सरकार ने कंपनी को दिवालिया घोषित करने के नियमों में किए ये बड़े बदलाव
यह भी बताया है कि संशोधन परिसमापन विनियम और संशोधन स्वैच्छिक परिसमापन विनियम 16 सितंबर, 2022 से प्रभावी हैं.
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India) ने 16 सितंबर, 2022 को भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (परिसमापन प्रक्रिया) (दूसरा संशोधन) विनियम, 2022 (‘संशोधन परिसमापन विनियम’) और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया) (दूसरा संशोधन) विनियम,2022 ('संशोधन स्वैच्छिक परिसमापन विनियम') को अधिसूचित किया.
हितधारकों की बेहतर भागीदारी को संभव बनाने और देरी को कम करने एवं बेहतर मूल्य प्राप्त करने हेतु परिसमापन प्रक्रिया को कारगर बनाने के उद्देश्य से, यह संशोधन परिसमापन विनियमों में निम्नलिखित प्रमुख बदलाव करता है:
कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के दौरान गठित ऋणदाताओं की समिति (CoC) पहले 60 दिनों में हितधारक परामर्श समिति (SCC) के रूप में कार्य करेगी. दावों पर निर्णय हो जाने के बाद और प्रक्रिया शुरू होने के 60 दिनों के भीतर, स्वीकृत दावों के आधार पर SCC का पुनर्गठन किया जाएगा.
परिसमापक को हितधारकों की बेहतर भागीदारी के साथ व्यवस्थित और समयबद्ध तरीके से SCC की बैठकों का संचालन करना अनिवार्य किया गया है.
SCC के साथ परिसमापक द्वारा अनिवार्य परामर्श का दायरा बढ़ा दिया गया है. अब, एससीसी न्यायनिर्णायक प्राधिकरण (AA) को परिसमापक के प्रतिस्थापन का प्रस्ताव भी दे सकता है और CIRP के दौरान CoC द्वारा परिसमापक की फीस तय नहीं किए जाने की स्थिति में इस फीस को तय कर सकता है.
यदि परिसमापन प्रक्रिया के दौरान कोई दावा दायर नहीं किया जाता है, तो CIRP के दौरान एकत्रित दावे की राशि का परिसमापक द्वारा सत्यापन किया जाएगा.
जब कभी भी CoC इस आशय का निर्णय लेता है कि परिसमापन प्रक्रिया के दौरान समझौता या व्यवस्था की प्रक्रिया का पता लगाया जा सकता है, परिसमापक केवल ऐसे मामलों में समझौता या व्यवस्था के प्रस्ताव, यदि कोई हो, पर विचार करने के लिए परिसमापन के आदेश के तीस दिनों के भीतर न्यायनिर्णय प्राधिकारी के समक्ष आवेदन दायर करेगा.
नीलामी प्रक्रिया के लिए विशिष्ट घटना-आधारित समय-सीमा निर्धारित की गई है.
प्रक्रिया को भंग करने या बंद करने के लिए एक आवेदन दाखिल करने से पहले, SCC परिसमापक को यह सलाह देगा कि परिसमापन की कार्यवाही को बंद करने के बाद लेनदेन में टालमटोल या धोखाधड़ी या गलत व्यापार के संबंध में कार्यवाही कैसे की जाएगी.
संशोधन परिसमापन विनियम और संशोधन स्वैच्छिक परिसमापन विनियम क्रमशः एक कॉरपोरेट देनदार या कॉरपोरेट व्यक्ति के परिसमापन और स्वैच्छिक परिसमापन से संबंधित अभिलेखों को बनाए रखने के तरीके और अवधि को निर्धारित करते हैं.
बोर्ड ने यह भी बताया है कि संशोधन परिसमापन विनियम और संशोधन स्वैच्छिक परिसमापन विनियम 16 सितंबर, 2022 से प्रभावी हैं.