अगर सरकार ने इनकम टैक्स हटा दिया तो क्या होगा? इधर जानें
सरकार की आय में आयकर बड़े श्रोत में से एक है, लेकिन समय-समय पर देश में इसे हटाने की वकालत भी होती आई है। देश से यदि आयकर हटाया जाता है, तो इसका प्रभाव कई आयामों पर नज़र आएगा।
हाल ही में पेश किए आम बजट में सरकार ने आयकर के लिए नई स्लैब लोगों के सामने पेश की है। हालांकि आयकर की यह नई स्लैब वैकल्पिक है। नई दरों के जरिये मध्यमवर्गीय परिवार को राहत देने की कोशिश की गई है। यूं तो आयकर एक प्रत्यक्ष कर है और जिसके चलते यह करदाताओं को सीधे तौर पर प्रभावित करता है, लेकिन 80सी समेत बचत के अन्य विकल्पों का इस्तेमाल करते हुए करदाता एक हद तक आयकर में बचत कर सकता है।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी मीडिया के सामने कई बार देश में आयकर पर अपनी राय रख चुके हैं। स्वामी कई बार देश से आयकर को पूरी तरह हटाने की बात लोगों के सामने रखी है। अगर कभी देश से आयकर को हटाया जाता है तो जाहिर तौर पर देश की अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
क्या हो अगर देश से आयकर हटा दिया जाये?
अगर देश से आयकर हट जाता है, तो करदाताओं के पास अधिक धन होगा, जिसके चलते बाज़ार में मांग और निवेश में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी और यह देश की अर्थव्यवस्था को त्वरित गति भी प्रदान करेगा। गौरतलब है कि देश से आयकर हटने के बाद सरकार को जरूरी राजस्व के लिए वैकल्पिक श्रोतों और अन्य उपायों की तरफ रुख करना पड़ेगा।
देश से आयकर हटने के साथ आर्थिक आधार पर उच्च और निम्न वर्ग के बीच की खाईं और गहरी हो जाएगी। निर्धारित सीमा से कम आय अर्जित करने वाला व्यक्ति वैसे भी आयकर नहीं देता है, लेकिन अधिक आय वाले शख्स को इस दशा में और अधिक धन अर्जित करने का मौका मिलेगा, जिससे इन दोनों वर्गों के बीच की दूरी और अधिक बढ़ जाएगी।
साल 2019-20 के लिए सरकार ने लगभग 7.25 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर अर्जित किया है। इसमें 3.25 लाख करोड़ रुपये सरकार को व्यक्तिगत आयकर के रूप में हासिल हुए हैं, जबकि शेष हिस्सा कॉर्पोरेट टैक्स का है। ये आंकड़े 15 जनवरी तक के हैं।
समानान्तर अर्थव्यवस्था है रोड़ा
जाहिर है कि जब आयकर हटाने से सरकार के राजस्व का इतना बड़ा हिस्सा कम हो जाएगा, तो उसे इसे कवर करने के लिए अन्य विकल्पों की ओर रुख करना होगा। इन विकल्पों में अन्य हिस्सों में टैक्स की वृद्धि और टैक्स चोरी पर पूरी तरह से लगाम लगाने लिए अधिक कड़े कदम शामिल हो सकते हैं।
भारत जैसे विशाल देश में कराधान वाकई एक जटिल प्रक्रिया मानी जाती है। टैक्स चोरी को देश में बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जाता रहा है और इस तरह से जुटाये गए धन को हम कालाधन के नाम से भी जानते हैं। माना जाता है कि इस वजह से देश में एक समानान्तर अर्थव्यवस्था चलती है, लेकिन इससे देश के विकास में कोई लाभ नहीं होता, क्योंकि इससे देश को किसी भी तरह का कर हासिल नहीं होता है।
क्या भविष्य में यह संभव है?
भारत आज भी विकासशील देशों की श्रेणी में आता है। भारत को दुनिया में बड़ी ताकत के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए अभी काफी लंबा रास्ता तय करना है। वर्तमान में भारत की जीडीपी दर में गिरावट देखने को मिली है, साथ ही भारतीय बाज़ार में इस समय मंदी के लक्षण देखे जा रहे हैं।
हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत 2.9 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ इस सूची में पांचवे स्थान पर काबिज है, वहीं माजूदा सरकार देश की अर्थव्यवस्था को 2024-25 तक 5 ट्रिलियल डॉलर तक ले जाना चाहती है। अगर भारत को इस लक्ष्य को पाना है तो उसे अधिक तेजी से आगे बढ़ते रहना होगा।
5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हुए और भारत के खुद को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के दौरान यदि भारत देश से आयकर को हटा देता है तो ऐसे में अर्जित होने वाले राजस्व में सीधे तौर पर बड़ी कमी देखने को मिलेगी, जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर सीधे तौर पर पड़ेगा।
देश से आयकर हटाने से पहले सरकार को जरूरी राजस्व के लिए अन्य वैकल्पिक साधनों की खोज करनी होगी, जिससे इस राशि की भरपाई की जा सके। साथ ही सरकार को निचले तबके के जीवनस्तर को ऊपर उठाने के लिए अधिक प्रभावी प्रयास करने होंगे।
जिन देशों में आयकर नहीं है वहाँ क्या हाल है?
विश्व में कई देश ऐसे हैं जहां पर आयकर शून्य है। इन देशों में बहराइन, कुवैत, ओमान, क़तर, सउदी अरब और संयुक्त राष्ट्र अमीरात जैसे देश शामिल हैं। गौरतलब है कि ये देश आर्थिक रूप से काफी सक्षम देश हैं। हालांकि ओमान में प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों से सोशल सिक्योरिटी फंड के तहत उनकी सैलरी का 6.5 प्रतिशत हिस्सा लिया जाता है।
कुछ देश ऐसे भी हैं जहां पर आयकर की दरें सर्वाधिक हैं। इन देशों में स्वीडन, जापान नीदरलैंड और ऑस्ट्रीया का नाम शामिल है।