3 घंटे में हो गई थी खुद के बच्चे की मौत, 63 दिन तक अपना ब्रेस्ट मिल्क इकठ्ठा कर दूसरे नवजातों के लिए किया डोनेट
"अपने बच्चे की मौत के बाद सिएरा ने तय किया कि वह अपने शुरुआती महीनों का दूध (ब्रेस्ट मिल्क) बाकी बच्चों के लिए डोनेट करेंगी। यह एक साहसिक फैसला था। उन्होंने 63 दिनों तक अपना ब्रेस्ट मिल्क इकठ्ठा किया और फिर उसे मिल्कबैंक में जमा कराया।"
मां... यह एक शब्द नहीं बल्कि पूरा संसार है। मां बनने का अनुभव दुनिया के सबसे सुखद अनुभवों में से एक होता है। ... लेकिन जरा सोचिए कि कितना दर्दनाक होता होगा जब मां बनने से पहले ही मां को पता चले कि उसका होने वाला बच्चा जिंदा नहीं बचेगा। इस दुख को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
किसी से साथ ऐसा हो तो शायद ही वह महिला इस झटके को सहन कर पाए लेकिन ऐसी स्थिति में भी अमेरिका की सिएरा स्ट्रैंगफील्ड ने जो किया, वह अपने आप में एक बहादुरी का काम है। अपने बच्चे की मौत के बाद सिएरा ने तय किया कि वह अपने शुरुआती महीनों का दूध (ब्रेस्ट मिल्क) बाकी बच्चों के लिए डोनेट करेंगी। यह एक साहसिक फैसला था। उन्होंने 63 दिनों तक अपना ब्रेस्ट मिल्क इकठ्ठा किया और फिर उसे मिल्कबैंक में जमा कराया।
यह है पूरा मामला
दरअसल अमेरिका की रहने वालीं सिएरा स्ट्रैंजफेल्ड दूसरी बार प्रेगनेंट हुई थीं। वह चाहती थीं कि उन्हें एक बेटा हो क्योंकि उनके पास बेटी (पोर्टर) पहले से थी। अपनी प्रेगनेंसी को लेकर वह बहुत खुश थीं। यहां तक कि उन्होंने होने वाले बच्चे का नाम (सैमुअल) भी रख दिया था। उन्हें झटका तब लगा जब रेगुलर मेडिकल चेकअप के दौरान डॉक्टर्स ने बताया कि उनका होने वाला बच्चा ट्रिसोमी 18 (Trisomy 18) नाम के डिसऑर्डर से ग्रसित है। फॉक्स न्यूज के मुताबिक इसे एडवर्ड सिन्ड्रॉम भी कहते हैं। इसका कोई इलाज नहीं है। इस सिन्ड्रॉम के कारण बच्चे की प्रसव के दौरान फिर पैदा होने के कुछ ही समय बाद मौत हो जाती है।
जब उन्हें इस बात का पता चला तो वह टूट गईं। 5 सितंबर को 25 हफ्ते के उनके बच्चे सैमुअल की प्रीमैच्योर बर्थ हुई और 3 घंटे से भी कम समय में उसकी मौत हो गई। उन तीन घंटों में उन्होंने एक ऐसा निर्णय लिया जो शायद ही कोई और ले सके! सिएरा ने तय किया कि वह अपना दूध पंपिंग प्रक्रिया के जरिए इकठ्ठा करेंगी और ड्यू डेट (बच्चे के जन्म की मैच्योर डेट) को मिल्क बैंक में जमा करवाएंगी।
सैमुअल की मौत के बाद सिएरा ने 63 दिनों तक अपनी ब्रेस्ट से पंपिंग के जरिए दूध इकठ्ठा किया और 13 नवंबर की ड्यू डेट को उसे मिल्क बैंक में बाकी बच्चों के लिए डोनेट कर दिया। उनके पति ली ने भी उनके इस फैसले का समर्थन किया।
फेसबुक से सामने आई सिएरा की बहादुरी की कहानी
यह पूरी कहानी सिएरा ने अपने फेसबुक अकाउंट (@sierra.coulthard) पर पोस्ट के जरिए साझा की। सिएरा ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा,
'जब मुझे पता चला कि मैं दोबारा प्रेगनेंट हूं। मैं सिर्फ इतना चाहती थी कि मैं अच्छी ब्रेस्टफीडिंग कर सकूं। लेकिन जब हमें सैमुअल (बच्चे) की बीमारी के बारे में पता चला तो मैं समझ गई कि अब ऐसा होने वाला नहीं है। एक और उम्मीद मुझसे दूर हो गई थी। सैमुअल की मौत से पहले मैंने खुद को बताया कि मैं अपना पहला दूध बाकी बच्चों के लिए डोनेट करूंगी। क्योंकि पोर्टर (बेटी) को भी उसके जीवन के शुरुआती 6 महीनों में डोनेट किया हुआ दूध ही मिला था।'
सिएरा की पोस्ट,
वह आगे लिखती हैं,
'मैं सैमुअल की जिंदगी तो नहीं बचा सकी लेकिन हो सकता है कि मैं दूसरे बच्चों की जिंदगी बचा सकूं। पंपिंग कमजोर दिल वालों का काम नहीं है। अपने ब्रेस्ट से दूध निकलवाकर देना कोई आसान काम नहीं है। यह मानसिक और शारीरिक, दोनों ही तरह से मुश्किल है। यह तब और मुश्किल हो जाता है जब आपका बेबी (बच्चा) ही ना हो। कई बार मुझे गुस्सा आता था कि जब मेरे कोई बच्चा ही नहीं है तो मैं दूध क्यों दूं? इस बात को सोचते हुए कई बार मैं आधी रात को अचानक से उठ जाती थी। फिर मेरा दूसरा मन कहता कि सिर्फ इसी एक वजह से मैं धरती पर खुद को सैमुअल से जुड़ा हुआ महसूस करती हूं। मुझे पक्का यकीन है कि सैमुअल को मुझ पर गर्व होता है।'
आगे वह पोस्ट में लिखती हैं,
'मैंने सैमुअल के पैदा होने के बाद 63 दिन तक अपना दूध इकठ्ठा किया। और आज मैंने पहली और आखिरी बार सारा दूध NICU के मिल्क बैंक्स को जमा करा दिया। अस्पताल के हॉल में चलते हुए जाना मुझे काफी सुकुन दे रहा था। मैं जानती थी कि सैमुअल मेरे साथ है और मैं उसे महसूस कर सकती हूं।'
पोस्ट होने के बाद से यह बहुत वायरल हो गया। इस पोस्ट पर 20,000 से अधिक रिऐक्शन हैं। साथ ही इसे लगभग 5500 बार शेयर किया गया है। कॉमेंट में लोग सिएरा की तारीफ कर रहे हैं। कुछ लोग तो सिएरा को ऐंजल (भगवान की दूत) भी बता रहे हैं।