Tax Saving: सैलरीड क्लास आयकर कानून के किन सेक्शंस के तहत बचा सकता है टैक्स, ये है डिटेल
याद रहे कि वैकल्पिक नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्सपेयर्स को कुछ टैक्स डिडक्शंस का फायदा नहीं मिलता है.
भारत में सैलरी पाने वाले किसी व्यक्ति की सालाना आय अगर 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह आयकर (Income Tax) के दायरे में आता है. हालांकि रिबेट बेनिफिट के चलते करदाता की 5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री हो जाती है. रिबेट बेनिफिट का अर्थ होता है आयकर माफ किया जाना. वर्तमान में रिबेट बेनिफिट 12500 रुपये का है. इसके अलावा आयकर कानून (Income Tax Act) विभिन्न सेक्शंस की मदद से व्यक्तिगत करदाता और कंपनियों दोनों को टैक्स डिडक्शन की सहूलियत देता है.
अगर सैलरीड क्लास की बात करें तो विभिन्न सेक्शंस के तहत वेतनभोगी करदाता खुद पर टैक्स देनदारी का बोझ कम कर सकते हैं. लेकिन याद रहे कि पुरानी टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत ही विभिन्न तरह के टैक्स डिडक्शंस क्लेम कर सकते हैं. नई वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था में टैक्सपेयर्स को कुछ खास टैक्स डिडक्शंस का ही फायदा मिलता है. पुरानी टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत व्यक्तिगत सैलरीड क्लास करदाता निवेश और खर्च जैसे- स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स, NPS, लोन, डोनेशन, बच्चों की फीस, माता-पिता का इलाज या इंश्योरेंस आदि के जरिए आयकर बचा सकते हैं. उपलब्ध विभिन्न डिडक्शंस की डिटेल इस तरह है...
सेक्शन 24
अगर करदाता ने होम लोन लिया है तो आयकर कानून के सेक्शन 24 के अंतर्गत किसी वित्त वर्ष में होम लोन के ब्याज के भुगतान पर 2 लाख रुपये तक के टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं. वहीं होम लोन के मूलधन पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन का फायदा मिलता है.
सेक्शन 80C
सेक्शन 80C के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश कर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. इस सेक्शन का फायदा व्यक्तिगत करदाताओं और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUFs) के लिए है. सेक्शन 80C के अंतर्गत टैक्स डिडक्शन का फायदा पाने के लिए जीवन बीमा प्रीमियम, ELSS, EPF कंट्रीब्यूशन, VPF कॉन्ट्रीब्यूशन, LIC के एन्युइटी प्लान में कॉन्ट्रीब्यूशन, NPS में निवेश, पोस्ट ऑफिस स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स, PPF, टैक्स सेवर FD, सुकन्या समृद्धि स्कीम, Ulip, बच्चों की ट्यूशन फीस, नाबार्ड बॉन्ड और होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट का रिपेमेंट आता है.
सेक्शन 80CCC
यह सेक्शन, बीमा पॉलिसी के किसी भी एन्युइटी प्लान में निवेश पर टैक्स डिडक्शन क्लेम करने की सुविधा देता है. लेकिन इसके लिए प्लान, पेंशन देने वाला होना चाहिए. एन्युइटी प्लान से हासिल पेंशन या इस प्लान को सरेंडर किए जाने पर ब्याज सहित मिलने वाली कुल राशि या बोनस आयकर के दायरे में आते हैं.
सेक्शन 80CCD
सेक्शन 80CCD (1) पेंशन अकाउंट में जमा पर टैक्स डिडक्शन दिलाता है. सैलरीड इंप्लॉई अपनी सैलरी का 10 प्रतिशत तक पेंशन अकाउंट में जमा कर छूट पा सकता है, जो अधिकतम 1.5 लाख रुपये है. सेक्शन 80CCD (1B) के माध्यम से सैलरीड इंप्लॉई अपनी तरफ से NPS अकाउंट में डिपॉजिट कर अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकता है, जो कि 50000 रुपये तक का होगा.
याद रहे कि सेक्शन 80C, 80CCC और 80CCD (1B) के तहत कुल मिलाकर 1.5 लाख रुपये से ज्यादा के टैक्स डिडक्शन का लाभ नहीं लिया जा सकता है.
सेक्शन 80CCD (2)
एंप्लॉयर के अंशदान पर भी कर्मचारी सेक्शन 80CCD (2) के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. यह सैलरी के 10 प्रतिशत के बराबर होता है.
सेक्शन 80D
आयकर कानून के सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. प्रावधान है कि करदाता या HUF, सेक्शन 80D के तहत खुद के लिए, पति/पत्नी और निर्भर बच्चों के मेडिकल इंश्योरेंस समेत माता-पिता के मेडिकल इंश्योरेंस के लिए भरे जा रहे प्रीमियम पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
प्रावधान के तहत 60 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति या HUF खुद के लिए, पति/पत्नी और निर्भर बच्चों के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर अधिकतम 25 हजार रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकता है. अगर करदाता, सीनियर सिटीजन है तो डिडक्शन की लिमिट 50 हजार रुपये रहती है. अगर करदाता, अपने जीवनसाथी व बच्चों के साथ 60 वर्ष से कम उम्र के माता-पिता के लिए भी मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम और/या मेडिकल खर्चों का वहन कर रहा है तो उसे 25 हजार रुपये के अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. वहीं अगर माता-पिता 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं तो 50 हजार रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.
वहीं अगर किसी करदाता और उसके माता-पिता दोनों की उम्र 60 वर्ष या उससे ज्यादा है और करदाता एक पॉलिसी अपने जीवनसाथी व बच्चों और दूसरी पॉलिसी अपने अभिभावकों के लिए खरीदता है तो दोनों ही पॉलिसीज पर वह 50-50 हजार रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकता है. यानी कुल मिलाकर अधिकतम 1 लाख रुपये तक की टैक्स सेविंग की जा सकती है. हालांकि हर मामले में शर्त यह है कि प्रीमियम का भुगतान कैश में न किया गया हो.
सेक्शन 80DD
व्यक्ति या HUF, सेक्शन 80DD की मदद से खुद पर निर्भर किसी दिव्यांग रिश्तेदार के मेडिकल ट्रीटमेंट, ट्रेनिंग आदि पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. इसमें उस दिव्यांग रिश्तेदार की देखभाल के लिए किसी विशिष्ट स्कीम में लगाए गए पैसे भी छूट के दायरे में आएंगे. अगर निर्भर रिश्तेदार 40 प्रतिशत या इससे ज्यादा लेकिन 80 प्रतिशत से कम डिसेबल है तो टैक्स में 75000 रुपये की छूट मिलेगी. अगर रिश्तेदार गंभीर रूप से डिसेबल है यानी 80 प्रतिशत से ज्यादा तो टैक्स छूट 1.25 लाख रुपये रहेगी. इस क्लेम के लिए किसी मान्य मेडिकल अथॉरिटी से डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जरूरी होगा.
सेक्शन 80DDB
इस सेक्शन के तहत चुनिंदा बीमारियों के मामले में सैलरीड इंप्लॉई अपने या खुद पर निर्भर परिवार के सदस्य के इलाज पर अधिकतम 40,000 रुपये का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. सीनियर सिटीजन के इलाज के मामले में 1 लाख रुपये तक के मेडिकल खर्च पर टैक्स डिडक्शन का फायदा लिया जा सकता है. इसके लिए इलाज का बिल दिखाना होता है. अगर इलाज का खर्च बीमा कंपनी या इंप्लॉई के एंप्लॉयर की ओर से रिइंबर्स किया गया है तो रिइंबर्स की गई धनराशि को घटाने के बाद बचे खर्च पर टैक्स डिडक्शन का फायदा मिलेगा.
सेक्शन 80E
इस सेक्शन के तहत उच्च शिक्षा यानी ग्रेजुएशन/पोस्ट ग्रेजुएशन, डॉक्टरेट की पढ़ाई के उद्देश्य से लिए गए एजुकेशन लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. लोन करदाता के खुद के लिए या फिर, पत्नी, बच्चे या फिर किसी भी ऐसे स्टूडेंट के लिए हो सकता है, जिसका करदाता कानूनी अभिभावक हो. एजुकेशन लोन पर चुकाए जा रहे ब्याज पर ही डिडक्शन क्लेम हो सकता है. यह फायदा केवल व्यक्तिगत करदाता के लिए है. एजुकेशन लोन के ब्याज पर टैक्स डिडक्शन का लाभ लोन का ब्याज चुकाया जाना शुरू किए जाने वाले साल से 8 साल तक या पूरा ब्याज चुकता हो जाने, जो भी अवधि पहले खत्म हो तक लिया जा सकता है.
एजुकेशन लोन के ब्याज पर डिडक्शन को क्लेम करने के लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं है. पूरे वित्त वर्ष में जितना ब्याज चुकाया गया है, उस पूरे अमाउंट पर टैक्स डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं. उच्च शिक्षा के उद्देश्य से रेगुलर कोर्स या वोकेशनल कोर्स किसी के लिए भी एजुकेशन लोन लिया हो, इस पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स डिडक्शन का दावा किया जा सकता है. एजुकेशन लोन देश या विदेश में कहीं भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से लिया गया हो सकता है. NBFC से लिए गए लोन के मामले में केवल उन्हीं NBFC से लिए गए एजुकेशन लोन पर डिडक्शन क्लेम कर सकेंगे, जिन्हें केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने नोटिफाई किया हुआ है. प्रावधान स्पष्ट तौर पर कहता है कि डिडक्शन क्लेम करने के लिए एजुकेशन लोन किसी बैंक, मान्य चैरिटेबल इंस्टीट्यूट या नोटिफाइड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से लिया गया होना चाहिए.
सेक्शन 80G
टैक्स डिडक्शंस में दान और चंदा भी शामिल है. आयकर कानून के सेक्शन 80G, 80GGA और 80GGC के तहत दान और चंदा दिए जाने पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.
आयकर कानून का सेक्शन 80G कुछ निश्चित रिलीफ फंड्स और चैरिटेबल संस्थानों को डोनेशन या दान देकर टैक्स डिडक्शन का लाभ पाने का विकल्प उपलब्ध कराता है. उस ट्रस्ट या संस्थान को आयकर कानून, 1961 के सेक्शन 12A के तहत रजिस्टर होना जरूरी है. डिडक्शन का फायदा व्यक्तिगत आयकरदाता, कंपनी, एचयूएफ के साथ-साथ NRIs भी उठा सकते हैं. डिडक्शन का क्लेम कुछ मामलों में 100 प्रतिशत तक तो कुछ में 50 प्रतिशत तक या किसी में बिना लिमिट वाला हो सकता है. विदेशी संस्थानों और राजनीतिक दलों को दिया गया दान या चंदा इस डिडक्शन के दायरे में नहीं आता है.
दान चेक/ड्राफ्ट या कैश में दिया जा सकता है लेकिन कैश में 2000 रुपये से ज्यादा के दान पर टैक्स डिडक्शन का फायदा नहीं मिलेगा. सेक्शन 80G के तहत डिडक्शन पाने के लिए केवल टैक्सेबल या एग्जेंप्ट इनकम (जैसे टैक्स फ्री बॉन्ड से आय) को ही दान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
सेक्शन 80GGA
अगर कोई व्यक्तिगत करदाता सरकार द्वारा मंजूर (35(1)(ii), 35(1)(iii), 35CCA, 35CCB के तहत) किसी वैज्ञानिक अनुसन्धान करने वाली संस्था, यूनिवर्सिटी या कॉलेज, ग्रामीण विकास के लिए काम करने वाली संस्था, 35AC के तहत आने वाली पब्लिक सेक्टर कंपनी, स्थानीय अथॉरिटी या एसोसिएशन/इंस्टीट्यूशन आदि को दान देता है तो आयकर कानून के सेक्शन 80GGA के अंतर्गत वह उस पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. दान पर 100 प्रतिशत तक टैक्स डिडक्शन पाया जा सकता है. दान कैश/चेक/ड्राफ्ट में दिया गया हो सकता है, लेकिन कैश में 10000 रुपये से अधिक के चंदे पर यह फायदा नहीं मिलेगा. कारोबारी या पेशेवर आमदनी से इस तरह का दान छूट के दायरे में नहीं आता है.
सेक्शन 80GGC
इस सेक्शन में सैलरीड इंप्लॉई द्वारा किसी राजनीतिक दल या इलेक्टोरल ट्रस्ट को दिए गए चंदे पर टैक्स डिडक्शन पाया जा सकता है. आयकर विभाग के मुताबिक, राजनीतिक दल से अर्थ रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट, 1951 (43 of 1951) के सेक्शन 29A के अंतर्गत रजिस्टर्ड राजनीतिक दल से है. इलेक्टोरल ट्रस्ट से अर्थ कंपनीज एक्ट 2013 के सेक्शन 8 के तहत बनाई गई नॉन-प्रॉफिट कंपनी से है. चंदा, कैश में नहीं होना चाहिए. चंदे के पूरे अमाउंट पर टैक्स डिडक्शन का लाभ पाया जा सकता है लेकिन डिडक्शन अमाउंट व्यक्ति की कुल टैक्सेबल इनकम से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
सेक्शन 80GG
इस सेक्शन के तहत उन लोगों को घर के किराए पर टैक्स छूट मिलती है, जिन्हें सैलरी के साथ HRA (House Rent Allowance) नहीं मिलता है. याद रहे कि टैक्स देने वाले, उसकी पत्नी या नाबालिग बच्चे के पास कोई आवासीय संपत्ति नहीं होनी चाहिए. सेक्शन 80GG के तहत किराए पर मिलने वाली छूट इस तरह है-
– रेंट पेड माइनस कुल एडजस्टेड इनकम का 10 प्रतिशत
– प्रतिमाह 5000 रुपये
– एडजस्टेट इनकम का 25 प्रतिशत
सेक्शन 80EEB
इस सेक्शन में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) खरीदने के लिए गए लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. इसके लिए यह लोन 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2023 के बीच लिया गया होना चाहिए. साथ ही डिडक्शन का फायदा केवल पहले EV लोन पर ही लिया जा सकता है. करदाता के पास कोई दूसरा ई-व्हीकल नहीं होना चाहिए. सेक्शन 80EEB के तहत टैक्स डिडक्शन का फायदा केवल इंडीविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए है. व्यक्तिगत करदाता इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीद निजी या कारोबारी इस्तेमाल के लिए कर सकता है. हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF), AOP (एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स), पार्टनरशिप फर्म, कंपनी या कोई दूसरे करदाता इस डिडक्शन को क्लेम नहीं कर सकते हैं.
सेक्शन 80TTA
यह सेक्शन 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति या HUF को किसी भी बैंक/को-ऑपरेटिव सोसायटी/पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट से 10000 रुपये सालाना तक की ब्याज आय पर टैक्स डिडक्शन का फायदा देता है. हालांकि इसके दायरे में FD, RD या कॉरपोरेट बॉन्ड से हासिल ब्याज नहीं आता है.
सेक्शन 80TTB
60 साल से ज्यादा उम्र के लोग यानी सीनियर सिटीजन- सेविंग्स अकाउंट, FD/TD, पोस्ट ऑफिस स्कीम्स, को-ऑपरेटिव बैंकों में किए गए किसी भी तरह के डिपॉजिट से एक वित्त वर्ष में हासिल होने वाले 50000 रुपये तक के ब्याज पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. यह डिडक्शन आयकर कानून के सेक्शन 80TTB के तहत क्लेम किया जा सकता है.
सेक्शन 80U
अगर कोई व्यक्ति शारीरिक या मानसिक तौर पर दिव्यांग है तो वह सेक्शन 80U के तहत 75,000 रुपये तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. इसमें ब्लाइंडनेस भी शामिल होगी. गंभीर रूप से शारीरिक दिव्यांगता के मामले में टैक्स कटौती 1.25 लाख रुपये तक हो सकती है.
सेक्शन 10(15)(i)
सेक्शन 10(15)(i) के तहत पोस्ट ऑफिस के बचत खाते में जमा से होने वाली ब्याज आय को एक तय लिमिट तक आयकर से छूट प्राप्त है, यानी एग्जेंप्ट है. एग्जेंप्शन पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट के एकल खाताधारक के मामले में 3500 रुपये तक की सालाना ब्याज आय और खाता ज्वॉइंट में होने पर 7000 रुपये तक की ब्याज आय पर लागू है. ध्यान रखें कि टैक्स एग्जेंप्शन और टैक्स डिडक्शन दो अलग-अलग चीजें हैं.