IIM से ग्रेजुएट करने बाद नौकरी में भी नहीं लगा मन तो शुरू कर दिया खुद का च्यवनप्राश का बिजनेस
अंकिता कुमावत ने 2009 में आईआईएम कोलकाता से डिग्री हासिल की। इसके बाद मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे वेतन वाली जॉब भी मिल गई। लेकिन उनका मन नहीं लगा। फिर उन्होंने आंवला से च्यवनप्राश बनाने के बारे में सीखा। और इसे बिजनेस बना लिया।
किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि, “तूफान से लड़ने में मजा ही कुछ और है, मौजों की सियासत से मायूस न हो ‘फ़ानी’।” बचपन से अपने लक्ष्य के प्रति कुछ ऐसी ही जिद्दी और जुनूनी रही है अजमेर की रहने वाली अंकिता कुमावत।
उन्होंने पहले राजस्थान के अजमेर में स्थित एक छोटे से इलाके से निकलकर आईआईएम से पढ़ाई करने का सपना पूरा किया। फिर मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी भी की। लेकिन इस महिला उद्यमी को बचपन से ही कुछ अलग और चैलेनजिंग काम करने की आदत थी जिसे पूरा करके वह न केवल आज महीने में लाखों रुपए कमा रही हैं बल्कि समाज में एक अलग पहचान भी हासिल की है।
कैसा रहा अंकिता का बचपन
अंकिता का बचपन अजमेर के एक छोटे से इलाके में बीता था लेकिन उनके सपने और उनकी सोच हमेशा से ही बड़े रहे थे। पिता पेशे से इंजीनियर और माँ घर के कामकाज में व्यस्त रहने वाली हाउस वाइफ थीं। बचपन से ही पढ़ाई में तेज रहीं अंकिता को उनके माता-पिता का पूरा सपोर्ट मिला। अंकिता ने अपनी स्कूलिंग पूरी करने के बाद साल 2009 में आईआईएम कोलकाता से डिग्री हासिल की।
खेती-किसानी का बना दिया बिजनेस मॉडल
IIM से डिग्री मिलने के साथ ही अंकिता को मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे वेतन वाली जॉब भी मिल गई है लेकिन खुद को संतुष्टि नहीं। वह हमेशा उद्यमिता से काफी प्रभावित रहीं थीं। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ खुद का व्यापार बनाने का फैसला किया। आमतौर पर लोग खेती-किसानी को एक अव्यस्थित व आर्थिक रूप से नुकसान वाले काम की श्रेणी में रखते हैं। अंकिता ने इस मिथक को अपनी काबिलियत की दम पर तोड़ा दिया। उन्होंने ऑर्गेनिक खेती का रास्ता चुना और उससे लोगों की जरूरत का सामान तैयार कर एक अच्छा खासा बिजनेस मॉडल बना डाला।
आंवले की खेती से हुई बिजनेस की शुरुआत फिर बना च्यवनप्राश
मल्टीनेशनल कंपनी से नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने बड़े स्तर पर आंवले की खेती करनी शुरू की। लेकिन इतनी अधिक मात्रा में आंवले की खपत कहां हो उनके सामने यह एक बड़ा चैलेंज था। उन्होंने इंटरनेट पर इसके उपयोग के बारे में जानकारी इकठ्ठा की जिसके बाद वह अपने फार्म में ही देसी तरीके से आंवला से च्यवनप्राश बनाने लगीं।
इसके लिए उन्हें अन्य जड़ी-बूटियों की भी जरूरत महसूस हुई जिसे उन्होंने बाहारी बाजार से खरीदना शुरू किया। जो आसपास के किसानों के पास बहुत ही आसानी से मिल जाती थी। उन्होंने आंवले के साथ शतावरी, ब्राह्मी, जटामानसी, गोखरू, बेल, कचूर, नागरमोथा, लौंग, जीवन्ती, पुनर्नवा, अंजीर , अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी के पत्ते, सौंठ, मुनक्का, मुलेठी जैसी जड़ी-बूटियां मिलानी शुरू की।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि, “शुरुआती दौर में च्यवनप्राश बनाने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि यह अकेले कर पाना इतना काम आसान नहीं है। चूंकि हम पहले भी आंवला से मुखवास और गाय के लिए दवा बनाते थे। इसलिए हमें इसकी प्रोसेसिंग की जानकारी थी। वहीं इंटरनेट से पढ़कर च्यवनप्राश बनाने के लिए एक सटीक रेसिपी को हमने फॉलो करना शुरु किया दिया। हम अपनी रेसिपी में किसी तरह का फेरबदल नहीं करते हैं।”
कहां-कहां उपलब्ध हैं इनका ब्रांड
अंकिता का च्यवनप्राश आज लगभग सभी ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। इसमें अमेजन में सबसे अधिक डिमांड रहती हैं। इसके अलावा उनकी खुद की भी वेबसाइट पर जिसके माध्यम से भी वह लगातार लोगों तक अपनी पहुंच बना रही हैं। वह खेतों में उगने वाले करीब 80 फीसदी आंवले का इस्तेमाल च्यवनप्राश बनाने में करती हैं। हालांकि, अभी उन्हें मार्जिन केवल 15 प्रतिशत मिलता है। लेकिन ऑर्गेनिक खेती करके वह कई चीजों की पैदावार कर रही हैं जिससे अन्य उत्पाद भी तैयार करती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi