आधुनिक तकनीक आपके स्वास्थ्य और तनाव के स्तर को कैसे प्रभावित करती है
वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि यूरोप में कुछ शोधकर्ताओं ने इन विद्युत्-चुम्बकीय किरणों के प्रभाव को बेअसर करने के लिए कुछ सरल तरीके निकाले हैं जो इन तरंगों को तो बेअसर नहीं करते पर इनके हमारे शरीर पर होने वाले दुष्प्रभाव को ज़रूर बेअसर कर देते हैं।
अभियांत्रिकी और प्रोद्योगिकी के विकास ने हमारे हाथ में ऐसे गैजेट्स दिए हैं जो न केवल हामारे जीवन को सरल बनाते हैं, यह गैजेट्स हमारी कार्य करने की क्षमता, गति और उत्पादकता को भी बढ़ाते हैं। आज कल स्मार्टफ़ोन, लैपटॉप, 5G, 4G, वाई-फाई, माइक्रोवेव ओवन के बिना रहने की कल्पना करना भी मुश्किल है। फिर आजकल कई घरों में होम ऑटोमेशन और स्मार्ट होम होने से घर के वातावरण में कई प्रकार की रेडियो वेव्स और विद्युत्-चुम्बकीय तरंगे व्याप्त होती हैं जो हमारे शरीर की प्राणउर्जा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। कई घरों के ऊपर या नजदीक मोबाइल टावर लगे हुए हैं जो भी उच्च तीव्रता की तरंगे प्रसारित करती रहती हैं।
जब शरीर की प्राणउर्जा इन विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों से प्रभावित होती है तो कई प्रकार के रोगों को आमंत्रित कर सकती है। हालांकि मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां इनके प्रभाव को तुच्छ या नगण्य बताती हैं पर सच्चाई यह है कि इन सेवाओं को प्रदान करने में उपयुक्त उपकरण की गुणवत्ता में समझौते के कारण यह उपकरण अपनी मानक लेवल से कहीं ज्यादा विद्युत्-तरंगों का उत्पादन करती हैं और ऐसा माना गया है कि कई गंभीर बीमारियाँ इन तरंगों के प्रभाव से हो सकती हैं और इन सबकी शुरुआत तनाव से होती है।
अगर सुबह उठते ही हाथ पैर में अकडन, आँखों के आसपास सूजन, कन्धों में हल्का हल्का दर्द या सिर में भारीपन लगे तो यह आपके आसपास के उपकरणों के द्वारा विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों के उत्सर्जन के कारण हो सकता है। मध्य रात्रि में उठ जाना फिर नींद आने में तकलीफ होना, या दिन भर चिडचिडापन रहना भी इसी के कारण हो सकता है। अगर आप इन लक्षणों पर गौर करें तो ये सारे तनाव के आरंभिक लक्षण हैं।
जब तनाव ज्यादा हो जाता है तो बैचैनी, डिप्रेशन, आदि से शुरू होकर मधुमेह, ह्रदय-रोग, थाइरोइड से सम्बंधित रोग, जैसे गंभीर रोग शरीर में पैर प्रसारने लगते हैं।
इन से बचने के लिए कुछ सरल उपाय किये जा सकते हैं। कई लोग मोबाइल को अपने पलंग के पास रख कर सोते हैं या तो इसलिए कि कभी किसी दोस्त या रिश्तेदार का फ़ोन रात को आ जाये या फिर मोबाइल की अलार्म से उठने के लिए, दोनों ही परिस्थितियों में ये आपकी नींद और नींद से मिलने वाली उपचारात्मक उर्जाओं को बाधित करता है। जब नींद पूरी नहीं होती है तो सुबह उठने पर ऊपर दिए हुए लक्षण अनुभव होते हैं। कई लोग तो रात को मोबाइल अपने सिरहाने चार्जिंग पर लगा कर सोते हैं जो और ज्यादा हानिकारक है। इन तरंगों के प्रभाव से बचने के लिए आपका मोबाइल आपसे कम-से-कम सात फीट दूर होना चाहिए।
बेडरूम में लगा टीवी भी लोग रात को चला कर रखते हैं, उसको सिर्फ रिमोट कण्ट्रोल से बंद करते हैं, स्विच तो चालु रहता है और इसके कारण रात भर टीवी इन तरंगों का विकरण करता रहता है जो हमारी प्राणउर्जा को प्रभावित करती रहती हैं। वाई-फाई राऊटर भी रात भर चलता रहता है और इन तरंगों का उत्सर्जन करता रहता है।
सबसे तीव्र तरंगों का प्रभाव उन लोगों को होता है, जो मोबाइल टावर या हाई-टेंशन लाइन के आसपास रहते हैं। क्योंकि इनपर आपका कोई कण्ट्रोल नहीं है तो आप कुछ कर नहीं सकते पर इनके प्रभाव से बच भी नहीं सकते।
कई कारणों से मोबाइल को दूर, या वाई-फाई को बंद नहीं किया जा सकता। ऐसे समय इन तरंगों के दुष्प्रभाव से कैसे बचा जाए। वास्तु शास्त्र उस समय की विद्या है जब मोबाइल और इन्टरनेट नहीं थे पर आज के परिपेक्ष में जो नियम वास्तु-उर्जाओं के लिए दिए गए हैं उनको आधुनिक समय में लागू करने के लिए पहले यह समझना आवश्यक है कि इन तरंगो को हार्मोनाइज़ या अनुरूप कैसे किया जाए।
वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि यूरोप में कुछ शोधकर्ताओं ने इन विद्युत्-चुम्बकीय किरणों के प्रभाव को बेअसर करने के लिए कुछ सरल तरीके निकाले हैं जो इन तरंगों को तो बेअसर नहीं करते पर इनके हमारे शरीर पर होने वाले दुष्प्रभाव को ज़रूर बेअसर कर देते हैं। अगर आप किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव से ग्रसित हैं तो किसी वास्तु-विशेषज्ञ से परामर्श ज़रूर लें।
आचार्य मनोज श्रीवास्तव इकलौते ऐसे वास्तु कंसलटेंट और ज्योतिषी हैं जिनको बीस साल से ज्यादा का कॉर्पोरेट लीडरशिप का अनुभव है। वे पूर्व में एयरटेल, रिलायंस और एमटीएस जैसे बड़े कॉर्पोरेट हाउस में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे हैं। आजकल वे पूर्ण रूप से एक वास्तु कंसलटेंट और ज्योतिषी के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
Edited by रविकांत पारीक