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घर बेचकर हुई कमाई पर बचाना है टैक्स, ये तरीके हैं मौजूद

आयकर कानून, करदाता को सहूलियत देता है कि वह घर की बिक्री से हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकता है.

घर बेचकर हुई कमाई पर बचाना है टैक्स, ये तरीके हैं मौजूद

Wednesday January 11, 2023 , 4 min Read

जब कोई व्यक्ति अपना घर बेचता है तो उससे हुई कमाई को कैपिटल गेन्स (Capital Gains) की श्रेणी में रखा जाता है. यह कैपिटल गेन, टैक्स के दायरे में आता है. अचल सपंत्ति की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स देनदारी कितनी होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि संपत्ति करदाता के पास कितने वक्त तक रही. घर के व्यक्ति के पास रहने की अवधि को होल्डिंग पीरियड कहा जाता है. अगर व्यक्ति ने घर खुद खरीदा या बनवाया है और दो साल से ज्यादा वक्त के होल्डिंग पीरियड के बाद बेचा जा रहा है तो इसकी बिक्री से हासिल कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) मानी जाएगी. अगर प्रॉपर्टी का होल्डिंग पीरियड 2 साल से कम है तो इसकी बिक्री से कमाई शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) में आएगी.

वहीं अगर व्यक्ति को विरासत/वसीयत में कोई अचल संपत्ति मिली है तो इस मामले में प्रॉपर्टी का होल्डिंग पीरियड, वास्तविक मालिक द्वारा प्रॉपर्टी खरीदे जाने की तारीख से काउंट होता है, न कि इसे विरासत में किसी अन्य को दिए जाने की तारीख से.

अचल संपत्ति से प्राप्त LTCG पर इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है. इंडेक्सेशन बेनिफिट, किसी व्यक्ति को कैपिटल गेन्स की गणना करने के लिए खरीद मूल्य को वर्तमान मूल्य में समायोजित करने की अनुमति देता है. जहां तक बात अचल संपत्ति से प्राप्त शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स की है तो STCG, निवेशक की सालाना आय में जुड़ता है और फिर एप्लीकेबल टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स लगता है.

घर बेचकर हुए कैपिटल गेन्स पर कैसे बचाएं टैक्स

अब बात करते हैं कि घर की बिक्री से हुए कैपिटल गेन्स पर टैक्स बचाया कैसे जा सकता है. दरअसल आयकर कानून, करदाता को सहूलियत देता है कि वह घर की बिक्री से हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकता है. अंतरिम बजट 2019 के पेश होने से पहले एक आवासीय घर बेचकर दूसरा घर खरीदने पर कैपिटल गेन्स पर टैक्स डिडक्शन तभी मिलता था, जब उस पैसे से केवल एक आवासीय घर खरीदा गया हो. लेकिन अंतरिम बजट 2019 में प्रावधान में बदलाव किया गया और बदलाव यह रहा कि घर की बिक्री से प्राप्त रकम से अगर करदाता दो आवासीय घरों को खरीदता या बनवाता है तो वह LTCG पर टैक्स डिडक्शन का फायदा, दोनों घरों पर ले सकता है.

न भूलें यह शर्तें

  • यह फायदा जिंदगी में एक ही बार लिया जा सकता है.
  • घर बेचकर हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स की रकम 2 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर रकम 2 करोड़ रुपये से ज्यादा हुई तो करदाता टैक्स डिडक्शन का फायदा केवल एक आवसीय घर की खरीद पर ही ले सकेगा.
  • घर की बिक्री से प्राप्त पैसे पर टैक्स डिडक्शन का लाभ लेने के लिए इससे एक निश्चित समयावधि के अंदर दूसरा घर खरीदना/बनवाना जरूरी है. उदाहरण के तौर पर नए रेडी टू मूव घर के मामले में- इसे, पुराने घर की बिक्री की तारीख से दो साल के अंदर या बिक्री से एक वर्ष पहले खरीदा जाना होगा. वहीं नए घर के कंस्ट्रक्शन के मामले में- इसे, पुराने घर की बिक्री की तारीख से तीन साल के अंदर बनवाना होगा.

ऐसे भी बचा सकते हैं टैक्स

घर की बिक्री से हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स डिडक्शन क्लेम करने का एक तरीका और भी है. करदाता चाहे तो घर बिक्री से प्राप्त LTCG को आयकर कानून के सेक्शन 54EC के तहत कैपिटल गेन्स बॉन्ड में निवेश कर सकता है और इस पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. याद रहे कि कैपिटल गेन्स बॉन्ड में निवेश की सीमा प्रति वित्त वर्ष 50 लाख रुपये तक है. साथ ही यह भी ध्यान रहे कि व्यक्ति को बिक्री से प्राप्त LTCG अमाउंट को, बिक्री की तारीख से 6 माह के अंदर निर्दिष्ट बॉन्ड में लगाना होगा. कैपिटल गेन्स बॉन्ड का मैच्योरिटी पीरियड 5 साल है और व्यक्ति को इन पर ब्याज प्राप्त होता है. यह ब्याज टैक्स के दायरे में आता है.

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