कभी सुषमा स्वराज को पढ़ाया था, अब इच्छा मृत्यु के लिए कोर्ट में दाखिल की वसीयत
चंडीगढ़ के रिटायर्ड प्रोफेसर कपल ने कोर्ट से की इच्छा मृत्यु के लिए अपील...
चंडीगढ़ के एक रिटायर्ड प्रोफेसर कपल ने कोर्ट से इच्छा मृत्यु के लिए अपील की है। पति डी. एन. जौहर (71) और पत्नी आदर्श जौहर (63) ने इच्छा मृत्यु के लिए अपनी वसीयत चंडीगढ़ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने दाखिल की है।
चंडीगढ़ से एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां रहने वाले एक रिटायर्ड प्रोफेसर कपल ने कोर्ट से इच्छा मृत्यु के लिए अपील की है। पति डी. एन. जौहर (71) और पत्नी आदर्श जौहर (63) ने इच्छा मृत्यु के लिए अपनी वसीयत चंडीगढ़ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने दाखिल की है।
कपल का कहना है,
“मरने की स्टेज पर उन्हें जबरदस्ती अस्पतालों में ना घसीटा जाए और लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर ना रखा जाए। इसके बजाय उन्हें इच्छा मृत्यु दे दी जाए।”
इस बाबत प्रो. डी. एन. शर्मा ने चंडीगढ़ के जिला और सेशन कोर्ट में इच्छा मृत्यु के लिए अपील की है।
डॉ. जौहर का कहना है,
“मैं शान से जी रहा हूं तो शान से मरना भी मेरा अधिकार है। मुझे दवाइयों के नाम तक याद नहीं हैं तो मैं अपने आखिरी समय में किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता हूं।”
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए डी. एन. जौहर कहते हैं,
“पैसिव एथ्युनेसिया (इच्छामृत्यु) अब लीगल हो गई है। इसमें आपको कुछ कागजात जमा कराने होते हैं जिन्हें अडवांस डायरेक्टिव कहते हैं। आप इसे लिविंग विल भी कह सकते हैं। हालांकि फैसले में यह शब्द इस्तेमाल नहीं किया गया है। हम शायद पहले हैं जिन्होंने अडवांस डायरेक्टिव जमा कराया है।”
आपको बता दें कि पैसिव एथ्युनेसिया एक तरह की वसीयत है जिसके तहत अगर मरीज बचने की हालत में नहीं है तो लिखी वसीयत के मुताबिक उसे सपोर्ट सिस्टम को हटा दिया जाता है। सपोर्ट सिस्टम से हटाने का फैसला वह शख्स करता है जिसे ऐप्लिकेशन देने वाले शख्स ने अधिकृत किया है।
आपको बता दें, प्रो. डी. एन. जौहर बी. आर. अंबेडकर यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर रहे हैं और पंजाब यूनिवर्सिटी के लॉ डिपार्टमेंट से रिटायर्ड हैं। उनकी पत्नी आदर्श जौहर सेक्टर 11 कॉलेज के बॉटनी विभाग के अध्यक्ष पद से रिटायर हुई थीं। दैनिक भास्कर की एक खबर के मुताबिक डी. एन. जौहर भारत की पूर्व विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज को भी पढ़ा चुके हैं।
दरअसल एथ्युनेसिया (इच्छा मत्यु) दो तरह की होती है। ऐक्टिव और पैसिव, ऐक्टिव एथ्युनेसिया में व्यक्ति को जानबूझकर मौत दी जाती है। यानी उसे कोई इंजेक्शन या दवा देकर मौत देने की कोशिश की जा जाती है।
वहीं पैसिव एथ्युनेसिया में व्यक्ति की जान बचाने का प्रयास नहीं किया जाता। यानी अगर कोई व्यक्ति मरने वाला है तो उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर नहीं रखा जाता है।