कैसे रेलवे ने इस स्कीम के जरिए 3 महीनों में कमाए 844 करोड़ रुपये
भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने पिछले तीन माह में अपनी एसेट्स (परिसंपत्तियों) की ई-नीलामी (e-Auction) से करीब 844 करोड़ रुपये की कमाई की है. पार्किंग स्थल, रेल परिसर में विज्ञापन लगाने, पार्सल की जगह को पट्टे पर देने और शौचालयों के अनुबंधों से यह राशि जुटाई गई है.
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw, Union Minister for Railways) ने इस साल जून महीने में इन वाणिज्यिक गतिविधियों को ई-नीलामी के जरिये अंजाम देने की शुरुआत की थी. इससे न सिर्फ ठेका आवंटन की प्रक्रिया में तेजी आएगी बल्कि छोटे उद्यमियों के लिए काम हासिल कर पाना भी आसान होगा.
रेलवे ने कहा कि ई-नीलामी पोर्टल शुरू हो जाने से उसकी आय बढ़ी है और रेल परिसंपत्तियों का वास्तविक मूल्य पाने में मदद मिली है. रेलवे ने कहा, "वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए ई-नीलामी पोर्टल के लॉन्च होने के बाद से 68 डिवीजनों ने ई-नीलामी आयोजित की. वाणिज्यिक परिसंपत्तियों के लिए ई-नीलामी पोर्टल शुरू होने के बाद अब तक 8,500 परिसंपत्तियों के लिए करीब 1,200 ठेके दिए जा चुके हैं. आवंटित अनुबंधों का कुल मूल्य 844 करोड़ रुपये है."
रेलवे में इन चीजों के लिए बीडिंग प्रक्रिया ऑनलाइन होने से अब आवेदकों के लिए ई-नालामी के दौरान पंजीकरण और भागीदारी से जुड़ा कोई भौगोलिक प्रतिबंध नहीं रह गया है. रेल मंत्री ने बीते जून महीने में ई-ऑक्शन का एलान करते हुए पात्रता मानदंडों में भी ढील देने की घोषणा की थी. बोली प्रक्रिया ऑनलाइन होने के साथ, बोली दाताओं और आवेदकों पर पंजीकरण और भारतीय रेलवे में किसी भी ई-नीलामी में भागीदारी के लिए कोई भौगोलिक प्रतिबंध नहीं रहा है. साथ ही, रेलवे मंत्रालय ने पात्रता मानदंड में ढील दी है.
सबसे ज्यादा अनुबंध रेलवे स्टेशन परिसरों एवं रेल डिब्बों में विज्ञापन अधिकार से संबंधित हैं. इस मद में आवंटित 374 अनुबंधों से रेलवे को 155 करोड़ रुपये मिलेंगे.
इसी तरह पार्किंग स्थल के 374 अनुबंधों से 226 करोड़ रुपये, पार्सल जगह के पट्टे वाले 235 अनुबंधों से 385 करोड़ रुपये और भुगतान वाले शौचालयों के लिए आवंटित 215 अनुबंधों से 78 करोड़ रुपये मिलेंगे.
रेलवे के तमाम खंडों में बेंगलुरु मंडल ने एक पार्सल जगह की ई-नीलामी से सर्वाधिक 34.52 करोड़ रुपये जुटाए हैं. दिल्ली मंडल ने अपनी एसेट्स को पट्टे पर देने के लिए अब पूरी तरह ई-नीलामी का तरीका अपना लिया है.
इससे पहले ख़बर ये थी कि भारतीय रेलवे की सहायक कंपनी IRCTC अपने ग्राहकों का डेटा बेचकर 1,000 करोड़ रुपये कमाना चाहती थी. लेकिन उसे अपनी योजना को वापस लेना पड़ा. रेलवे में खानपान और टिकट सेवा उपलब्ध कराने वाली कंपनी IRCTC ने अपने यात्री और माल ढुलाई ग्राहकों के डेटा को बेचने की योजना पर रोक लगा दी है. अपने ग्राहकों की गोपनीयता को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.