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IIT मंडी के शोधकर्ताओं की बदौलत इमारतों को भूकंप से बचाने में मिलेगी मदद, जानिए कैसे...

इस रिसर्च से बड़े शहरों और ऊंची इमारतों में भूकंप आपदा से होने वाली समस्या का समाधान करने का होगा प्रयास. भूकंप से सुरक्षा के लिए 2D मेटामटेरियल आधारित नींव की अवधारणा का परीक्षण कंप्यूटर मॉडल पर किया गया है.

डॉ. अर्पण गुप्ता के नेतृत्व में IIT मंडी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने भूकंप से इमारतों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 2D मेटामटेरियल आधारित नींव का प्रस्ताव दिया है.

इस रिसर्च का विवरण जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है, जिसको आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्पण गुप्ता, और उनके शोधकर्ताओं ऋषभ शर्मा, अमन ठाकुर और डॉ. प्रीति गुलिया के सहयोग से तैयार किया गया है.

इस शोध के महत्व को समझाते हुए आईआईटी मंडी के डॉ. अर्पण गुप्ता ने कहा, "इमारत की नींव को बुद्धिमानी से डिजाइन करके, इमारत को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना भूकंप की तरंगों को वापस मोड़ा या परावर्तित किया जा सकता है. किसी भी इमारत की सुरक्षा लिए एक अच्छी नींव की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, इमारत फाउंडेशन की इस नवीन डिजाइन के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है, और इसे मेटामटेरियल फाउंडेशन के रूप में जाना जाता है. भौतिक गुणों के कारण यह तकनीकी भिन्नता तरंगों के प्रतिबिंब को जन्म दे सकती है जिससे उस नींव पर बने हुए भवन संरचना की सुरक्षा हो सकती है."

टीम ने इसके लिए 2D मेटामटेरियल्स का उपयोग किया है. धातु और प्लास्टिक जैसी सामग्री से बने कई तत्वों को जोड़कर एक मेटामटेरियल बनाया जाता है, जो आमतौर पर दोहराते हुए पैटर्न से तैयार होता है, जो भूकंप के कंपन या भूकंपीय तरंगों से प्रभावित होने वाली घटनाओं की तरंग से छोटी होती हैं. भूकंपीय तरंगें लोचदार तरंगें होती हैं जो पृथ्वी की परतों के माध्यम से ऊर्जा का परिवहन करती हैं. अन्य प्रकार की भौतिक तरंगों के विपरीत, भूकंपीय तरंगों में लंबी तरंग कम आवृत्ति की होती है. भूकंपीय तरंगों के लिए मेटामटेरियल्स की जांच अपेक्षाकृत नया और अत्यधिक जटिल क्षेत्र है.

आईआईटी मंडी की टीम ने एक फाउंडेशन का अध्ययन किया है जिसमें रबर मैट्रिक्स में स्टील और लेड से बने दोहराए जाने वाले गोलाकार स्कैटर शामिल हैं.

भूकंप से सुरक्षा के लिए 2D मेटामटेरियल आधारित नींव की अवधारणा का परीक्षण कंप्यूटर मॉडल पर किया गया है. भवन संरचना और उसकी नींव का का परीक्षण एक कंप्यूटर मॉडल पर आधारित था जोकि भूकंप उत्तेजनाओं के अधीन था. इस समबन्ध में दो मामलों पर विचार किया गया – पहला ठोस नींव और दूसरा मेटामटेरियल नींव. कंक्रीट नींव के मामले में, बड़े कंपन दर्ज किए गए, जबकि मेटामटेरियल नींव के मामले में - बहुत कम कंपन देखे गए.

आगे बताते हुए, मुख्य शोधकर्ता ने कहा, "हमने दिखाया है कि मेटामटेरियल नींव भूकंप उत्तेजना के कारण होने वाले जमीन के कंपन को प्रभावी ढंग से कम कर सकती है. कंक्रीट और मेटामटेरियल नींव के बीच तुलना करने से यह पता चलता है कि मेटामटेरियल भूकंप के कारण होने वाले कंपन की प्रतिक्रिया को काफी कम कर सकता है. अनुसंधान या शोध यह इंगित करता है कि नियत समय के आधार पर यह 2.6 हर्ट्ज से 7.8 हर्ट्ज तक भूकंप से होने वाली तरंगों को क्षीण करता है. यह व्यापक और निम्न-आवृत्ति बैंड के अंतराल पर एक उल्लेखनीय प्रगति है जो भूकंप शमन उद्देश्यों के लिए भविष्य की मेटामटेरियल नींव के निर्माण में सहायता कर सकता है."

यह अध्ययन भूकंपरोधी भवनों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. मेटामटेरियल फाउंडेशन भवन संरचनाओं को भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकता है और दुनिया के भूकंप-प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकता है. इस क्षेत्र में आईआईटी मंडी टीम का यह अभिनव शोध अधिक कुशल और प्रभावी भूकंपीय मेटामटेरियल फाउंडेशन के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

डॉ अर्पण गुप्ता ने शोध के परिणामों पर अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा, "हमारा शोध भवन संरचनाओं को भूकंपीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए मेटामटेरियल्स की क्षमता को दिखाता है. हम आशा करते हैं कि हमारा शोध अन्य शोधकर्ताओं को संरचनात्मक इंजीनियरिंग और भूकंप प्रतिरोधी इमारतें एवं अन्य क्षेत्रों में मेटामटेरियल्स की संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रेरित करेगा."

आईआईटी मंडी की टीम द्वारा किये गए इस शोध में भवन निर्माण की नींव या फाउंडेशन तैयार करने के सम्बन्ध में हमारे सोचने के तरीके में क्रांति लाने की क्षमता है और इससे भूकंप से होने वाले नुकसान से सुरक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है.

(फीचर इमेज सांकेतिक है)

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