एसिडिटी को मैनेज करने और स्वस्थ गर्भावस्था का आनंद लेने के उपाय
गर्भावस्था के दौरान एक महिला के शरीर में विभिन्न बदलाव होते हैं, इनमें टखनों में सूजन से लेकर सुबह होने वाली अरुचि तक जैसी चीजें शामिल हैं, जिनका अनुभव दुनिया की लगभग 70% गर्भवती महिलाएं करती हैं.
गर्भावस्था का समय कई महिलाओं के जीवन का एक रोमांचक समय हो सकता है. 9 महीने की यह यात्रा खुशी देने वाली हो सकती है, लेकिन कुछ महिलाओं के लिए यह रोलरकोस्टर राइड जैसी भी हो सकती है, जिसमें कई चुनौतियाँ होती हैं. ज्यादातर भावी माताएं अपनी सारी एनर्जी अपने बच्चे को स्वस्थ बनाए रखने पर लगा देती हैं, जबकि अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है.
सहगल नियो हॉस्पिटल, नई दिल्ली की एमबीबीएस एमएस (ऑब्स्टेट्रिक्स एण्ड गायनीकोलॉजी) डॉ. अल्का जैन ने कहा, “गर्भावस्था में एसिड रिफ्लक्स बहुत आम होता है. ज्यादातर इसके लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और इन पर काबू किया जा सकता है. हालांकि इसमें असहजता हो सकती है और इसलिये भावी माताओं और उनकी देखभाल करने वालों को इन लक्षणों से राहत के उपाय और समाधान समझने चाहिये. सुरक्षित और प्रभावी एंटासिड के साथ जीवनशैली और आहार में बदलाव से जरूरी राहत मिल सकती है. अगर समस्या लंबे समय तक रहे या उसे नियंत्रित करना कठिन हो, तो डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह भी दी जाती है.”
एबॅट में मेडिकल अफेयर्स के डायरेक्टर डॉ. जेजॉय करनकुमार ने कहा, “हर महिला की गर्भावस्था की यात्रा अलग होती है. एबॅट में हम इस पर जागरूकता पैदा करने और गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ रहने के लिये महिलाओं को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. स्वस्थ जीवनशैली की आदतों को अपनाकर एसिड रिफ्लक्स जैसी आम परेशानियों और किसी भी प्रकार की असहजता को कम करना महत्वपूर्ण है. इसके लिये एसिडिटी के लक्षणों से राहत देने वाले समाधान भी उपलब्ध हैं.”
गर्भावस्था के दौरान एक महिला के शरीर में विभिन्न बदलाव होते हैं, इनमें टखनों में सूजन से लेकर सुबह होने वाली अरुचि तक जैसी चीजें शामिल हैं, जिनका अनुभव दुनिया की लगभग 70% गर्भवती महिलाएं करती हैं. गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक और आम शिकायत है एसिड रिफ्लक्स या हार्टबर्न, जिसे अक्सर छाती में जलन या भरा हुआ, भारी या सूजन लगने के तौर पर समझा जाता है. यह 30 से 50% गर्भावस्थाओं में देखा जाता है और 80% महिलाओं को उनके तीसरे ट्राइमेस्टर में प्रभावित करता है.
अगर आप सोच रही हैं कि गर्भावस्था में यह आम क्यों है, तो विशेषज्ञों का मानना है कि इसके कुछ संभावित कारक होते हैं, जिनमें इस दौरान शरीर के हॉर्मोन में बदलाव भी शामिल हैं. गर्भावस्था की बाद वाली अवस्थाओं में शिशु से पेट पर पड़ने वाला ज्यादा दबाव भी एक कारण हो सकता है. यह तब भी हो सकता है, जब आप ‘दो लोगों जितना भोजन’ करें, क्योंकि पेट पूरा भरने से अपच की संभावना बढ़ जाती है.
हार्टबर्न से राहत पाने के लिये आप नीचे दिये गये कुछ आसान से उपाय कर सकती हैं:
1. कारणों से बचें: एसिडिटी का कारण बनने वाली चीजें न खाएं. इनमें आमतौर पर शामिल हैं फैटी, तले हुए, मसालेदार फूड्स, चॉकलेट, मिंट और ज्यादा एसिडिक कंटेन्ट वाली चीजें (जैसे कि संतरे, मौसमी, नींबू और अंगूर). इसके अलावा, कैफीन वाले और कार्बोनेटेड पेयों से बचें (जैसे कि कॉफी और सोडा). गर्भावस्था में आपको धूम्रपान और शराब का सेवन भी छोड़ देना चाहिये, इनसे न सिर्फ अपच होता है, बल्कि यह आपकी और आपके अजन्मे बच्चे की सेहत को भी प्रभावित कर सकते हैं.
2. बेहतर भोजन करें: सेहतमंद, संतुलित आहार लें और ध्यान दें कि अलग-अलग चीजें खाने के बाद आपको कैसा लगता है, ताकि आप कारणों को जान सकें. अक्सर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन करें, क्योंकि ज्यादा मात्रा से हार्टबर्न के लक्षण बिगड़ सकते हैं. इसके अलावा, खाते समय सीधे बैठें, ताकि आपके पेट पर अतिरिक्त दबाव न पड़े.
3. अपने सोने की आदतें बदलें: खाने के बाद सोने के लिये तीन घंटे रुकें (और देर रात खाने से बचें!), और चुस्त फिटिंग वाले कपड़े न पहनें. बायीं करवट सोने, सिर को ऊँचा रखने और पोस्चर में बदलाव से बचने के द्वारा आप एसिडिटी के लक्षणों को दूर रख सकती हैं. इसके अलावा, नींद लेने के वक्त में अनियमितता या कम नींद लेने से एसिडिटी हो सकती है, इसलिये हर रात कम से कम छह से सात घंटे नींद लेने की कोशिश करें.
4. राहत देने वाली चीजों को पहचानें: हार्टबर्न से राहत देने वाले सॉल्यूशन भी हैं. उदाहरण के लिये, एसिडिटी के लिये एंटासिड दवाएं होती हैं, अगर जीवनशैली में बदलाव से लक्षण ठीक न हों. अगर आपको एसिडिटी के लक्षण हैं, तो डॉक्टर को दिखाना हमेशा सबसे बढ़िया रहता है.
यह उपाय गर्भावस्था में आपकी एसिडिटी को नियंत्रित रखने में सहायक हो सकते हैं.
Edited by रविकांत पारीक