भारत के क्रिटिकल केयर इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड कर रहा है हेल्थटेक स्टार्टअप डोज़ी
हाल ही में हुए प्राइम वेंचर पॉडकास्ट में डोज़ी के सह-संस्थापक मुदित दंडवते और गौरव परचानी ने कंपनी की स्थापना और विकास की कहानी साझा की।
IIT से निकले मैकेनिकल इंजीनियर मुदित दंडवटे और गौरव परचानी एक ही ऑटोमोटिव कंपनी में काम कर रहे थे। दोनों को अपनी नौकरी पसंद थी लेकिन वे हमेशा से "कुछ ऐसा शुरू करना चाहते थे जिससे वो समाज को वैल्यू दे सकें।”
हेल्थकेयर उनकी पसंद में था और दोनों इंजीनियरों ने बैलिस्टोकार्डियोग्राफी की अप्रचलित तकनीक का अध्ययन करना शुरू कर दिया। बहुत सोचने के बाद मुदित और गौरव ने एक ऐसा उपकरण बनाने का फैसला किया जो मानव शरीर के कंपन को ट्रैक करेगा और हृदय और फेफड़ों के कार्य से जुड़ा डेटा लौटाएगा। समय के साथ इसने डोज़ी नामक एक फ्यूचरिस्टिक "अपनी तरह की एक निरंतर रिमोट स्वास्थ्य निगरानी सेवा" का रास्ता सुझाया।
आइडिया से प्रॉडक्ट तक
मुदित का कहना है कि डोज़ी को चरणों में बनाया गया था। पहला चरण में एक प्रोटोटाइप बनाया जाना था। यहां तक विज्ञान के साथ भी मुदित और गौरव के लिए "यह स्थापित करना कि आप किसी व्यक्ति को छुए बिना भी चिकित्सा देखभाल कैसे दे सकते हैं" यह असली चुनौती थी।
जहां मुदित ने हार्डवेयर वहीं गौरव ने एल्गोरिदम पर काम किया। हर बार जब वे एक प्रोटोटाइप के साथ आए, तो उन्होने डिवाइस का परीक्षण स्वयं पर किया। गौरव कहते हैं, "हार्डवेयर कठिन है और हेल्थकेयर में तो हार्डवेयर और भी कठिन है।”
स्पेसटेक के बाद स्वास्थ्य सेवा भारत में सबसे अधिक रेगुलटेड बाजार है और हर अनुपालन को सही तरीके से प्राप्त करना एक चुनौती थी।
स्टेज 2 में दोनों ने लोगों को यह समझाने का काम किया कि डोज़ी वास्तव में काम करता है, भले ही सेंसर गद्दे के नीचे रखे गए हों। अंत में यह कंपनी को बनाए रखने और उत्पाद को बाजार में ले जाने के लिए फंड जुटाने के बारे में था।
डोज़ी का परीक्षण
NIMHANS उन पहले संस्थानों में से एक था जिसने मुदित और गौरव को अस्पताल में अपने उत्पाद का परीक्षण करने की अनुमति दी थी। लेकिन उन्हें मनाना आसान नहीं था। मुदित कहते हैं, ''आपको पिच करते रहना होगा. अंत में, आपको इसकी शुरुआत करने के लिए केवल एक या दो की ही आवश्यकता होगी।"
इस तरह उन्होंने NIMHANS की स्लीप लैब से डेटा एकत्र करने की समस्या के बारे में जाना। NIMHANS सिस्टम को स्वचालित करना चाहता था और जब तक Dozee साथ नहीं आया तब तक तकनीक मौजूद नहीं थी। गौरव कहते हैं कि स्वास्थ्य सेवा उद्योग किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही है, कुछ लोग आप पर विश्वास करेंगे जबकि दूसरे आपकी तरफ देखेंगे तक नहीं।
शुरुआत में डोज़ी को ऐसे डॉक्टरों से निपटना पड़ा जिनके पास समय की कमी थी और किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़ने में काफ़ी समय लगा जो दिलचस्पी दिखा सके। मुदित और गौरव इच्छुक डॉक्टरों को लाइव डेमो देते थे और उनके परीक्षण चरण में भी उनकी मदद करते थे।
बड़ा क्षण
मुदित और गौरव अपने कुत्ते पाई को डोज़ी की पहली सफलता का श्रेय देते हैं। पाई जो तब एक पिल्ला था उसे सब कुछ चबाने की आदत थी। पाई को अपना पहला प्रोटोटाइप चबाने से रोकने के लिए मुदित और गौरव ने दोपहर की चाय के लिए बाहर जाते समय प्रॉडक्ट को बिस्तर के नीचे दबा दिया।
गौरव कहते हैं, "जब हम वापस लौटे वह सीधे सेंसर के ऊपर गद्दे पर सो रहा था और फिर मैंने देखा कि डेटा पर दिल की धड़कन थी।” इस तरह दोनों को गद्दे के नीचे सेंसर लगाने का विचार आया।
दूसरी सफलता के क्षण पर मुदित कहते हैं कि उनका पहला किसी के जीवन को बचा सकने का क्षण था। उनका एक प्रॉडक्ट एक ऐसी महिला के पास गया जिसकी मां हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित थी। डोज़ी ने माँ के दिल की धड़कन में गड़बड़ी की सही भविष्यवाणी की और डॉक्टर को पेसमेकर के उपयोग की सिफारिश करने में मदद की। मुदित कहते हैं, "यह हमारे लिए एक बड़ा क्षण था।"
आगे का रास्ता
मुदित कहते हैं, “आज हम भारत भर के लगभग 40 शहरों और कस्बों में 270 से अधिक अस्पतालों में मौजूद हैं। अगले 12 महीनों में हम और भी गहराई तक जाने और पूरे भारत में 3,000 अस्पतालों तक पहुंचने की सोच रहे हैं।”
टीम टियर 2 अस्पतालों में रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम लगाना चाहती है। मुदित और गौरव दोनों को लगता है कि महानगरों और टियर 1 में शीर्ष अस्पतालों से भी आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
-और अधिक जानने के लिए यह पॉडकास्ट सुनें...
पॉडकास्ट में-
01:12 - मुदित और गौरव ने डोज़ी के साथ क्या शुरू किया?
12:00 - डिस्कवरी फेज और बड़े पल
23:15 – तेज़ रफ्तार और आश्चर्य के क्षण
30:45 - COVID के दौरान प्रभाव पैदा करना और डोज़ी को आगे बढ़ाना
54:35 - स्वास्थ्य सेवा उद्यमियों के लिए रेगुलेशन और अनुमतियां
Edited by Ranjana Tripathi