IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने शहीदों के परिजनों के लिए दान की पूरी 'फीस'
रैमन पुरस्कार से सम्मानित चर्चित वन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी एक बार फिर से अपने अच्छे कामों की वजह से चर्चा में हैं। आर्बिट्रेटर के तौर पर एक केस की सुनवाई कर रहे चतुर्वेदी ने मिलने वाली फीस को लेने से इनकार कर दिया और वादियों को यह फीस शहीदों के परिजनों के लिए दान करने के लिए कह दिया। इस राशि को शहीदों के परिजनों की मदद के लिए बनाए गए पोर्टल 'भारत के वीर' के जरिए खाते में जमा कर दिया गया। भारतीय वन सेवा के अधिकरी संजीव चतुर्वेदी चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड द्वारा एक मामले की सुनवाई के लिए आर्बिटेटर के तौर पर नियुक्त हैं।
जिस मामले की सुनवाई संजीव कर रहे हैं वह एक कंस्ट्रक्शन कंपनी से जुड़ा हुआ मामला है जिसमें बीते साल फरवरी में उन्हें नियुक्त किया गया था। संजीव ने अब इस मामले की सुनवाई कर दी और आदेश भी जारी कर दिया। केस का समाधान करने के लिए तमाम खर्चों सहित करीब 2.30 लाख रुपये की फीस एकत्र हुई जिसे लेने से इनकार करते हुए संजीव चतुर्वेदी ने इसे शहीदों के लिए समर्पित करने की सलाह दे दी।
इस मामले में आर्बिट्रेशन फीस तय करने का अधिकार संजीव के पास था। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि इस फीस को शून्य किया जा रहा है और वादी एवं पक्षकार अपनी सुविधा के मुताबिक इसे शहीदों के परिवार की मदद के लिए दान कर दें। आपको बता दें कि अपनी ईमानदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रहने वाले संजीव को 2015 में उनके काम के लिए प्रतिष्ठित रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
संजीव चतुर्वेदी मैग्सेसे पुरस्कार में मिली 20 लाख रुपए की राशि को प्रधानमंत्री राहत कोष में दे दी थी। 2002 बैच के भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को सबसे पहले हरियाणा के कुरक्षेत्र में नियुक्ति मिली थी जहां उन्होंने सरस्वती वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में हिरण का शिकार करने वाले ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज कराई थी। संजीव को केंद्र में डेप्युटेशन पर सतर्कता अधिकारी भी नियुक्त किया गया था। फिलहाल वे उत्तराखंड में तैनात हैं।
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