ICICI बैंक की पूर्व-सीईओ चंदा कोचर के बाद CBI की गिरफ्त में Videocon के सीईओ
वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon Group) के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत (Venugopal Dhoot) को आज केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने ICICI बैंक लोन मामले में गिरफ्तार कर लिया. हाल ही में 2 दिन पहले ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को CBI ने गिरफ्तार किया था. यह गिरफ्तारी वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के लोन में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में हुई है.
वहीं, मुंबई की एक अदालत में पेश करने के बाद कोचर से पूछताछ की जा रही है.
CBI ने दीपक कोचर, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा प्रबंधित न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स (NRL) कंपनियों के साथ कोचर और धूत को 2019 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधान और आपराधिक साजिश से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज FIR में आरोपी के रूप में नामित किया था.
मामले में आरोपों के अनुसार, वेणुगोपाल धूत ने कथित तौर पर 2010 और 2012 के बीच वीडियोकॉन ग्रुप को बैंक द्वारा लोन दिए जाने के कुछ महीनों बाद, बदले के हिस्से के रूप में न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया था.
सीबीआई का आरोप है कि लोन को एक समिति द्वारा मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर एक सदस्य थीं. एजेंसी का कहना है कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और "वीडियोकॉन को 300 करोड़ रुपये मंजूर करने के लिए धूत से अपने पति के माध्यम से अवैध संतुष्टि/अनुचित लाभ प्राप्त किया."
यह ₹ 40,000 करोड़ के लोन का हिस्सा था जो वीडियोकॉन को भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में 20 बैंकों के एक संघ से मिला था.
59 वर्षीय चंदा कोचर ने अक्टूबर 2018 में ICICI बैंक की सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और तेल और गैस अन्वेषण कंपनी वीडियोकॉन ग्रुप का समर्थन किया था.
यह कहते हुए कि उन्होंने बैंक की आचार संहिता और आंतरिक नीतियों का उल्लंघन किया, ICICI ने एक साल बाद कहा कि वह चंदा कोचर के इस्तीफे को "टर्मिनेशन फॉर कॉज" के रूप में मानेगा.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि ICICI बैंक ने धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था. इन लोन्स के NPA होने से बैंक को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ.
वहीं, चंदा कोचर ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है. इस मामले में दीपक और चंदा कोचर के खिलाफ CBI, ED, SFIO और आयकर विभाग जांच कर रहे हैं.