जानिए कैसे तमाम SMB तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी के साथ बढ़ सकते हैं आगे
देश की प्रगति में एसएमबी बड़ा योगदान दे रहे हैं. यह सेक्टर 10 करोड़ से भी अधिक लोगों को रोजगार देता है. डिजिटलीकरण ने इन एंटरप्राइज़ेज़ को उम्मीद की नई किरण दी है.
किसी भी विकासशील देश की आर्थिक प्रगति में एसएमबी यानी स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज़ेज़ बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भारत भी इस दृष्टि से अलग नहीं है. स्मॉल मीडियम एंटरप्राइज़ेज भारत की जीडीपी में करीब 29 फीसदी योगदान देते हैं और 100 मिलियन से भी अधिक लोगों को रोजगार देते हैं. हालांकि, दुर्भाग्य से महामारी के चलते लॉकडाउन की वजह से इन एंटरप्राइज़ेज को कई मुश्किलों को सामना करना पड़ा. उनकी सप्लाई चेन और कैश फ्लो पूरी तरह से रुक गए. अच्छी बात ये है कि डिजिटलीकरण ने इन एंटरप्राइज़ेज़ को उम्मीद की नई किरण दी.
डिजिटलीकरण की दिशा में पहला कदम
महामारी के बाद एसएमबी में अकाउन्टिंग सॉल्यूशन्स की मांग बढ़ गई. उन्हें बुककीपिंग के लिए ऐसे सॉल्युशन्स की ज़रूरत पड़ने लगी जो इन्वेंट्री मैनेजमेन्ट से लेकर टैक्स फाइलिंग तक सभी पहलुओं को आसान बना दें और वो हर काम अपने मोबाइल फोन के ज़रिए आसानी से कर सकें.
इसके अलावा टेक सर्विस प्रोवाइडर्स ने अपनी सेवाओं को रीजनल भाषाओं में उपलब्ध कराना शुरू किया, ताकि उपभोक्ता इन सेवाओं का बेहतर अनुभव पा सकें. न्यू नॉर्मल के अगले दौर में भारत के ‘स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज ‘ अपने आप को बनाए रखने
की जद्दोजहद से आगे बढ़ चुके हैं. वे तेज़ी से डिजिटलीकरण को अपना रहे हैं और अपने बिज़नेस से जुड़े पहलुओं जैसे सेल्स, डेटा, फाइनेंस और यहां तक कि ह्यूमन रिसोर्सेज़ में सुधार लाने के लिए आर्टीफिशियल इंटेलिजेन्स, क्लाउड टेक्नोलॉजी और मशीन लर्निंग को अपना रहे हैं.
डिजिटल बदलाव
उपभोक्ताओं की बदलती ज़रूरतों के अनुसार अपने आप को ढालने के लिए स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज ने महसूस किया कि डिजिटलीकरण को अपनाना बहुत ज़रूरी है. सप्लाई चेन में डिजिटल पहलुओं को अपनाना ज़रूरी है, क्योंकि यही उनके बिज़नेस का आधार है. इस सप्लाई चेन में कच्चे माल की खरीद से लेकर अंतिम उत्पाद को इसके गंतव्य तक पहुंचाने तक सभी पहलु शामिल होते हैं.
महामारी के बाद सॉफ्टवेयर के द्वारा सप्लाई चेन मैनेजमेन्ट सभी कारोबारों के लिए ज़रूरी हो गया है, खासतौर पर यह स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज के लिए और भी महत्वपूर्ण है जो अपनी सप्लाई चेन मैनेजमेन्ट में सुधार लाने की कोशिश कर रहे हैं.
उदाहरण के लिए, क्लाउड टेकनोलॉजी, जिसने स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज को बिग डेटा प्रोसेसिंग एवं उपभोक्ताओं की ज़रूरतों को समझने में मदद की है, अब इसका उपयोग डिजिटल बदलाव की रणनीतियां बनाने के लिए किया जा रहा है.
समग्र बदलाव के चरण
बदलाव के दौर से गुज़र रहे स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज के लिए डिजिटलीकरण की लागत पर ध्यान देना उतना ज़रूरी नहीं है. इसके बजाए अपने अनुभव और सबक का उपयोग कर लगातार आगे बढ़ना ज़्यादा मायने रखता है. इस स्थिति में पारदर्शिता सबसे ज़्यादा मायने रखती है. उन्हें ऐसा पारदर्शी डेटा पूल बनाना चाहिए, जिसका उपयोग सभी विभाग आसानी से कर सकें, जो सप्लाई चेन मैनेजमेन्ट के लिए महत्वपूर्ण है. यह रियल-टाईम एक्सेसिबल डेटा पूल कारोबार में बेहतरीन निर्णय-निर्धारण के द्वारा कारोबार को
बढ़ाने में मदद करता है.
एक और पहलु जहां टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन में बदलाव ला रही है, वह है विज़िबिलिटी. असमानताएं और त्रुटियां बड़ी चुनौती होती हैं, जो उलझन का कारण बन सकती हैं. इस तरह की असमानताओं को दूर करने के लिए टेक्नोलॉजी कारगर भूमिका निभा सकती है.
उदाहरण के लिए, एआई से पावर्ड टूल्स का उपयोग कर खपत के पैटर्न को समझा जा सकता है और इसका अनुमान लगाया जा सकता है. इस अध्ययन के परिणामों का उपयोग कर प्रक्रिया में असमानता और बर्बादी को कम किया जा सकता है.
चुनौतियां जो हैं बरकरार
ऊंची लागत और सही समझ न होनाः डिजिटलीकरण के साथ आगे बढ़ने के लिए कई स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज ने डिजिटल टूल्स के फायदों को समझे बिना इन्हें अपनाया. जिसके चलते लाइसेंस की लागत चुकाना उनके लिए महंगा पड़ रहा है.
सहयोग एवं प्रशिक्षण की कमीः कई सीआरएम प्रदाता स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज के बजाए बड़े एंटरप्राइजेज के सवालों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं. उनके सीआरएम के कई फीचर्स समझने में मुश्किल होते हैं, जिसके चलते प्रोडक्ट उतना उपयोगी नहीं रह पाता.
सेवा प्रदाताओं पर है पूरी ज़िम्मेदारी
डिजिटल बदलाव को सुनिश्चित करने के लिए स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज पूरी तरह से सर्विस प्रोवाइडर पर निर्भर करते हैं. टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर को ही समझना होता है कि प्रोडक्ट की बिक्री के साथ-साथ अन्य सभी ज़रूरी डिजिटल सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएं. डिजिटल टूल्स को अपनाना, इनके बारे में प्रशिक्षण और ऑफ्टर सेल्स सेवाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज डिजिटलीकरण के फायदों का लाभ उठा सकें और विकास के अगले स्तर तक जा सकें.
भारत में 2 मिलियन रजिस्टर्ड स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज विकास के पथ पर अग्रसर हैं. स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज की संख्या की बात करें तो भारत इस दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है. रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले कुछ सालों में स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइज़ेज का सीआरएम बाज़ार 25 फीसदी सीएजीआर की दर से बढ़ेगा, जो विश्वस्तरीय विकास दर 10-12 फीसदी से कहीं अधिक है.
(लेखक FloBiz के को-फाउंडर और सीईओ हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Edited by Anuj Maurya