कैसे एशियन गेम्स, खेलो इंडिया और अन्य टूर्नामेंट्स के लिए कस्टमाइज्ड स्पोर्ट्स मैट बनाती है दिल्ली स्थित यह कंपनी
कुश्ती मैट से शुरुआत करने वाली कंपनी ग्रेवोलाइट (Gravolite) ने भारत के पारंपरिक खेलों जैसों कबड्डी और खो-खो के लिए मैट बनाने में विविधता हासिल की और हाल ही में इसने योगा मैट भी बनाना शुरू किया। कंपनी का सालाना टर्नओवर 15 करोड़ रुपये है।
जब जून 1975 में भारत में आपातकाल घोषित किया गया था, तो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जिले एटा के रहने वाले कौशल किशोर ने अपने बैग पैक किए और बड़े सपने और जीवन में सफल होने के लिए दृढ़ निश्चय के साथ राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली चले गए।
1975 और 80 के बीच, कौशल दिल्ली में बसने में कामयाब रहे। उन्होंने इस दौरान छोटे मोटे काम किए और उद्योगों में आगे बढ़ते रहे। यह उनके लिए एक ऐसा एक्सपोजर था जो बाद में बहुत उपयोगी साबित हुआ। 1980 में, कौशल ने देखा कि खेल उद्योग फलफूल रहा था; और कौशल ने राजधानी में अपने शुरुआती वर्षों के दौरान रबर उद्योग में हाथ आजमाया हुआ था इसलिए वह जानते थे कि स्पोर्ट्स इक्विपमेंट में बड़े पैमाने पर रबर का इस्तेमाल कैसे किया जाता है।
इस ज्ञान का इस्तेमाल करते हुए, कौशल और उनके बेटे अशोक ने रबर टेनिस बॉल बनाने वाली एक छोटी विनिर्माण इकाई शुरू की। जैसा कि उद्योग अपनी नवजात अवस्था में था, इसलिए दोनों को व्यवसाय शुरू करने के साथ अच्छा महसूस हुआ।
कौशल के पोते और तीसरी पीढ़ी के उद्यमी वैभव सोमानी ने योरस्टोरी के साथ बातचीत में कहा, “मेरे दादा किसानों के परिवार से थे। हालांकि, उन पर कोई वित्तीय दायित्व नहीं था, लेकिन वह एक बड़े शहर में अपना खुद का कुछ करना चाहते थे।”
और अब 40 साल बाद, उनका बिजनेस स्पोर्ट्स इक्विपमेंट, जूते और ऑटोमोबाइल में एक छाप छोड़ते हुए आगे बढ़ गया है। उनका सबसे लेटेस्ट वेंचर, ब्रांड ग्रेवोलाइट है। यह नाम स्पोर्ट्स मैट का पर्याय है।
ग्रेवोलाइट का निर्माण
ग्रेवोलाइट 2009 में अस्तित्व में आया, जिसका कि कौशल के छोटे बेटे, स्वर्गीय अरुण कुमार सोमानी द्वारा गठन किया गया था। अरुण कुमार सोमानी 90 के दशक में पारिवारिक व्यवसाय जुड़े थे। 80 के दशक में, भारत के प्रसिद्ध खेल ब्रांडों में से एक स्टैग इंटरनेशनल जैसे अग्रणी ब्रांडों के लिए थर्ड-पार्टी निर्माता के रूप में अपने OEM उद्यम का विस्तार करने के लिए कौशल और उनके बेटों ने कड़ी मेहनत की।
शुरू में रबर टेनिस बॉल का उत्पादन करने से लेकर, कंपनी ने बाद में टेनिस रैकेट, जूते और स्पोर्ट्स मैट के लिए रबर मैन्युफैक्चर करने में विविधता लाई।
वैभव का कहना है कि बाजार की मांग के अनुसार कंपनी बढ़ी और विस्तारित हुई। वह कहते हैं, “2000 में, हमने ताइक्वांडो और कराटे मैट का निर्माण शुरू किया, जबकि 2004-2005 के बीच, हमने कबड्डी मैट बनाने में विविधता लाई। हर स्पोर्ट्स मैट में अलग-अलग गुण होते हैं, और इसलिए हम उसी के अनुसार मांग पूरी करते रहे।”
जब ब्रांड Gravolite का गठन किया गया था, तो यह स्पोर्ट्स फ्लोरिंग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मुख्य कंपनी के तहत एक अलग ब्रांड बन गया।
वह बताते हैं, "अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेले जाने वाले किसी भी खेल के लिए, चाहे वह कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स या ओलंपिक हो, सुरक्षा प्रोटोकॉल उच्चतम मानकों का होना चाहिए, और चोटों को रोकने के लिए सुरक्षित फर्श बेहद जरूरी है। हमने विश्वस्तरीय कुश्ती मैट विकसित करके शुरुआत की थी और तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा।"
कुश्ती मैट से शुरुआत के बाद, ग्रेवोलाइट ने भारत के पारंपरिक खेलों, कबड्डी और खो-खो के लिए मैट बनाने में विविधता लाई, और हाल ही में योगा मैट भी बनाना शुरू किया।
वैभव कहते हैं कि ग्रेवोलाइट अपने स्पोर्ट्स फ्लोरिंग बिजनेस से सालाना 15 करोड़ रुपये का कारोबार करती है।
खेल बाजार पर कब्जा करना
प्रो कबड्डी, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स, नेशनल गेम्स, खेलो इंडिया, और अन्य स्पोर्ट्स टूर्नामेंट जैसे ईवेंट्स के लिए ग्रेवोलाइट आधिकारिक आपूर्तिकर्ता रहा है।
वैभव कहते हैं, ''हमारे पास भारतीय खेल उद्योग में मजबूत पकड़ है और हम हाई क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स में डील करते हैं।'' वैभव का कहना है कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा उसकी कुश्ती मैट को मंजूरी दी जाती है, जबकि योगा मैट और योग के सामान, इंटरलॉकिंग मैट, और कबड्डी मैट को भारतीय कबड्डी फेडरेशन (IKF) और एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) द्वारा अप्रूव किया गया है। कराटे मैट, जूडो मैट, ताइक्वांडो मैट और खो-खो मैट खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा अप्रूव्ड हैं।
Gravolite ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म clonko.com लॉन्च करके अपनी ऑनलाइन उपस्थिति भी दर्ज की है। प्लेटफॉर्म विशेष रूप से विभिन्न प्रकार के योगा मैट और सहायक उपकरण के लिए समर्पित है। लेकिन Gravolite प्रोडक्ट्स Amazon पर भी उपलब्ध हैं।
वैभव कहते हैं, "ग्रेवोलाइट के तहत दो वर्टिकल हैं, नेशनल और इंटरनेशनल गेम्स के लिए फ्लोरिंग, और उन उपभोक्ताओं के लिए मैट जो योगा में हैं। COVID-19 के चलते लगे लॉकडाउन के दौरान, जिम के बंद होने के कारण, हमें घरों में जिम की फ्लोरिंग के लिए ऑर्डर मिलना शुरू हो गए।”
ग्रेवोलाइट के प्रोडक्ट्स दिल्ली और हरियाणा में स्थित अपनी आठ विनिर्माण फैसिलिटी में मैन्युफैक्चर होते हैं। कुछ कच्चे माल स्थानीय स्तर पर सोर्स किए जाते हैं, जबकि पॉलिमर जैसी प्राथमिक सामग्री कोरिया, यूरोप, सिंगापुर और सऊदी अरब से मंगाई जाती है।
इन प्रोडक्ट्स के डेवलपमेंट में इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नोलॉजी चीन, ताइवान और कोरिया से है। हालांकि, घर में डेवलप मशीनरी का इस्तेमाल मैट को रीसायकल करने के लिए किया जाता है।
चुनौतियां और प्रतियोगिता
मार्केट रिसर्च फर्म Fact.MR द्वारा एक आकलन के अनुसार, ग्लोबल स्पोर्ट्स फ्लोरिंग मार्केट 2026 में 2150 मिलियन डॉलर के आंकड़े तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 3.1 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ रहा है।
इस इंडस्ट्री में ग्रेवोलाइट की प्रमुख चुनौतियों में से एक उपभोक्ता व्यवहार है। वह कहते हैं, “लोग हर दिन एक्सरसाइज करने के लिए मोटीवेट होकर योगा मैट खरीदते हैं, लेकिन उनकी मोटीवेशन ज्यादा लंबी नहीं खींच पाती, और कई बार, मैट जो है वो स्टोररूम में ही पड़ी रह जाती है। मुझे लगता है कि आबादी का केवल एक छोटा हिस्सा अपनी दिनचर्या में मैट का उपयोग करता है, और वे हमारे ग्राहक हैं।”
एक अन्य चुनौती जिसका ग्रेवोलाइट को सामना करना पड़ रहा है वह है ऑनलाइन बिक्री में ग्राहकों को अपनी ओर खींचना।
वह बताते हैं, “अमेजॉन और डिकेथलॉन जैसे दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल है। बेहतर कस्टमर रिव्यूज और फीडबैक, और लगभग शून्य रिटर्न रेट के बावजूद, कीवर्ड सर्च में टॉप पर फीचर होना असंभव है, जो कि आज के समय में जरूरी है।
अपनी प्रतियोगिता के बारे में बात करते हुए, वैभव कहते हैं कि ग्रेवोलाइट अपने प्रोडक्ट्स के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विनिर्देशों का सख्ती से पालन करता है, जिससे यह अपने प्रतिद्वंद्वियों से अलग हो जाता है।
आगे का रास्ता
Gravolite भारतीय खेल क्षेत्र में एक घरेलू नाम बनने का प्रयास कर रहा है। खुद की पहचान गढ़ने के लिए कंपनी ने हाल ही में फरवरी में आयोजित सुपर लीग खो-खो टूर्नामेंट 2021 में मैट की आपूर्ति की थी और यह अगले साल भी उसी का हिस्सा बनने का लक्ष्य रखती है।
वैभव ने अंत में कहा, "हमारी रिसर्च एंड डेवलपमेंट डिवीजन अलग-अलग स्पोर्ट्स के लिए नए प्रोडक्ट्स को डेवलप करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, और जो पहले से ही हमारे पास हैं उनको और सधार रही है।"
Edited by Ranjana Tripathi