सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, आपकी छुट्टियां 300 से बढ़कर हो सकती हैं 450
अभी तक इस तरह की कुल अर्जित छुट्टियां (Earned Leave) 300 से ज्यादा नहीं हो सकतीं. नया लेबर कोड लागू होने पर यह संख्या 300 से बढ़कर 450 हो सकती है.
पिछले एक साल से लागू होने की बाट जोह रहे लेबर कोड के नए नियम संभवत: इस 1 जुलाई से लागू हो सकते हैं. यदि ऐसा होता है तो सरकारी कर्मचारियों के लिए यह बड़ी खुशखबरी होगी. उनकी अर्जित छुट्टियां (Earned Leave) 300 से बढ़कर 450 हो जाएंगी. इसके अलावा भी काम के घंटों, वीकली ऑफ, सैलरी आदि को लेकर नए लेबर कोड में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं.
इन सबके बारे में विस्तार से आप यहां पढ़ सकते हैं.
क्या होती हैं अर्जित छुट्टियां (Earned Leave)
सभी सरकारी और निजी दफ्तरों में कुछ ऐसी छुट्टियां होती हैं, जो आप हर साल कैरी फॉरवर्ड होती रहती हैं. कुछ कंपनियों में इसे प्रिविलेज लीव भी कहा जाता है. हालांकि निजी कंपनियों में इसके कैरी फॉरवर्ड होने की बाध्यता नहीं है. कई निजी कंपनियों में छुट्टियां कैरी फॉरवर्ड नहीं होतीं.
भारत सरकार के मौजूदा श्रम नियमों के मुताबिक एक सरकारी कर्मचारी को साल में 30 तीनों की अर्जित छुट्टियां (Earned Leave) मिलती हैं. अगर वो ये छुट्टी नहीं लेते तो वह अगले साल कैरी फॉरवर्ड हो जाती हैं और अगले साल की छुट्टी 60 दिनों की हो जाती है.
अभी तक इस तरह की कुल अर्जित छुट्टियां (Earned Leave) 300 से ज्यादा नहीं हो सकतीं. 300 से ज्यादा होने पर छुट्टियां लैप्स हो जाती हैं.
मोदी सरकार तो नया नियम लेकर आ रही है, उसके मुताबिक अब इन छुट्टियों की संख्या 300 से बढ़ाकर 450 कर दी गई है. यानि अब कुल अर्जित छुट्टियां (Earned Leave) 450 तक हो सकती हैं, जिन्हें सरकारी कर्मचारी अपनी जरूरत के हिसाब से कभी भी ले सकते हैं.
रिटायरमेंट के समय यदि किसी सरकारी कर्मचारी के खाते में बहुत सारी अर्जित छुट्टियां हैं तो उन्हें उसके बदले में बेसिक सैलरी भी मिलती है. कुछ केसेज में उन छुट्टियों के बदलते अर्ली रिटायरमेंट भी लिया जा सकता है.
श्रम संगठन और यूनियन काफी समय से इन छुट्टियों को बढ़ाकर 450 करने की मांग कर रहे हैं. भारत सरकार के लेबर कोड के नियमों को बदलने की यह मांग और उसकी प्रक्रिया पिछले काफी समय से चल रही है.
सरकार के श्रम मंत्रालय, लेबर यूनियनों और बिग इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधियों के बीच लंबे समय तक बातचीत का नतीजा है यह नया लेबर कोड, जो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आगामी 1 जुलाई से लागू हो सकता है. तीनों संबंधित पार्टियों के बीच हुई मीटिंगों में इस पर विस्तार से चर्चा की गई कि काम के घंटे, सैलरी, प्रॉविडेंट फंड, छुट्टियों और रिटायरमेंट का मौजूदा स्ट्रक्चर कर्मचारियों और कंपनियों के कितने हित में है और उसमें किस तरह के बदलाव की जरूरत है.
इस लेबर कोड को लागू करने में राज्यों की भूमिका
यह लेबर कोर्ड पिछले साल 1 अप्रैल से ही लागू किया जाना था, लेकिन राज्य तब इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं थे. भारत सरकार के 29 केंद्रीय श्रम कानून को 4 कोड में बांटा गया है. इन 4 कोड में वेतन, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा आदि से संबंधित 4 कोड शामिल हैं. संसद इसे पारित कर चुकी है, लेकिन संसद के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी इन नियमों की अधिसूचना जारी करनी होगी और उसके लिए ड्राफ्ट कानून तैयार करना होगा. अभी तक 23 राज्यों की तैयारी पूरी हो चुकी है.
यह लेबर कोड लागू होने के बाद काम की स्थितियां बेहतर होंगी, निवेश और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट होगा.
Edited by Manisha Pandey