ये है लाखों की कमाई वाली खेती, बस एक बार मेहनत और 4 साल तक हर हफ्ते आएगा पैसा!
कुंदरू की खेती से आप करीब 4 सालों तक फसल पा सकते हैं. बस आपको एक बार रोपाई में मेहनत करनी होगी. हर 4-5 दिन या हफ्ते में आप हार्वेस्टिंग कर सकते हैं.
अगर आप भी किसान हैं तो आपने भी कभी ना कभी ये जरूर सोचा होगा कि काश एक बार फसल लगाकर सालों-साल कमाई की सकती. देखा जाए तो ऐसी कई सारी फसलें होती हैं, जिनकी बुआई में सिर्फ एक बार मेहनत करनी होती है और फिर कई साल तक आपको फसल मिलती रहती है. ऐसी ही एक खेती है कुंदरू (Kundru Farming) की, जिसकी एक बार बुआई करने के बाद साल तक फसल मिल सकती है. आइए जानते हैं कैसे की जाती है कुंदरू की खेती (How To Do Kundru Farming) और इस खेती में कितनी कमाई (Profit In Kundru Farming) हो सकती है.
कब और कैसे की जाती है कुंदरू की खेती?
कुंदरू की खेती हर जगह की जा सकती है. जिन इलाकों में ठंड कम पड़ती है, वहां कुंदरू की खेती से साल भर उत्पादन मिलता है. वहीं जहां ठंड अधिक होती है तो इस मौसम में पैदावार ना होने के चलते करीब 7-8 महीने ही फसल मिल पाती है. इसकी खेती अगर मचान बनाकर की जाती है तो इससे अधिक उत्पादन मिलता है.
अगर आप कुंदरू की खेती करने की सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले बलुई दोमट मिट्टी वाली जगह चुननी होगी, ताकि अच्छी पैदावार मिले. आपके खेत की मिट्टी का पीएच 7 प्वाइंट से ज्यादा नहीं होना चाहिए. गर्म और आर्द्र जलवायु इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी होती है. 30-35 डिग्री तापमान के बीच इसका उत्पादन बहुत अच्छा होता है. यह भी ध्यान रखें कि खेत की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट भी डाली जाए.
कुंदरू की अच्छी पैदावार के लिए हमेशा उन्नत किस्मों का ही इस्तेमाल करें. इसकी खेती में पहले बीजों से नर्सरी तैयार की जाती है और फिर उसके बाद बुआई की जाती है. कुंदरू की फसल को मेड़ या बेड़ बनाकर उस पर बुआई की जाती है. ऐसे खेती करने से खरपतवार की संभावना कम रहती है. जब पहली बार आप कुंदरू की बुआई करें तो बरसात के मौसम को चुनें, ताकि आपकी फसल आसानी से जड़ पकड़ ले और तेजी से बढ़ना शुरू कर दे. जब पौधों की बेल बनने लगें तो पांडाल प्रणाली से बांस और तार की मदद से मचान बनाएं और उन पर बेलों को चढ़ा दें.
कुंदरू की फसल में गर्मी में 4-5 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए. वहीं सर्दी में 8-10 दिन पर सिंचाई की जरूरत पड़ती है. यह ध्यान रखें कि पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था हो. रोपाई के करीब 45-50 दिन में कुंदरू की फसल पहली बार हार्वेस्टिंग यानी तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. उसके बाद आप हर 4-5 दिन में हार्वेस्टिंग करते रह सकते हैं.
स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है कुंदरू
कुंदरू में फ्लेवोनोइड्स, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी बैक्टीरियल, कैल्सियम, आयरन, फाइबर, विटामिन-ए और सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में इसके सेवन से स्वास्थ्य को भी कई फायदे होते हैं. इसके सेवन से ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है. दिल और किडनी के लिए भी यह फायदेमंद होता है. मोटापे से परेशान लोगों को भी कुदंरू का सेवन करना चाहिए.
कितनी हो सकती है कमाई?
प्रति हेक्टेयर खेती से आपको 300-450 क्विंटल तक की पैदावार मिल सकती है. फुटकर बाजार में कुंदरू 80-100 रुपये किलो तक बिकता नजर आता है. वहीं थोक में भी 40-50 रुपये किलो के हिसाब से आप कुंदरू बेच सकते हैं. यानी अगर 400 क्विंटल भी पैदावार हुई और 40 रुपये के हिसाब से भी बिकी तो आपकी 16 लाख रुपये की कमाई होगी. करीब 4 सालों तक आपको उत्पादन मिलता ही रहेगा. आप चाहे तो कुंदरू के साथ नीचे जमीन पर अदरक-हल्दी जैसी छांव में उगाई जाने वाली फसलें भी लगाई जा सकती हैं, क्योंकि कुंदरू तो मचान पर लगेंगे.