National Nutrition Month: भारतीय व्यंजनों में सोडियम की मात्रा घटाने और स्वाद बढ़ाने के 4 ज़रूरी टिप्स
शरीर में अधिक सोडियम की मात्रा हो जाने से हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बना रहता है, जिसे 'साइलेंट किलर' कहा जाता है. इसका असर करीब 220 मिलियन भारतीयों पर पड़ रहा है. ऐसे में हमें सोडियम की मात्रा घटाने के तरीकों पर गौर करना बेहद जरूरी है.
शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भोजन में सोडियम की मात्रा को कम करना बेहद ज़रूरी है. भोजन में सोडियम की अधिक मात्रा हृदय संबंधी समस्याओं के साथ स्वास्थ्य की अन्य समस्याएं भी पैदा करती हैं. भारत में इसका खतरा और ज्यादा है. यहां औसत नमक की खपत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की प्रति दिन 5 ग्राम की सिफारिश से लगभग दोगुनी है. शरीर में अधिक सोडियम की मात्रा हो जाने से हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बना रहता है, जिसे 'साइलेंट किलर' कहा जाता है. इसका असर करीब 220 मिलियन भारतीयों पर पड़ रहा है. इस सितम्बर हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित राष्ट्रीय पोषण माह मना रहे हैं. ऐसे में हमें सोडियम की मात्रा घटाने के तरीकों पर गौर करना बेहद जरूरी है.
हालांकि, जब भी हम अपने व्यंजनों से नमक को कम करते हैं तो अक्सर ऐसा माना जाता है कि हम अपने स्वाद से समझौता कर रहे हैं. इसे लंबे समय तक हेल्थी खाने की तरह खाते रहना, काफी मुश्किल हो जाता है. AIIMS की पूर्व सीनियर डाइटीशियन- डॉ. अनुजा अग्रवाला के अनुसार, "एक गलत धारणा है कि नमक कम करने का मतलब स्वाद से समझौता करना है, लेकिन अगर हम फ्लेवर साइंस को समझ लें और सही विकल्पों का इस्तेमाल करें, तो इस कमी को पूरा किया जा सकता है."
एक असरदार लेकिन अक्सर गलत समझा जाने वाला घटक- मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG) एक विकल्प है, जो उमामी स्वाद को पैदा करता है और भोजन में संतुष्टि प्रदान करता है. दिल्ली विश्वविद्यालय के भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंसेज़ के फूड टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ एराम राव का कहना है, "उमामी ने भोजन सेवन से संबंधित अल्पकालिक नियमन पर प्रभाव दिखाया है, विशेष रूप से प्रोटीन सेवन के संदर्भ में यह भोजन को काफी संतोषजनक बनाता है."
डॉ. राव आगे कहते हैं, "कई वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, MSG में टेबल सॉल्ट की तुलना में 70% कम सोडियम होता है. अगर इसे कम टेबल सॉल्ट के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाए, तो स्वाद को बरकरार रखते हुए व्यंजन की सोडियम मात्रा को 40% तक कम किया जा सकता है."
यहां डॉ. एराम राव और डॉ. अनुजा अग्रवाला के कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं, जो बताते हैं कि कैसे MSG स्वाद को बरकरार रखते हुए भारतीय व्यंजनों में सोडियम की मात्रा को नियंत्रित करने में गेम चेंजर साबित हो सकता हैं.
MSG को लो-सोडियम फ्लेवर बूस्टर के रूप में इस्तेमाल करें
MSG, जिसे 'उमामी सीज़निंग' के रूप में भी जाना जाता है, एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है जो भोजन के स्वाद को बढ़ाता है और साथ ही टेबल सॉल्ट के हाई सोडियम को कम करता है. MSG सोडियम और ग्लूटामेट का संयोजन है. ग्लूटामेट, या ग्लूटामिक एसिड, मानव शरीर द्वारा संश्लेषित किया जाता है और यह सबसे आम अमीनो एसिड्स में से एक है, जो कई खाद्य पदार्थों में जैसे टमाटर, मशरूम, ब्रोकोली, मटर, मछली, सोया सॉस में पाया जाता है. यहां तक कि ह्यूमन ब्रेस्ट मिल्क में भी ग्लूटामेट की मात्रा काफी अधिक होती है.
हालांकि इसके सुरक्षा को लेकर मिथक प्रचलित हैं, लेकिन व्यापक शोध से पता चलता है कि MSG इसके उमामी गुणों के कारण सोडियम की कमी के लिए एक प्रभावी टूल साबित हो सकता है, . MSG की सेफ्टी को संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की जॉइंट एक्सपर्ट कमेटी ऑन फूड एडिटिव्स (JECFA), यूरोपीय आयोग की साइंटिफिक कमेटी फॉर फूड (SCF), अमेरिकन सोसाइटीज फॉर एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी (FASEB) और फूड स्टैंडर्ड्स ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित दुनिया भर के सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों और संगठनों ने प्रमाणित किया है. इसके अलावा, भारत में भी, नियमानुसार, MSG एक स्वीकृत खाद्य योज्य है और GMP (गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज़) के तहत इसकी अनुमति है.
वास्तव में, MSG का उपयोग खाद्य आपूर्ति में सोडियम कम करने की रणनीति के रूप में सिंगापुर और संयुक्त राज्य अमेरिका (सोडियम और पोटेशियम के लिए आहार संदर्भ इंटेक्स) जैसे देशों द्वारा भी स्वीकार किया गया है.
लो-सोडियम नमक का विकल्प चुनें
ऐसे नमक विकल्प जो सोडियम की जगह पोटेशियम या अन्य खनिजों को रिप्लेस करते हैं, वे नमक का स्वाद बनाए रखते हुए उच्च सोडियम सामग्री को कम करने में मदद कर सकते हैं. पोटेशियम से भरपूर विकल्प, जैसे पोटेशियम क्लोराइड, विशेष रूप से प्रभावी होते हैं. डॉ. राव कहती हैं- "पोटेशियम न केवल सोडियम स्तरों को संतुलित करने में मदद करता है, बल्कि रक्तचाप प्रबंधन का भी समर्थन करता है." ये विकल्प उन लोगों के लिए खासतौर पर उपयोगी हैं जो धीरे-धीरे सोडियम को कम करना चाहते हैं, जबकि उनके स्वाद को बरकरार रखना चाहते हैं. केले, शकरकंद और हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करना भी सोडियम के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है.
एसिडिक इंग्रेडिएंट्स से स्वाद को बढ़ाएं
एसिडिक इंग्रेडिएंट्स एक प्रभावी तरीका हैं जो नमक की मात्रा घटाए बिना स्वाद को बढ़ा सकते हैं. सिरका, नींबू का रस, चूना और इमली जैसे इंग्रेडिएंट्स व्यंजनों को चटपटा बना सकते हैं और नमक के स्वाद को बढ़ा सकते हैं. डॉ. अग्रवाला कहती हैं, "एसिडिक इंग्रेडिएंट्स वो फ्लेवर प्रदान कर सकते हैं जो हमारे अन्दर स्वाद का इच्छा को बिना अतिरिक्त नमक की आवश्यकता के संतुष्ट कर देता है." यह तरीका न केवल सोडियम को कम करता है बल्कि आपके भोजन में फ्लेवर की कई परतें जोड़ता है, जिससे आपका स्वाद बढ़ता है और आपकी डाइट ट्रैक पर रहती है.
हर्ब्स, मसालों और एसिड्स के साथ प्रयोग करें
हर्ब्स, मसाले और एसिड्स जैसे नींबू का रस या सिरका बिना सोडियम को बढ़ाए आपके व्यंजनों में फ्लेवर जोड़ सकते हैं. डॉ. अग्रवाला कहती हैं, "जीरा, पेपरिका और लहसुन जैसे मसाले न केवल स्वाद को बढ़ाते हैं, बल्कि एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स जैसे पोषण संबंधी लाभ भी प्रदान करते हैं." विभिन्न मसालों के साथ प्रयोग करें और ऐसे संयोजन ढूंढें जो आपके स्वाद को संतुष्ट करें और सोडियम घटाने के लक्ष्यों का समर्थन करें.
सोडियम की मात्रा घटाने का मतलब भोजन में स्वाद की कमी कर देना नहीं है. MSG और नमक के स्मार्ट ऑप्शन्स जैसे टूल्स के साथ, आप स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले सकते हैं जो आपके स्वास्थ्य लक्ष्यों के अनुरूप हो. जैसा कि डॉ. अग्रवाला कहती हैं, "पोषण और स्वाद साथ-साथ चल सकते हैं, और चलने भी चाहिए." इन रणनीतियों को अपनाकर, आप एक संतोषजनक और दिल को स्वस्थ बनाए रखने वाला आहार तैयार कर सकते हैं. इससे यह साबित होता है कि स्वाद और पोषण का सही संतुलन न केवल संभव है, बल्कि बहुत लाभकारी भी है.