बच्चे की ऑनलाइन गेमिंग के लिए समय तय करना क्यों है जरूरी
बड़े ही नहीं बच्चे भी अपना लगभग हर चीज के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगे हैं. लेकिन बच्चों का दिन पर दिन बढ़ता इंटरनेट यूसेज पैरेंट्स के मन में चिंता पैदा करने लगा है. वजह है कम उम्र में ही बच्चों के अंदर पैदा होती स्क्रीन टाइम से जुड़ी बीमारियां.
टेक्नोलॉजी आज हमारी जिदंगी का एक अहम हिस्सा बन चुकी है. हम काम करने से लेकर सीखने, खेलने, शॉपिंग करने जैसी तमाम चीजों के लिए इस पर निर्भर हैं.
बड़े ही नहीं बच्चे भी अपना लगभग हर चीज के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगे हैं. लेकिन बच्चों का दिन पर दिन बढ़ता इंटरनेट यूसेज पैरेंट्स के मन में चिंता पैदा करने लगा है. वजह है कम उम्र में ही बच्चों के अंदर पैदा होती स्क्रीन टाइम से जुड़ी बीमारियां.
ऐसे में पैरेंट्स चाहें तो बच्चों की ऑनलाइन गेम टाइमिंग पैटर्स को समझकर उसे कंट्रोल कर सकते हैं. ऑनलाइन गेमिंग दूर बैठे कई यूजर्स को एक ही गेम एक साथ खेलने देता है. बच्चे अमूमन इन तीन वजहों से ऑनलाइन गेमिंग को पसंद करते हैंः
• पहला तो ये कि ऑनलाइन गेमिंग में सोशल कनेक्शन बहुत बड़ा फैक्टर है. ऑनलाइन गेमिंग के जरिए यूजर्स अपने दोस्तों के साथ गेम खेल सकते हैं या फिर नए लोगों से मिलते हैं.
• दूसरा फैक्टर होता है- कॉम्पिटीटिवनेस. अपने कॉम्पिटीटर के साथ ऑनलाइन गेम खेलना वो भी आपस में बात करते हुए …. इसका अलग ही मजा होता है. इसलिए बच्चे कम्प्यूटर यानी सिस्टम प्लेयर के मुकाबले ऑनलाइन गेमिंग खेलना ज्यादा पसंद करते हैं.
• सबसे बड़ी और तीसरी वजह है होती है, ऑनलाइन गेमिंग में मिलने वाला इमर्सिव एक्सपीरियंस. मतलब कि ऑनलाइन गेम्स आपको ऐसा फील देते हैं मानो आप असल में गेम की दुनिया में पहुंच गए हैं और आप उस दुनिया के अंदर से ही गेम को कंट्रोल कर रहे हैं.
दिक्कत ये है कि बच्चे गेम खेलते वक्त सिर्फ गेमिंग एक्सपीरियंस तक सीमित नहीं रह जाते. गेम को कंट्रोल करना उसे जीतने के चक्कर में उनका दिमाग अलग जोन में पहुंच जाता है.
इस तरह इंटेंस माहौल में ऑनलाइन गेमिंग बच्चों में स्ट्रेस या एंजाइटी जैसे साइट इफेक्ट भी पैदा करती है, जो पैरेंट्स के लिए चिंता की वजह हैं. इसलिए ये देखना बेहद जरूरी है कि गेमिंग की वजह से उन पर कैसा असर पड़ रहा है.
अगर बच्चे गेमिंग के बाद असल दुनिया में अपने दोस्तों, परिवार वालों से घुलने मिलने से कतरा रहे हैं तो आपको उनके गेम टाइम को सीमित करने का समय आ गया है.
अमेरिकी एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने 2 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए जीरो स्क्रीन टाइम का सुझाव दिया है. वहीं 2 से 5 साल के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम को एक घंटे पर सीमित करने को कहा है. 5 साल से लेकर बड़े होने तक उनका स्क्रीन टाइम 2 से 3 घंटे प्रति दिन सीमित रखने का सुझाव दिया है.
बेहद मुमकिन है कि पैरेटंस इस दिशार्निदेश को सुनकर चौंक जाएंगे क्योंकि वो पाएंगे कि उनके बच्चे तो इससे कहीं ज्यादा समय बिता रहे हैं मगर ये सुझाव अपनाना उनके बच्चों की सेहत के लिए बेहद जरूरी है. अपने बच्चे के लिए स्क्रीन टाइम सेट करके और उस पर टिके रहना ही बच्चों को लत से बाहर निकालने का उपाय है.
Edited by Upasana