कोविड-19 के इलाज के लिये प्लाज्मा थैरेपी को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया ये बड़ा बयान
नयी दिल्ली, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्लाज्मा थैरेपी से संभावित इलाज के बारे में मंगलवार को स्पष्ट किया कि उपचार की यह पद्धति अभी प्रयोग के दौर में है और ऐसी किसी भी पद्धति को मान्यता नहीं दी गयी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि परीक्षण के दौर से गुजर रही प्लाजमा थैरेपी के बारे में अभी तक पुष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं जिनके आधार पर यह दावा किया जा सके कि इस पद्धति से कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज किया जा सकता है।
इस बीच स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भरोसा व्यक्त किया कि कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिये त्वरित परीक्षण किट का भारत में ही अगले महीने के अंत तक निर्माण शुरु हो सकेगा।
उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग और इससे संबंधित शोध संस्थाओं के शीर्ष अधिकारियों के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान में तकनीकी संसाधनों को विकसित करने के लिये चलाये जा रहे कार्यों की समीक्षा के आधार पर कहा कि स्वदेशी किट विकसित होने के साथ ही देश में कोविड-19 के संक्रमण की परीक्षण क्षमता एक लाख प्रतिदिन तक पहुंचाने के लक्ष्य की भी प्राप्ति हो सकेगी।
अग्रवाल ने देश में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति की जानकारी देते हुये बताया कि अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थिति काफी बेहतर है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के हवाले से बताया कि कोरोना के संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित 20 देशों की तुलना में भारत में संक्रमित मरीजों की मौत 200 गुना कम हुयी है। वहीं, इन देशों में संक्रमण के 84 गुना अधिक मामले दर्ज किये गये है।
अग्रवाल ने कहा कि अगर आबादी के लिहाज से देखें तो इन 20 देशों की कुल जनसंख्या भारत की जनसंख्या के लगभग बराबर है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि भारत में संक्रमण रोकने के उपायों को बेहतर तरीके से लागू किया जा सका है।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमण से देश में अब तक 937 लोगों की मौत हो चुकी है।
अग्रवाल ने कोरोना संक्रमण का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज के दावों से उत्पन्न भ्रम के बारे में स्थिति को स्पष्ट करते हुये कहा कि ये दावे गलत हैं दावों और इस तरह की किसी पद्धति को अभी मान्यता नहीं दी गयी है।
उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न अस्पतालों में प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण का उपचार किये जाने के प्रयोग चल रहे हैं। इस पद्धति से इलाज संभव होने के दावों के बीच मंत्रालय ने स्थिति को स्पष्ट करते हुये यह जानकारी दी है।
अग्रवाल ने प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के दावों को भ्रामक और गैरकानूनी बताते हुये कहा कि फिलहाल यह पद्धति प्रयोग एवं परीक्षण के दौर में है।
उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 के इलाज में इस पद्धति की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन शुरु किया है। इसके तहत ही विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में इस पद्धति का परीक्षण किया जा रहा है।
अग्रवाल ने कहा,
‘‘आईसीएमआर ने अब तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी कारगर साबित हुयी है। अभी यह दावा करने के पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी पद्धति से कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करना मरीज के जीवन के लिये घातक साबित हो सकता है। इसलिये आईसीएमआर द्वारा अध्ययन पूरा होने के बाद पुख्ता प्रमाणों के आधार पर इसे इलाज की पद्धति के रूप में मान्यता दिये जाने तक इसे उपचार का विकल्प नहीं माना जा सकता ।
अग्रवाल ने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी अभियान की प्रगति के बारे में बताया कि देश में अब तक स्वस्थ होने वाले संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 6,868 हो गयी है। यह कुल संक्रमित मरीजों की संख्या का 23.3 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से पहले मरीजों की संख्या दोगुना होने में तीन दिन का समय लग रहा था लेकिन अब यह दर बढ़कर दस दिन हो गयी है।
उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान 684 मरीजों को स्वस्थ्य होने पर अस्पताल से छुट्टी दी गयी है। देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के 1543 नये मामले सामने आये हैं, इसके साथ ही संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 29,435 हो गयी है।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमण से देश में अब तक 934 लोगों की मौत हो चुकी है।
अग्रवाल ने बताया कि जिला स्तर पर चलाये जा रहे संक्रमण रोधी अभियान के कारण देश के 17 जिले ऐसे हैं, जिनमें पिछले 28 दिनों से संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है। सोमवार को ऐसे जिलों की संख्या 16 थी।
उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल के बाद इस सूची में दो जिले (पश्चिम बंगाल का कलिमपोंग और केरल का वायनाड) जुड़े हैं। वहीं, बिहार के लखीसराय जिले में संक्रमित मरीज मिलने के कारण यह जिला इस सूची से बाहर हो गया है।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मंगलवार को जैव तकनीक विभाग के 18 शोध संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर कोरोना वायरस के इलाज और टीके को विकसित करने के लिये जारी शोध कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कोविड-19 के परीक्षण की स्वदेशी किट भी यथाशीघ्र विकसित करने की जरूरत पर बल दिया।
अग्रवाल ने बताया कि मंत्रालय ने बेहद मामूली लक्षणों वाले संक्रमित मरीजों को घर में ही पृथक रख कर इलाज और देखभाल करने के बारे में दिशानिर्देश जारी किये हैं। उन्होंने बताया कि ये दिशानिर्देश पिछले दिनों संदिग्ध मरीजों के पृथकवास के बारे में दिये गये दिशानिर्देशों को ही विस्तार देते हुये जारी किये गये हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि बहुत मामूली लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल के बजाय घर में ही पृथक रखना अधिक सुरक्षित होने के कारण यह व्यवस्था दी गयी है। इसमें मरीज और उसकी नियमित देखभाल के लिये निर्दिष्ट व्यक्ति (केयर गिवर) के लिये विशेष सुरक्षा उपाय सुझाये गये हैं।
इस बीच डॉ. हर्षवर्धन ने मंगलवार को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल, स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन और दिल्ली सरकार एवं स्थानीय निकायों के शीर्ष अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिये समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय राजधानी में कारोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों से उत्पन्न स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा है कि एम्स सहित अन्य केन्द्रीय संस्थानों तथा संबद्ध अधिकारियों को राष्ट्रीय राजधानी पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
Edited by रविकांत पारीक