कैसे 10 लाख मरीजों के लिए मददगार साबित हुई ABHA-बेस्ड स्कैन-एंड-शेयर सेवा
स्कैन और शेयर सेवा क्यूआर-कोड आधारित है और यह जानकारी साझा करने के एक सरल माध्यम पर काम करती है. भाग लेने वाले अस्पताल अपने रोगी पंजीकरण काउंटरों पर अपने विशेष क्यूआर कोड प्रदर्शित करते हैं.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) अपनी आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) योजना के तहत स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति में पारदर्शिता लाने के लिये डिजिटल हस्तक्षेपों को सक्षम बना रहा है. ऐसा ही एक हस्तक्षेप ‘स्कैन-एंड-शेयर’ सेवा है, जिससे ओपीडी में मरीजों का तुरंत पंजीकरण हो जाता है. यह सेवा इस प्रक्रिया में शामिल अस्पतालों में उपलब्ध है. इस सेवा का इस्तेमाल करने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है और अपनी शुरूआत से छह महीने के भीतर ही यह संख्या 10 लाख पंजीकरण को पार कर गई है. उल्लेखनीय है कि पिछले महीने (23 फरवरी, 2023 के संदर्भ में) ही पांच लाख मरीजों ने पंजीकरण करवाया था. स्कैन-एंड-शेयर सेवा का प्रभाव और उसकी स्वीकृति इस बात से साबित हो जाती है कि यह संख्या तेजी से बढ़ रही है.
स्कैन-एंड-शेयर सेवा के विषय में एनएचए के सीईओ ने कहा, “एबीडीएम का लक्ष्य डिजिटल समाधानों के उपयोग से निर्बाध स्वास्थ्य आपूर्ति तैयार करना है. स्कैन-एंड-शेयर की पहल होने से अस्पताल मरीजों की आभा (एबीएचए) प्रोफाइल के जरिये सीधे उनकी डिजिटल पंजीकरण सेवा की पेशकश कर रहे हैं. इससे मरीजों को फौरन पंजीकरण टोकन मिल जाता है और उन्हें कतारों में लगने और लंबा-चौड़ा विवरण लिखने से राहत मिल जाती है. इस समय, प्रति दिन औसतन लगभग 25,000 ओपीडी टोकन दिये जा रहे हैं. हमारा इरादा है कि जल्द इसे प्रतिदिन एक लाख टोकन से अधिक कर दिया जाये. इसके अलावा, हम मरीजों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच अन्य प्रकार के संवादों के लिये इस पहल को और आगे बढ़ा रहे हैं.”
स्कैन और शेयर सेवा क्यूआर-कोड आधारित है और यह जानकारी साझा करने के एक सरल माध्यम पर काम करती है. भाग लेने वाले अस्पताल अपने रोगी पंजीकरण काउंटरों पर अपने विशेष क्यूआर कोड प्रदर्शित करते हैं. मरीज सेवा के लिए समर्थित मोबाइल ऐप (वर्तमान में एबीएचए ऐप, आरोग्य सेतु, ड्रिफकेस, पेटीएम, बजाज हेल्थ और एकाकेयर में उपलब्ध) का उपयोग करके क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए अपने स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं. इसके बाद मरीज अपना आभा (आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट) बनाता है या अपने मौजूदा आभा अकाउंट पर लॉग-इन करता है. लॉग-इन करने के बाद, मरीज किसी तरह का फॉर्म भरे बिना अपना पंजीकरण पूरा करने के लिए सीधे अस्पताल के साथ अपनी आभा प्रोफाइल साझा कर सकता है. इस कागज-रहित पंजीकरण के परिणामस्वरूप तत्काल टोकन तैयार हो जाता है. इस तरह आभा का इस्तेमाल करके मरीज को लंबी कतार में लगने से छुटकारा मिल जाता है.
यह सेवा लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी) और श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल (एसएसकेएच) अस्पताल, नई दिल्ली में छह अक्टूबर, 2022 को शुरू की गई थी. तब से, 443 जिलों में 147 से अधिक अस्पतालों ने इस सेवा को अपनाया है, जिसके कारण रोज ओपीडी में पंजीकरण कराने के लिये कतार में लगने वाला समय बच रहा है. एम्स- रायपुर, एनडीएमसी चरक पालिका अस्पताल- नई दिल्ली, एलएचएमसी और एसएसकेएच- नई दिल्ली, सर सीवी रमन जनरल अस्पताल - बेंगलुरु और एलबीआरएन संयुक्त अस्पताल, कानपुर रोड - लखनऊ एबीएचए-आधारित स्कैन और शेयर सेवा का उपयोग करके रोज 25,000 से अधिक रोगियों की मदद कर रहे हैं.
जो अस्पताल और डिजिटल समाधान कंपनियां स्वास्थ्य सुविधाओं को अपनी टेक्नोलॉजी दे रही हैं, उनके द्वारा स्कैन-एंड-शेयर सेवा को अपनाने की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिये एबीडीएम ने डिजिटल हेल्थ इनसेंटिव स्कीम (DHIS) के तहत स्कैन-एंड-शेयर लेन-देनों को भी शामिल कर लिया है. आभा-आधारित स्कैन-एंड-शेयर सेवा की पेशकश करने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को आभा-आधारित डिजिटल स्वास्थ्य लेनदेन की संख्या के आधार पर डीएचआईएस के तहत चार करोड़ रुपये तक का प्रोत्साहन प्राप्त करने का मौका मिलता है.
Edited by रविकांत पारीक