गरीबी के दिनों में सड़कों से बीनते थे कचरा, आज अपनी फोटोग्राफी के दम पर दुनिया भर में नाम कमा रहे हैं विकी रॉय
मूल रूप से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के रहने वाले विकी रॉय जिन्हें दिल्ली की सड़कों पर कभी कूड़ा बीनने के लिए मजबूर होना पड़ा था, आज उन्हें दुनिया एक प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफर के रूप में जानती है। मालूम हो कि विकी के पिता दर्जी थे और 7 भाई-बहन होने के चलते घर चलाना भी आसान नहीं था। विकी अपने जीवन में कुछ खास करना चाहते थे और आगे चलकर उन्होंने ऐसा किया भी।
किशोरावस्था के दौरान ही विकी अपने घर से भाग गए थे और उस दौरान उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए ट्रेन पकड़ कर दिल्ली जाना चुना, हालांकि इस दौरान भी विकी को यह बात बखूबी मालूम थी कि आने वाले दिन संघर्ष से भरे हुए हैं। दिल्ली पहुँचने के बाद विकी के लिए पैसों की तंगी के चलते दो वक्त के खाने का जुगाड़ करना भी मुश्किल साबित हो रहा था।
उन दिनों को याद करते हुए अपने एक इंटरव्यू में विकी ने बताया है कि वे बचपन में फिल्मों में देखा करते थे कि किस तरह लोग अपने घरों से निकल कर शहर जाते हैं और हीरो या अमीर आदमी बन जाते हैं। विकी को भी कुछ ऐसा ही लगा कि शायद वे शहर चले जाएंगे तो अमीर आदमी बन जाएंगे, लेकिन उनका यह भ्रम जल्द ही टूट गया।
दिल्ली पहुँचने के बाद अपने लिए जरूरी पैसों का इंतजाम करना विकी के लिए प्राथमिकता बन गई और इसके लिए उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कबाड़ बीनना शुरू कर दिया। इसके बाद विकी ने एक ढाबे में नौकरी करनी शुरू कर दी जहां वे बर्तन धोने का काम किया करते थे।
विकी ये सब छोटे-मोटे काम कर ही रहे थे कि एक दिन उनकी किस्मत ने उनका साथ दिया और उन्हें एक एनजीओ ने अपने पास बुला लिया। विकी के लिए यह एक ऐसे रास्ते की तरह था जो उन्हें अंधकार से उजाले की ओर ले जाने वाला था। एनजीओ ने विकी की पढ़ाई का जिम्मा उठाया और विकी ने अपनी पूरी स्कूलिंग उन्हीं की मदद से पूरी की। इस दौरान विकी ने अपने पैशन के चलते फोटोग्राफी में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया था।
फोटोग्राफी कर पहुंचे अमेरिका
18 साल की उम्र पूरी होने के बाद विकी ने एनजीओ छोड़ दिया और इसी के ठीक बाद उन्हें बतौर असिस्टेंट फोटोग्राफर नौकरी भी मिल गई। विकी ने साल 2001 में फोटोग्राफी करना शुरू किया था और साल 2007 में उन्होंने अपने पहली प्रदर्शनी में भाग लिया था। इस प्रदर्शनी में विकी के काम को लोगों द्वारा खूब सराहा गया।
विकी ने एक अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफी प्रतियोगिता 2008 में जीती थी और इससे उन्हें छह महीने के लिए अमेरिका जाने का मौका मिला था। इसके अलावा उन्हें ICP (इंटरनेशनल सेंटर ऑफ़ फ़ोटोग्राफ़ी) में प्रशिक्षण भी मिला। मालूम हो कि ICP को दुनिया में फोटोग्राफी का सबसे अच्छा स्कूल माना जाता है।
विकी मार्च 2009 में न्यूयॉर्क आ गए थे और उनके अनुसार यह उनके जीवन का सबसे अच्छा समय था। वहां अपने ट्रेनिंग के दौरान उन्हें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के पुनर्निर्माण की तस्वीर लेने के लिए चुना गया था। इन खास तस्वीरों को जनवरी 2010 में उनकी एकल प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था। अमेरिका में काम करने से विकी के भीतर एक आत्मविश्वास भर चुका था जो उन्हें भविष्य में और भी आगे ले जाने वाला था। आज विकी दुनिया भर की प्रदर्शिनीयों में हिस्सा लेते हैं और अपनी बेहतरीन फोटोज़ का प्रदर्शन करते हैं।
शुरू की खास लाइब्रेरी
साल 2011 में अपने दोस्त चंदन गोम्स के साथ उन्होंने रंग नाम से एक चैरिटी की भी शुरूआत की। इस दौरान दोनों ने मिलकर एक ओपन फोटो लाइब्रेरी लॉन्च की। गौरतलब है कि फोटोग्राफी की किताबें बहुत महंगी होने के कारण युवा और भावी फोटोग्राफरों के लिए उन्हें पढ़ पाना मुश्किल था। दोनों ने मिलकर तब दुनिया भर के दिग्गज फोटोग्राफरों को अपनी किताबें दान करने के लिए एक लेटर लिखा।
गौरतलब है कि उन सभी फोटोग्राफरों ने उनके लेटर का जवाब दिया और अपनी किताबें भी दान की। आज विकी की इस खास लाइब्रेरी में फोटोग्राफी से जुड़ी तमाम किताबें मौजूद हैं और वे सभी के लिए मुफ्त में पढ़ने के लिए मौजूद हैं। आज विकी युवा फोटोग्राफरों को मेंटर करने का भी काम करते हैं। 33 साल के विकी को फोर्ब्स पत्रिका ने अपनी प्रतिष्ठित 30 अंडर 30 सूची में भी शामिल किया था।
Edited by Ranjana Tripathi