामने कई चुनौतियां थीं। इसके अलावा, ग्वालियर में 2010 में ई-कॉमर्स व्यवसायों का समर्थन करने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी थी।
उनका कहना है कि पहला कदम ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म स्नैपडील पर लिस्ट होना था। अश्विनी के अनुसार, 2016 में अमेजन इंडिया पर लिस्ट होने के बाद बिजनेस ने लोकप्रियता हासिल की।
बाद में इसे मिंत्रा जैसे प्लेटफॉर्म पर लिस्ट किया गया और 2018 में अपनी वेबसाइट भी लॉन्च की। लेकिन कंटेंट क्रिएशन की कमी के कारण यह उद्यम जल्द ही बंद हो गया।
अश्विनी का कहना है कि पिछले दो वर्षों में, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर कंटेंट बनाने पर ध्यान केंद्रित करने से व्यवसाय को ग्राहकों से जुड़ने और ब्रांड वैल्यू बढ़ाने में मदद मिली है।
कोरोना के समय में व्यापार
अश्विनी के अनुसार, कोरोना महामारी ने ई-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण किया है और व्यवसायों की बिक्री बढ़ाने में मदद की है।
वे कहते हैं, “शुरुआत में, इंटरनेट या ईकॉमर्स तक सबकी पहुंच नहीं थी। केवल एक खास वर्ग के लोग ऑनलाइन ऑर्डर करते थे, जो अब बदल गया है। आज, यह एक आवश्यकता बन गई है जिसके कारण इस क्षेत्र में तेजी आई है।”
अश्विनी को यह भी भरोसा है कि पुरुषों के रेडी-टू-वियर गारमेंट्स जैसे भीड़-भाड़ वाले बाजार में डेनिसन गुणवत्ता और वहनीयता दोनों के मामले में सबसे अलग होगा। रिसर्च प्लेटफॉर्म स्टेटिस्टा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मेन्सवियर स्पेस $23,336 मिलियन (2021 में) के होने का अनुमान है, और वर्तमान में पीटर इंग्लैंड, एलन सोली, मोंटे कार्लो, फ्लाइंग मशीन्स, रेमंड जैसे कई ब्रांड इसमें मौजूद हैं।
डेनिसन के शर्ट की कीमत 700 रुपये से शुरू होती है। अश्विनी के अनुसार, कंपनी बड़े ब्रांडों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रही है और "उनके पास करने के लिए बहुत कुछ है।"
इसके अलावा, ब्रांड स्थिरता पर अपना ध्यान बढ़ाकर अपने खेल को भी बढ़ा रहा है।
आने वाले समय में, डेनिसन टिकाउपन पर जोर दे रहा है। इसके अन्य पहल के अलावा, यह भांग से बनी शर्ट बेचने की योजना बना रहा है। वे कहते हैं, "हम ऐसे परिधान बनाना चाहते हैं जिनमें कम से कम कार्बन फुटप्रिंट हो।"
अगले वित्तीय वर्ष में, डेनिसन अपने उत्पाद लाइनअप में महिलाओं के वस्त्र और जूते की श्रेणी भी जोड़ना चाहता है।
डेनिसन भारत में डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) लहर को पकड़ने में विफल रहा है, हालांकि अश्विनी को विश्वास है कि व्यवसाय प्रासंगिक बने रहने के लिए इनोवेशन करता रहेगा। अभी के लिए, अश्विनी एक वेबसाइट रीडिजाइन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
Edited by रविकांत पारीक