अडानी के शेयरों में गिरावट कुछ भी नहीं, इन कंपनियों को तो बर्बाद कर चुका है हिंडनबर्ग
हिंडनबर्ग ने कहा था कि अडानी ग्रुप के शेयर करीब 80 फीसदी तक ओवर वैल्यूड हैं. रिपोर्ट आने के बाद से अब तक अडानी ग्रुप के शेयर करीब आधी कीमत तक गिर चुके हैं. आपको बता दें कि हिंडनबर्ग ने बहुत सारी कंपनियों को तो बर्बाद तक कर दिया है.
गौतम अडानी (Gautam Adani) के खिलाफ जब से हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट (Hindenburg Research Report) आई है, तब से लेकर अब तक उनकी कंपनियों के शेयरों में गिरावट (Adani Share Fall) का सिलसिला जारी है. वैसे तो अडानी ग्रुप (Adani Group) की तरफ से बार-बार अपना बचाव करते हुए हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को गलत कहा जा रहा है, लेकिन वह निवेशकों और जनता का भरोसा नहीं जीत पा रहे हैं. यही वजह है कि उनकी कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट देखी जा रही है. हिंडनबर्ग ने कहा था कि अडानी ग्रुप के शेयर करीब 80 फीसदी तक ओवर वैल्यूड हैं. यानी जितनी उनकी कीमत होनी चाहिए, वह उससे 80 फीसदी तक ज्यादा चढ़े हुए हैं. इस तरह हिंडनबर्ग कंपनी की वैल्यू को 80 फीसदी तक गिराने का दावा कर रहा है. यहां एक बड़ा सवाल ये है कि पिछले सालों में हिंडनबर्ग ने जिन कंपनियों का भंडाफोड़ किया है, आखिर उन कंपनियों की आज क्या हालत है.
पिछली कंपनियों का क्या है हाल?
हिंडनबर्ग रिसर्च ने सिर्फ अडानी ग्रुप को ही अपना निशाना नहीं बनाया है, बल्कि वह सालों से ऐसा करता आ रहा है. वह ऐसी बहुत सारी कंपनियों को अपना शिकार बना चुका है. गौतम अडानी की कंपनियों के शेयरों में तो भारी गिरावट देखी जा रही है, लेकिन एक बड़ा सवाल ये है कि इससे पहले जिन कंपनियों के खिलाफ हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी की थीं, उनका क्या हाल है. बिजनस मीडिया वेबसाइट लाइव मिंट के अनुसार कंपनी ने अब तक जितनी कंपनियों की पोल खोली है, उनमें से करीब तीन-चौथाई शेयरों के स्टॉक क्रैश हुए हैं. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि उन हर 4 में से 3 कंपनियों के स्टॉक क्रैश कर गए हैं, जिनके खिलाफ हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी की है.
निकोला की खुली पोल तो शेयर हुआ धड़ाम
हिंडनबर्ग सबसे ज्यादा चर्चा में तब आई, जब उसने इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली कंपनी Nikola Corp का सितंबर 2020 में भंडाफोड़ किया. कंपनी ने झूठी बातों के सहारे लोगों का भरोसा जीता और जनरल मोटर्स के साथ पार्टनरशिप तक करने जा पहुंची. कंपनी पर कई आरोपों के बीच हिंडनबर्ग ने सबसे बड़ा आरोप ये लगाया था कि निकोला ने जो प्रमोशल वीडियो निकाला था, वह फर्जी था. वीडियो के हिसाब से एक ट्रक पहाड़ी रास्ते पर नीचे की तरफ आता दिख रहा था. कंपनी ने इस ट्रक को एक खास तकनीक से बनी बैटरी से चलाने का दावा किया था. हालांकि, हिंडनबर्ग ने खुलासा किया कि इस ट्रक को पहले खींचकर पहाड़ पर ले जाया गया और फिर वहां से नीचे की तरफ लुढ़काया गया. यानी हकीकत में ट्रक उस बैटरी तकनीक से नहीं चल रहा था. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि जिस तकनीक वाले ट्रक के दम पर कंपनी तेजी से पैसे ले रही थी और जनरल मोटर्स से पार्टनरशिप भी की थी, वह ट्रक दरअसल था ही नहीं. इस खुलासे के बाद कंपनी के चेयरमैन ने इस्तीफा दे दिया था. उस दौर में कंपनी की वैल्यू करीब 34 अरब डॉलर पहुंच चुकी थी, जबकि अभी कंपनी की नेट वर्थ 1.34 अरब डॉलर के करीब बची है. कंपनी का शेयर करीब 92 फीसदी गिर चुका है.
हिंडनबर्ग ने फरवरी 2021 में Clover Health के बारे में एक खुलासा किया था. कंपनी ने दावा किया था कि उसने निवेशकों को नहीं बताया कि उस पर न्याय विभाग की तरफ से जांच चल रही है. यह भी कहा गया कि अरबपति स्टॉक प्रमोटर और आंत्रप्रेन्योर Chamath Palihapitiya ने नियमों का पालन नहीं किया और निवेशकों को गुमराह किया. उन्हें नहीं बताया गया कि इस कंपनी को पब्लिक लाने में स्पेशनल पर्पज एक्विजिशन कंपनी का इस्तेमाल किया गया. कंपनी ने यह भी साफ किया था कि उसने इस कंपनी के शेयरों में कोई पोजीशन नहीं ली है. इसके बाद से कंपनी के शेयरों में तगड़ी गिरावट आई. तब से अब तक कंपनी के शेयरों में करीब 90 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है.
जून 2020 में हिंडनबर्ग ने Genius Brands के खिलाफ रिपोर्ट जारी की थी. उस वक्त कंपनी का शेयर 6.86 डॉलर के लेवल पर था, जो कुछ ही दिनों में गिरते-गिरते 1.5 डॉलर तक जा पहुंचा.
मई 2020 में कंपनी ने China Metal Resources Utilization के खिलाफ लिखा था कि कैसे कंपनी भारी कर्ज में डूबी हुई है, जिसकी वजह से बहुत सारी दिक्कतें हो रही हैं. कई अकाउंटिंग अनियमितताएं भी देखने को मिली थीं. कुछ पार्टी ट्रांजेक्शन का भी खुलासा किया गया, जिन्हें लोगों को नहीं बताया गया था. इसके बाद से कंपनी के शेयरों में 90 फीसदी तक की गिरावट आई.
हिंडनबर्ग ने WINS Finance के खिलाफ भी रिपोर्ट जारी की थी. कंपनी ने अपने अमेरिकी निवेशकों से यह बात छुपाई थी कि उसकी एक सब्सिडियरी कंपनी के करीब 350 मिलियन चीनी युआन जितनी वैल्यू के असेट्स चीन में फ्रीज किए गए हैं. यह मामला जून 2020 के करीब का है.
कई कंपनियों को किया बर्बाद, 99 फीसदी तक टूटे शेयर
इनके अलावा हिंडनबर्ग ने Polarity TE, Predictive Technology, Eros International और HUMBL जैसी कंपनियों के खिलाफ भी रिपोर्ट जारी थी. उनके शेयर 99-99.9 फीसदी तक क्रैश हो चुके हैं.
Smile Direct Club, Ebang, SCWorx, Lordstown Motors, Genprex जैसी कंपनियों के शेयर 90 फीसदी तक क्रैश कर गए. वहीं Mullen Automotive, PharmaCielo, Ideanomics, Singularity Future Technology, Sorrento, Kandi, Opko Health, Pulse Biosciences, NexTech AR, Enochian Biosciences जैसे शेयरों में 70-90 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली.
इनके अलावा DraftKings, Loop Industries, HF Foods, Marathon Patent Group, GrowGeneration, RIOT Blockchain, PureCycleTechnologies, Standard Lithium, Opera, Chicken Soup for the Soul Entertainment, New Pacific Metals जैसी कंपनियों के शेयर भी 20-70 फीसदी तक गिर चुके हैं.
कैसे होती है हिंडनबर्ग की कमाई?
हिंडनबर्ग एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी है. यह पहले पता लगाती है कि किन कंपनियों में कुछ गड़बगड़ चल रहा है. उनके शेयर गिराकर मुनाफा कमाया जा सके, इसलिए वह सिर्फ लिस्टेड कंपनियों को ही अपना निशाना बनाती है. किसी भी कंपनी के बारे में बड़े-बड़े खुलासे करने से पहले ये कंपनी उसके शेयरों में शॉर्ट पोजीशन ले लेती है और फिर खुलासा कर देती है. इससे कंपनी के शेयर तेजी से गिरने लगते हैं, जिससे हिंजनबर्ग मुनाफा बनाता है.
समझिए क्या होती है शॉर्ट सेलिंग
जो लोग शॉर्ट सेलिंग के बारे में नहीं जानते हैं, वह यही सोचते हैं कि आखिर बिना खरीदे ही कोई शेयर कैसे बेचा जा सकता है? दरअसल, शेयर बाजार में ट्रेडिंग में ये खास सुविधा मिलती है. यहां आप पहले शेयर को बेच सकते हैं और बाद में उन्हें खरीद सकते हैं. ऐसा इसलिए मुमकिन है क्योंकि जिस ब्रोकर के पास आपका अकाउंट होता है, उसके पास बहुत सारे शेयर होते हैं. ऐसे में अगर आप चाहे तो किसी भी शेयर को पहले खरीदने के बजाय पहले बेच सकते हैं यानी सेल कॉल (Sell Call) दे सकते हैं.
क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च?
हिंडनबर्ग रिसर्च एक अमेरिकी निवेश कंपनी है, जिसे Nathan Anderson नाम के एक बिजनेसमैन ने शुरू किया था. इसकी स्थापना 2017 में की गई थी. कंपनी दावा करती है कि वह फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च में एक्सपर्ट है और इसके पास दशकों का अनुभव है. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार यह कंपनी असामान्य सूत्रों से मिली जानकारियों के आधार पर शोध करती है, जिसे ढूंढना बेहद मुश्किल होता है. इस कंपनी की शुरुआत करने से पहले वह Harry Markopolos के साथ भी काम चुके हैं, जिन्होंने Bernie Madoff की पोंजी स्कीम का पर्दाफाश किया था.
हिंडनबर्ग रिसर्च नाम क्यों?
इस कंपनी के नाम के पीछे भी एक खास वजह है. इसका नाम हिंडनबर्ग रिसर्च एक खास मकसद से रखा गया था. कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार यह एक डिजास्टर यानी त्रासदी पर आधारित है. कंपनी का मानना है कि उस डिजास्टर को टाला जा सकता है. 6 मई 1937 को लगभग 100 लोगों को लेकर जा रहा हिंडनबर्ग एयरलाइंस का विमान अमेरिका से न्यू जर्सी के मैनचेस्टर में हादसे का शिकार हुआ था. इसमें करीब 37 लोगों की मौत हुई थी. इसके तहत हाइड्रोजन से भरे एयरशिप में करीब 100 लोगों को बैठाया गया था, जो बहुत ही ज्वनलशील गैस है. यह भी तब किया गया, जबकि इसी तरह के दर्जनों छोटे-मोटे हादसे पहले भी हो चुके थे.