टेक्नोलॉजी का बढ़ता उपयोग कानूनी पेशे के स्वरूप को बदल कर रख देगा : सर्वे
नयी दिल्ली, कोविड-19 संकट के बाद दुनियाभर में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया काफी तेज हुई है। ऐसे में एक सर्वेक्षण के मुताबिक आने वाले दस सालों में वकील एवं अन्य कानूनी पेशेवरों के लिए इसमें काम काज का स्वरूप बहुत कुछ बदल सा जाएगा।
गुरुग्राम के बीएमएल मुंजाल विश्वविद्यालय के विधिक विभाग और परामर्श कंपनी वाहुरा ने 200 से अधिक कानूनी पेशेवरों के बीच यह सर्वेक्षण किया ‘डिकोडिंग नेक्स्ट-जेन लीगल प्राफेशनल‘ अध्ययन की यह रपट बृहस्पतिवार कोज जारी की गयी।
यह रपट कानूनी पेशे से जुड़े पेशेवरों के दृष्टिकोण को जानने और भारत में तेजी से बदलते कानूनी वातावरण में वकीलों के लिए अनिवार्य कौशल की जरूरतों की पहचान के लिए तैयार की गयी है।
रपट के मुताबिक मुवक्किलों की बढ़ती मांग, स्वचालन और प्रौद्योगिकी नवोन्मेष जैसे कि कृत्रिम मेधा इत्यादि से पेशे में लगातार बदलाव आ रहा है।
देश के कानूनी पेशेवर अगले एक दशक में भारत में कानूनी पेशे का पूरा स्वरूप बदला हुआ देखते हैं।
सर्वेक्षण में शामिल 90 प्रतिशत पेशेवरों का कहना है कि डिजिटलकण और प्रौद्योगिकी नवोन्मेष इस क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन लाएंगे। जबकि 64 प्रतिशत का मानना है कि विधिक कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।
सर्वेक्षण में 49 प्रतिशत लोगों ने कंपनियों के खुद के विधिक परामर्शकों को रखने में वृद्धि होने की संभावना जतायी।
इस सर्वेक्षण में कानूनी पेशे के लिए अनिवार्य कौशल के मामले में 94 प्रतिशत का मानना है कि कानूनी पेशे में काम करने के लिए अनुसंधान और विश्लेषण की क्षमता होनी चाहिए। इसके बाद 93 प्रतिशत ने विस्तार से ध्यान और सटीकता के लिए एक पैनी दृष्टि, 71 प्रतिशत ने कड़ी मेहनत करने की क्षमता, 72 प्रतिशत ने सीखने के लिए तत्परता और 88 प्रतिशत ने मौखिक और संचार कौशल को अनिवार्य कौशल बताया।
Edited by रविकांत पारीक