हिमाचल के 'ओरिजनल निट' स्टार्टअप का सालाना टर्नओवर पहुंचा करोड़ों में
कामकाजी महिलाएं अब जीवन के हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं। इसमें खासतौर से नागालैंड और हिमाचल प्रदेश की महिलाएं तो एक नई मिसाल कायम कर रही हैं। नागालैंड का 'चिजामी वीव्स' और मंडी (हिमाचल) की कंचन वैद्य का 'ओरिजनल निट' स्टार्टअप ने हजारों महिलाओं को रोजगार से जोड़ा है। 'चिजामी वीव्स' का टर्नओवर 50 लाख तो 'ओरिजनल निट' का करोड़ों में पहुंच चुका है।
हमारे देश में सबसे कम न्यूनतम मजदूरी नागालैंड में ही है, मात्र 136 रुपये लेकिन यहां के जिला फेक के गांव चिजामी की हर महिला कामकाजी बन चुकी है। महिलाओं की न्यूनतम मजदूरी भी पुरुषों के बराबर साढ़े चार सौ रुपये है। उन्होंने एक परंपरागत पेशा बुनाई को अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। यहां के 'चिजामी वीव्स' ब्रांड का सालाना टर्नओवर तो 50 लाख रुपए से भी ज्यादा हो चुका है।
पूरी लगन और मेहनत से काम शुरू कर उसे अंजाम तक पहुंचाना तो कोई महिलाओं से सीखे। अब वह स्टार्टअप में भी कामयाबी के नए-नए रिकार्ड बना रही हैं। नागालैंड की तरह मंडी (हिमाचल) की कंचन वैद्य का 'ओरिजनल निट' स्टार्टअप भी इसी तरह सफलता के शिखर की ओर है, जो शिशुओं के लिए हस्तनिर्मित ऊनी वस्त्र बनाता है। यह स्टार्टअप भी हिमाचल की सैकड़ों महिलाओं के जीवन में उजाला भर रहा है।
नागालैंड के गांव चिजामी की महिलाएं मुंबई और दिल्ली के फैशन डिजाइनर्स से ट्रेनिंग लेने के बाद स्वनिर्मित शॉल, मफलर, पर्स, वॉल हैंगिंग मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु के बाजारों तक पहुंचा रही हैं। हैंडीक्राफ्ट्स एंड हैंडलूम एक्सपोर्ट कॉर्पोरेशन यह सामान विदेश भी भेज रहा है। यहां महिलाओं की कमाई गांव के पुरुषों की कमाई से अधिक हो गई है।
नॉर्थ-ईस्ट सोशल रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. हेक्टर डिसूजा के मुताबिक, ये मेहनती महिलाएं तड़के सुबह चार बजे उठ जाती हैं। उसके बाद वे सुबह लूम पर बुनाई, दोपहर में खेतों में काम और शाम को फिर बुनाई में जुट जाती हैं। इस बीच रसोई से लेकर घर-परिवार के सारे काम भी संभालती रहती हैं।
इन महिलाओं ने सेनो सुहाह की दिखाई राह पर चलते हुए खुद के पैरों पर खड़े होने के लिए कुछ साल पहले बुनाई को अपना बिजनेस मॉडल बनाना शुरू किया। अब यहां के हर घर में बुनाई का काम होता है। आसपास के लगभग सोलह गांवों की छह सौ से अधिक महिलाएं 'चिजामी वीव्स' स्टार्टअप से जुड़ गई हैं। इस स्टार्टअप का सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपए से ज्यादा हो चुका है।
इस गांव की ऐतशोले थोपी बताती हैं कि हमने बुनाई के अलावा खेती में भी कई तरह के नए तरीके अपनाए हैं। वे लगभग 61 तरह के अनाज और सब्जियों के बीजों का बैंक बना चुकी हैं। झूम (सामूहिक) खेती करती हैं। फसलों को आपस में बराबर-बराबर बांट लेती हैं।
ऑस्ट्रेलियाई कंपनी में एचआर मैनेजर रहीं हिमाचल प्रदेश की कंचन वैद्य का स्टार्टअप 'ओरिजनल निट' कुछ साल पहले 20 हजार रुपए की बचत से शुरू हुआ था। उसके अगले साल 45 लाख रुपए, वर्ष 2017 में एक करोड़ रुपए और वर्ष 2018-19 में 3.5 करोड़ रुपए राजस्व हासिल करने का लक्ष्य पूरा कर लिया। कंचन शिशुओं और बच्चों के लिए हस्तनिर्मित ऊनी वस्त्र ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनो तरह से सेल कर रही हैं।
खास बात यह है कि ये स्टार्टअप हिमाचल प्रदेश के गांवों में महिलाओं के भविष्य को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है। कॉरपोरेट करियर के लिए मंडी शहर छोड़ कर महानगर में पहुंचने वाली कंचन वैद्य ने वर्ष 2015 में गुररुग्राम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की थी। इस समय उनके पास दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में 300 से ज्यादा महिलाओं का नेटवर्क है।
कंचन वैद्य से शुरुआत में सिर्फ 10 महिलाएं जुड़ी थीं। शुरुआत में वह फेसबुक पर डिजाइन शेयर करने और ऑर्डर लेने लगीं। पहले महीने उनको 300 ऑर्डर मिले तो उन्होंने अपने स्टार्टअप को रजिस्टर्ड करा लिया। अब उनके प्रॉडक्ट देश के कई महानगरों भोपाल, बरेली के साथ ही हिमाचल के पलक्कड़, जलगांव जैसे छोटे शहरों में भी बिक रहे हैं।
कंचन कहती हैं कि हिमाचल से तैयार होकर उनका प्रॉडक्ट गुरुग्राम लाया जाता है। फिनिशिंग और पैकिंग के बाद उन्हें सप्लाई में डाल दिया जाता है। वह बताती हैं कि अब तो वह अपने कई उत्पाद अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों में भी निर्यात करने लगी हैं।