वर्नाकुलर कंटेंट की लहर पर सवारी करने के लिए तैयार है घरेलू सोशल नेटवर्किंग ऐप 'भारतम'
भारत के वर्नाकुलर कंटेंट (क्षेत्रीय या स्थानीय भाषाओं में पेश किए जाने वाला कंटेंट) में मौजूद अरबों डॉलर के मौके का हर कोई लाभ उठाना चाहता है। इसमें खुदरा ब्रांडों से लेकर सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियां तक शामिल हैं।
IAMAI और कंटार की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 2025 तक 90 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। साथ ही ग्रामीण इलाकों में उपयोगकर्ता की संख्या तीन गुना तेजी से बढ़ रही है, जो शहरी उपयोगकर्ताओं की संख्या को पार कर देगी।
सीरियल आंत्रप्रेन्योर नीरज बिष्ट को इस अवसर को भुनाने का मौका दिखा और उन्होंने जुलाई 2021 में सोशल मीडिया नेटवर्किंग ऐप भारतम लॉन्च किया। ऐप को अभी ही 9,000 से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है और इसका लक्ष्य इस साल के अंत तक 20-30 लाख डाउनलोड छूने का है।
फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म से मुकाबले की योजना के साथ लॉन्च किए गए भारतम का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं के अनुभव को अधिक स्थानीय बनाना और उन्हें आस-पास के लोगों और व्यवसायों को खोजने और उनसे जुड़ने को सक्षम बनाना है।
नीरज ने इसे 10 लाख रुपये की व्यक्तिगत बचत से शुरू किया था। हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के स्टार्टअप प्रोग्राम से इसे 25,000 डॉलर का ग्रांट मिला है।
नीरज योरस्टोरी को बताते हैं, “बहुत से लोग हमें कंटेंट बनाने वाले प्लेटफॉर्म के तौर पर देखते हैं, जो सही नहीं है। हम एक शुद्ध सोशल नेटवर्किंग ऐप हैं, जो स्थानीयकरण पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं।”
भारत में भारतीयों के लिए बना
नीरज एक लॉ ग्रैजुएट हैं। 2014 में उन्होंने थॉम्सन रॉयटर्स की अपनी नौकरी छोड़ खुद का कुछ शुरू करने का फैसला किया और कॉरपोरेट गिफ्ट देने वाली कंपनी गिफ्टूजडॉटकॉम (giftooz.com) की स्थापना की।
हालांकि यह स्टार्टअप उनकी योजना के अनुसार आगे नहीं बढ़ा। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अब पहले से एक बड़े आइडिया की तलाश में जुट गए। जल्द ही उन्होंने डिलीवरी किंग नाम से एक स्टार्टअप लॉन्च किया, जो एक डिलीवरी और प्रचार से जुड़ी सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी थी। इसके अलावा उन्होंने टेकमैनिक नाम से एक मोबाइल डेवलपमेंट कंपनी शुरू की। डिलिवरी किंग ने 2016 में परिचालन बंद कर दिया।
भारतम (मूल कंपनी - बिष्ट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड) को शुरू करने का विचार उन्हें 'मेक इन इंडिया' से जुड़ी कहानियों और घरेलू उद्यमों के उदय पर एक आकस्मिक बातचीत के दौरान आया। समुदाय-आधारित बातचीत के बढ़ते आकर्षण को भुनाने के लिए, नीरज ने इस विचार को अमलीजामा पहनाने के लिए एक सर्वे किया और नतीजे में कुछ दिलचस्प तथ्य पाए।
वह कहते हैं, “शहरी क्षेत्रों के बाहर के लगभग 90 प्रतिशत उपयोगकर्ता वीडियो बनाने के बजाय वीडियो देखना पसंद करते हैं। हमें सिर्फ वीडियो या तस्वीरों की तुलना में स्थानीय समुदायों के लिए एक अधिक इंगेजमेंट प्लेटफॉर्म की अधिक दिखी।”
ऐप के अंदर
सिर्फ भारत के लिए एक्सक्लूसिव लॉन्च किए गया यह ऐप चार भाषाओं में उपलब्ध है, जो फोन के साथ सिंक होती हैं। एक बार साइन अप करने के बाद यूजर्स यहां पोस्ट, ब्लॉग लिख सकता है, दोस्तों को जोड़ सकता है, फोटो और वीडियो अपलोड कर सकता है, मैसेंजर के जरिए चैट कर सकता है और उत्पाद भी बेच सकता है।
प्लेटफॉर्म फिलहाल कोई बिजनेस अकाउंट नहीं मुहैया करता है, लेकिन लेनदेन के लिए भारतम ऐप गेटवे के साथ एक एस्क्रो सेवा के रूप में कार्य करता है।
नीरज कहते हैं, “हम सितंबर तक बिजनेस अकाउंट की सुविधा जोड़ने की प्रक्रिया में हैं। ब्रांड साझेदारी भी पाइपलाइन में है।”
साझेदारी किसी विशेष क्षेत्र में स्थित ग्राहकों और ब्रांडों दोनों के लिए लाभदायक होगी। ब्रांड को ऐप के जरिए संभावित ग्राहकों के बारे में सूचित किया जाएगा और तत्काल ऑफर और सौदों को आगे बढ़ाने में सक्षम होगा जबकि ग्राहकों को अतिरिक्त इंसेंटिव मिलेगा।
नीरज कहते हैं, “हम अभी ब्रांड साझेदारी के लिए एक ठोस मॉडल पर नहीं पहुंचे हैं। हम उनसे ग्राहक कन्वर्जन या फिर लिस्टिंग प्रीमियम के आधार पर शुल्क लेंगे।” साथ ही वह यह भी कहते हैं कि डेटा की सुरक्षा प्रमुख प्राथमिकता है।
नोएडा स्थित यह ऐप 'फ्रीमियम और पेड मॉडल' दोनों पर काम करता है और 99 रुपये में वार्षिक सदस्यता प्रदान करता है। इसके रेवेन्यू के माध्यमों में विज्ञापन, बाजार और पेड मेंबरशिप शामिल हैं। इसकी अतिरिक्त विशेषताओं में वेरिफिकेशन बैज, पोस्ट बूस्ट, अनुकूलित प्रोफाइल आदि शामिल हैं।
संस्थापक कहते हैं, “ऐप पर कुछ सुविधाएं मुफ्त हैं और एक बार जब हम दस लाख यूजर्स के आंकड़े को पार कर लेते हैं, तब हम उनका मुद्रीकरण शुरू कर देंगे। दिलचस्प बात यह है कि हमारे 30 प्रतिशत से अधिक मुफ्त उपयोगकर्ता पेड मेंबर बन गए हैं।”
ऐप उन ब्रांडों को मुफ्त विज्ञापन और प्रचार के अवसर प्रदान करने की योजना बना रहा है जो उनके प्रोफाइल पर एक विशेष संख्या में अनुयायियों को प्रभावित करते हैं।
बाजार की क्षमता
सोशल मीडिया एक प्रतिस्पर्धी स्थान है जिसमें बिग टेक कंपनियां सालों से राज कर रही हैं। हालांकि शेयरचैट, कू, हेलो, रोपोसो और जोश जैसे घरेलू ऐप को चीनी ऐप पर बैन लगने, आत्मनिर्भर भारत की पहल और इंटरनेट के किफायती होने से गति मिली है। अब ये ऐप वर्नाकुलर कंटेट की लहर पर सवारी कर रहे हैं और आक्रामक रूप से शीर्ष स्थान के लिए होड़ कर रहे हैं।
हालांकि, नीरज का कहना है कि बाजार इतना बड़ा है कि यहां सभी कंपनियां एक साथ मौजूद रह सकती हैं। वह कहते हैं कि देश के मौजूदा और भविष्य के इंटरनेट यूजर्स को अपने समुदाय से जुड़ने की आवश्यकता होगी। ऐसे में यहां अवसर बहुत बड़ा है क्योंकि भारत में 750 से अधिक भाषाएं हैं और 90 प्रतिशत से अधिक आबादी स्थानीय भाषा में बातचीत करती है।
इसके अलावा, सोशल मीडिया नेटवर्किंग का अवसर अद्वितीय नहीं है, लेकिन इसके आकार की तुलना में अभी भी अनछुआ है। अधिकांश घरेलू ऐप शॉर्ट-वीडियो स्पेस (जैसे टिकटॉक) में हैं, जो भारतम को शेयरचैट, टोकबीज, कू और फेसबुक जैसे वैश्विक दिग्गजों के खिलाफ खड़ा करता है।
स्थानीय बाजार बनाना
यूजर्स संख्या के एक निर्धारित लक्ष्य को छूने के बाद ऐप का उद्देश्य स्थानीय विक्रेताओं और खरीदारों के बीच जुड़ाव शुरू करना है। एक बार जब यह काफी अधिक यूजर्स बेस इकठ्ठा कर लेगा तो इसके डेटा की शक्ति भी सामने आ जाएगी।
नीरज कहते हैं, “उपयोगकर्ताओं से एकत्र किए गए डेटा पर एल्गोरिदम लागू किया जाएगा। इससे हमें ऐप को लोकलाइज करने में मदद मिलेगी। उपयोगकर्ता निकटतम उत्पादों, सेवाओं और लोगों को खोजने में सक्षम होंगे, जिससे हम प्रतिस्पर्धा से अलग हो सकेंगे।”
अगले कुछ हफ्तों में, स्टार्टअप अपनी टीम का विस्तार करने के साथ-साथ अपने ऐप की आक्रामक तरीके से मार्केटिंग करेगा। इंगेजमेंट बढ़ाने के लिए इसने पहले ही कुछ सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर के साथ करार कर लिया है।
नीरज कहते हैं, "सितंबर तक हम दस लाख तक पहुंच जाएंगे और फिर पैसा जुटाने के साथ-साथ नई परियोजनाओं में हाथ आजमाएंगे। ऐप जल्द ही आईओएस पर लॉन्च होगा और साल के अंत तक 60 स्थानीय भाषाओं को जोड़ देगा।"
अपना पहला रुपया बनाने की संभावना पर संस्थापक कहते हैं, "अभी हम कमाई करने के बारे में सोच भी नहीं रहे हैं और फिलहाल अपना पैसा विकास हासिल करने वाले फैसलों में लगाएंगे।”
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Edited by Ranjana Tripathi