अडानी एंटरप्राइजेज का FPO रद्द, गौतम अडानी ने जारी किया वीडियो, जानिए क्या वजह बताई
अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ को वापस ले लिया गया है. साथ ही कहा है कि निवेशकों के पैसे उन्हें वापस किए जाएंगे. गौतम अडानी ने वीडियो जारी करते हुए कहा है कि यह निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया कदम है.
पिछले महीने 27 जनवरी को अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ (Adani Enterprises FPO) खुला था, जो 31 जनवरी को बंद हुआ. इसके खुलने के बस 2 दिन पहले ही हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की एक रिपोर्ट आई, जिसने गौतम अडानी (Gautam Adani) पर फ्रॉड के गंभीर आरोप लगाए. नतीजा ये हुआ कि उनकी कंपनी के तमाम शेयर बुरी तरह गिरे. एफपीओ खुलने के शुरुआती दो कारोबारी सत्रों में तो यह मुश्किल से 3 फीसदी सब्सक्राइब हुआ था. आखिरी दिन अचानक से तमाम बड़े कारोबारी दिग्गजों में इसमें पैसा लगा दिया और एफपीओ 1.02 गुना तक सब्सक्राइब हो गया. हालांकि, अब उन्होंने अपने एफपीओ को वापस ले लिया है और कहा है कि निवेशकों के पैसे उन्हें वापस किए जाएंगे.
क्यों वापस लिया एफपीओ?
अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने कंपनी के बोर्ड के साथ मीटिंग में ये फैसला किया कि एफपीओ को वापस लिया जाए. इसके लिए उन्होंने शेयर बाजार के भारी उतार-चढ़ाव को वजह बताया है. उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में निवेशकों के हितों की रक्षा करना उनके लिए ज्यादा जरूरी है. उन्होंने कंपनी में भरोसा दिखाने के लिए तमाम निवेशकों को धन्यवाद कहा है.
निवेशकों को नुकसान से बचाने के लिए वापस लिया एफपीओ
गौतम अडानी का कहना है कि बाजार में भारी-उतार चढ़ाव की इस परिस्थिति में एफपीओ की प्रक्रिया को जारी रखना नैतिक रूप से सही नहीं होगा. उन्होंने कहा है कि ऐसे में एफपीओ में पैसा लगाने वाले निवेशकों को नुकसान हो सकता है और उन्हें नुकसान से बचाने के लिए बोर्ड ने एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया है.
'दमदार कैशफ्लो, मजबूत बैलेंस शीट'
गौतम अडानी ने बोर्ड से मीटिंग के अगले दिन एक वीडियो भी जारी किया है. इस वीडियो में उन्होंने यह भी बताया है कि एफपीओ वापस क्यों लिया और ये भी बताया कि कंपनी का हालत कैसी है. वह बोले कि कंपनी का कर्जों को चुकाने का शानदार रिकॉर्ड रहा है. तमाम निवेशकों को भरोसा दिलाते हुए वह बोले कि दमदार कैशफ्लो और सुरक्षित संपत्तियों के साथ हमारी बैलेंस शीट बहुत मजबूत है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस एफपीओ के रद्द होने से कंपनी के मौजूदा कामों और भविष्य की योजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. वह बोले कि कंपनी लंबी अवधि में वैल्यू बनाने की दिशा में काम करती रहेगी. उन्होंने यह भी साफ किया है कि अगर स्टॉक मार्केट में अस्थिरता का ये सिलसिला जारी रहता है तो वह अपनी कैपिटल मार्केट स्ट्रेटेजी की समीक्षा करेंगे.
तो पहला सवाल ये कि किन निवेशकों के हितों की होगी रक्षा?
अगर अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ की बात करें तो ये तो आप जानते ही हैं कि पहले दो दिन इसे निवेशकों की ओर से कुछ खास रेस्पॉन्स नहीं मिला. दो दिन में यह सिर्फ 3 फीसदी सब्सक्राइब हुआ था, जबकि तीसरे दिन तक यह 1.02 फीसदी सब्सक्राइब हो गया. यानी एक बार तो साफ है कि सारा निवेश तीसरे दिन ही आया. इसमें निवेश करने वालों में रिटेल निवेशक ना के बराबर रहे. उनके लिए आरक्षित हिस्से का महज 11 फीसदी ही सब्सक्राइब किया. बता दें कि रिटेल निवेशकों के लिए एफपीओ का करीब आधा हिस्सा आरक्षित था. यानी कुल एफपीओ के हिसाब से देखें तो महज 5-6 फीसदी सब्सक्रिप्शन ही रिटेल से मिला.
कंपनी के कर्मचारियों को भी नहीं है अडानी ग्रुप पर भरोसा?
अडानी ग्रुप के एफपीओ तो उनकी कंपनी के सारे कर्मचारियों तक का साथ नहीं मिला. कर्मचारियों के लिए आरक्षित हिस्से में से भी महज 55 फीसदी यानी करीब आधा ही सब्सक्राइब हुआ. यहां ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि उनकी कंपनी के कर्मचारियों को भी कंपनी पर भरोसा नहीं है. अगर ऐसा नहीं होता तो पिछले 3 सालों में करीब 15 गुना तक रिटर्न देने वाली कंपनी के एफपीओ में उन्होंने पैसा क्यों नहीं लगाया?
देश के अरबपतियों ने भी किया निवेश
जिन निवेशकों के हितों की बात यहां हो रही है, दरअसल वह दिग्गज अरबपति और दिग्गज निवेशक हैं. इनमें अबूधाबही की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी यानी आईएचसी (IHC) भी शामिल है, जिसने एफपीओ का करीब 16 फीसदी हिस्सा सब्सक्राइब किया है और 400 मिलियन डॉलर लगाए हैं. ब्लूबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार सज्जन जिंदल और सुनील मित्तल जैसे लोगों ने भी अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ में निवेश किया है. यह भी खबर है कि भारत के कई दिग्गज अरबपतियों ने इसमें पैसे लगाए हैं और गौतम अडानी की नैय्या पार लगाने की कोशिश की है. इसी तरह के निवेशों की वजह से कंपनी का एफपीओ आखिरी दिन में पूरा सब्सक्राइब हो गया. ब्लूमबर्ग के अनुसार जिंदल ने इस एफपीओ में करीब 30 मिलियन डॉलर का निवेश किया है.
इन विदेशी निवेशकों के भी हितों का है सवाल
विदेशी निवेशकों में Abu Dhabi Investment Authority, BNP Paribas Arbitrage, Societe Generale, Goldman Sachs Investment (Mauritius) Ltd, Morgan Stanley Asia (Singapore) Pte, Nomura Singapore Ltd और Citigroup Global Markets Mauritius शामिल हैं. घरेलू निवेशकों में LIC, SBI Life Insurance Company, HDFC Life Insurance Company और State Bank Of India Employees Pension Fund शामिल हैं, जिन्हें एंकर निवेशक की तरह एफपीओ में पैसे लगाए थे.
और दूसरा सवाल ये है कि कंपनी की बैलेंस शीट कितनी मजबूत है?
गौतम अडानी ने कहा है कि उनकी कंपनी की बैलेंस शीट बेहद मजबूत है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर कंपनी की बैलेंस शीट कितनी मजबूत है. चलिए एक नजर डालते हैं अडानी एंटरप्राइजेज की बैलेंस शीट पर, जिसके एफपीओ को कंपनी ने वापस लिया है.
डिफेंस, एयरोस्पेस, फूड, एग्रो, रेल, मेट्रो, रोड, एक्सप्रेस वे, एयरपोर्ट, सोलर, डेटा सेंटर, डिजिटल, कोयला आयात तक में है. बात अगर एयरपोर्ट की करें तो कंपनी को इस बिजनेस से कुछ खास मुनाफा नहीं हो रहा है. कंपनी के अगर कुल मुनाफे की बात करें तो इसका रेवेन्यू पिछले सालों में तेजी से बढ़ा है. 2022 में कंपनी का रेवेन्यू करीब 69,420 करोड़ रुपये रहा है, जबकि अगर इससे पहले के सालों में देखें तो 2021 में ये 39,537 करोड़ रुपये था, जो 43,402 करोड़ रुपये था. यानी देखा जाए तो 2022 में कंपनी का रेवेन्यू तेजी से बढ़ा है. वहीं अगर कंपनी के मुनाफे की बात करें 2020 में ये लगभग 798 करोड़ रुपये था. 2021 में ये मुनाफा घटकर 746 करोड़ रुपये हो गया और 2022 में और घटकर 475 करोड़ रुपये हो गया. जबकि इस दौरान कंपनी का शेयर करीब 15 गुना तक चढ़ गया.
मार्च 2022 तक की बात करें तो रेटिंग एजेंसी फिच की क्रेडिटसाइट के अनुसार कंपनी का debt-to-ebitda ratio बहुत ज्यादा है. यह अभी करीब 10 गुना है. यह 3 गुना तक तो ठीक-ठाक माना जाता है, लेकिन उससे ज्यादा होने का मतलब है कि कंपनी को कर्ज चुकाने में दिक्कत हो सकता है. यह रेश्यो दिखाता है कि कंपनी अपना कर्ज कितनी तेजी से चुकाने की क्षमता रखती है. फॉर्च्यून इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2022 तक सिर्फ अडानी एंटरप्राइजेज पर करीब 40 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. कंपनी का मुनाफा है करीब 475 करोड़ रुपये. अगर कंपनी इसी तरह मुनाफा कमाती है और हर साल अपना सारा मुनाफा कर्ज चुकाने में लगा दे तो भी 40 हजार करोड़ रुपये चुकाने में 84 साल लग जाएंगे. वहीं इसमें अभी ब्याज को तो जोड़ा ही नहीं गया है. हालांकि, कंपनी के पास बहुत सारी असेट भी है, लेकिन बिजनेस में लोन चुकाने के लिए मुनाफे का इस्तेमाल किया जाता है, ना कि कंपनी के असेट बेचे जाते हैं. तो जिस मजबूत बैलेंस शीट की बात गौतम अडानी कर रहे हैं, कर्ज के मुकाबल मौजूदा हालात में तो वह बहुत ही ज्यादा कमजोर दिखती है.
खुद की दो कंपनियों से भी खरीदा अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ?
फोर्ब्स में छपी खबर के अनुसार अडानी ग्रुप की तरफ से 10 कंपनियों की लिस्ट ऑफर एग्रीमेंट में दी गई है, जिन्होंने एफपीओ में पैसे लगाए. हिंडनबर्ग ने इनमें से दो कंपनियों पर अरोप लगाया था कि वह अडानी ग्रुप की खुद की ही कंपनियां हैं. पहली है Elara Capital (India) Private Limited, जो लंदन की इन्वेस्टमेंट फर्म Elara Capital की सब्सिडियरी है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अनुसार Elara Capital का India Opportunities Fund वही विदेशी फंड है, जिसके पास अडानी ग्रुप की तमाम कंपनियों के करीब 3 अरब डॉलर के पब्लिक में ट्रेड होने वाले शेयर हैं. वहीं दूसरी कंपनी है Monarch Networth Capital, जो एक भारतीय ब्रोकरेज फर्म है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अनुसार इस कंपनी में 2016 से ही अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड की आंशिक रूप से हिस्सेदारी है.
कंपनी के शेयरों का क्या है हाल?
बजट के दिन यानी 1 फरवरी को अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर करीब 28.2 फीसदी गिरकर लगभग 2135 रुपये पर बंद हुआ. आज यानी 2 फरवरी को 11.30 बजे तक कंपनी का शेयर करीब 8.5 फीसदी गिरकर 1955 रुपये के लेवल के करीब पहुंच चुका है. कंपनी के शेयरों में लगातार गिरावट की वजह से 2 फरवरी को सुबह 11.30 बजे तक फोर्ब्स के अनुसार गौतम अडानी की दौलत 69 अरब डॉलर तक पहुंच गई है और अमीरों की लिस्ट में वह 16वें नंबर पर पहुंच गए हैं. बता दें कि जनवरी 2020 में कंपनी का शेयर 230 रुपये के करीब था, जो 24 जनवरी 2023 तक 3442 रुपये के स्तर तक पहुंच गया. यानी 3 सालों में कंपनी के शेयर ने करीब 15 गुना यानी करीब 1400 फीसदी रिटर्न दिया. पिछले कुछ दिनों में कंपनी के शेयरों की कीमत करीब आधी गिर चुकी है.